देश की सबसे कम उम्र की डोनर बनी रोली, ऑर्गन डोनेट कर बचाई कई जिंदगियां

6 साल की बच्ची रोली भारत की सबसे कम उम्र की ऑर्गन डोनेट करने वाली बनी हैं. रोली के ऑर्गेन से 5 लोगों की जिंदगियां बचाई गई हैं.

Roli
मनीष चौरसिया
  • नोएडा,
  • 21 मई 2022,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST
  • 6 साल की बच्ची रोली देश की बनी सबसे कम उम्र की ऑर्गन डोनर
  • रोली के ऑर्गन से 5 जिंदगियां बचाई गई

एक 6 साल की बच्ची देश की सबसे कम उम्र की डोनर बनी हैं. वहीं 6 साल की बच्ची के ऑर्गन डोनेट होने से 5 लोगों की जिंदगी बच गई. वहीं 6 साल की बच्ची रोली अपने 6 भाई बहनों में सबसे ज्यादा नटखट और शरारती थी. रोली के आवाज से पूरा घर चहक उठता था. वहीं रोली से सभी खुश रहते थे. इसी रोली के चलते आज 5 लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकी हैं. 

आपको बता दें कि रोली के पिता के अनुसार 27 अप्रैल की रात को 6 साल की रोली को संदिग्ध तरीके से सिर में गोली लग गई थी. आनन-फानन में पहले उसे नोएडा के जिला अस्पताल ले जाया गया जहां से उसे एम्स में एडमिट कराया गया लेकिन दो दिन बाद ही डॉक्टर ने जवाब दे दिया और कहा कि बच्ची का बचना मुश्किल है. उसके बाद डॉक्टर ने रोली के माता-पिता से बात की और उन्हें अंगदान के लिए राजी कराया. अब रोली की वजह से 5 लोगों को जिंदगी मिली है. वहीं रोली देश की सबसे कम उम्र की डोनर बनी.

पिता ने लिया जीवन का सबसे कठिन फैसला
रोली के पिता हरि नारायण प्रजापति एक प्राइवेट कंपनी में सिलाई का काम करते हैं कच्चा घर है परिवार बड़ा है पिता बताते हैं कि शुरुआत में जब डॉक्टर्स ने उनसे बच्ची के ऑर्गन डोनेट करने को कहा तो वह कुछ समझ नहीं पा रहे थे. इसके पहले डॉक्टर ने उन्हे ये बताया कि बच्ची को बचाना अब नामुमकिन है. हम ठीक तरह से सोच नहीं पा रहे थे लेकिन फिर डॉक्टर्स ने उन्हें दो-तीन बार समझाया इसके बाद उनको लगा कि उनकी बच्ची तो उनके हाथ में नहीं है लेकिन अच्छा होगा कि उसकी वजह से दूसरे लोगों की जान बच जाए. इसके बाद दोनों पति-पत्नी राजी हो गए.

roli parents

डॉक्टर बोले माता-पिता ने मिसाल कायम की
रोली का इलाज करने वाले एम्स के डॉक्टर जीपक गुप्ता बताते हैं भी बताते हैं कि रोली के घरवालों के लिए ये निर्णय आसान नहीं था . ये अपने आप में एक अलग मामला था इतनी छोटी बच्ची के ऑर्गन डोनेट करना अन्य लोगों की जान बचाना, ये बेहद मुश्किल था उसने करीब 5 लोगों की जान बचाई , ये अलग तरह की मिसाल है जिसको लोग जब जानेंगे तो ऑर्गन डोनेशन के लिए इंस्पायर होंगे, अंग दान करना शायद इससे बड़ा दान कुछ नहीं है और उस बच्ची की मिसाल सब याद रखेंगे

इंसाफ की तलाश में माता-पिता
रोली के मां और पिता दोनों यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर उनके घर में यह हादसा हुआ कैसे, बेटी को गोली लगी कैसे, गोली मारी तो आखिर मारी किसने और क्यों मारी.  सारे सवालों के साथ रोली की मां रोती हुई कहती हैं कि हमें खुशी है कि हमारी बेटी की वजह से पांच जिंदगियां बच गई लेकिन मुझे अपनी बच्ची के लिए इंसाफ चाहिए पुलिस फिलहाल मामले पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है.

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