आंध्र प्रदेश के नदीगामा शहर के एक चार महीने की बच्ची ने एक अनोखी उपलब्धि हासिल की है. इस बच्ची ने एक ऐसा रिकॉर्ड स्थापित करके सभी का दिल जीत लिया है, जिसके बारे में आज हर कोई बात कर रहा है. इस बच्ची का नाम है कैवल्या. कैवल्या की उम्र भले ही चार माह है लेकिन उसे पक्षियों और सब्जियों से लेकर जानवरों और यहां तक कि तस्वीरों तक की पहचान है.
मां ने बढ़ाई बच्ची की कौशल क्षमता
कैवल्य के पेरेंट्स - हेमा और रमेश, दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. हेमा और रमेश की शादी नवंबर 2021 में हुई थी, और सितंबर 2023 में उन्होंने कैवल्य को जन्म दिया. उसके जन्म के बाद उसकी आंखों के फोकस और दृश्यता में सुधार करने के लिए, हेमा ने उसे पहले दो महीनों के लिए काले और सफेद फ़्लैश कार्ड दिखाना शुरू कर दिया. उन्होंने देखा कि कैवल्या एकाग्रता के साथ उन्हें देखती है.
कैवल्या जब दो महीने की हो गई तो हेमा ने उसे चार सप्ताह तक प्रतिदिन तीन मिनट के लिए रंगीन फ़्लैश कार्ड दिखाना शुरू कर दिया, जिसमें हर सप्ताह एक अलग केटेगरी थी जैसे कि फूल, फल, सब्जियां और जानवर. एक दिन, जब वह चार महीने की हो गई, तो उन्होंने कैवल्या का परीक्षण करने का फैसला किया और वह अपने हाथों से वस्तुओं को छूकर उत्तर देने लगी.
कैवल्य ने की 120 चीजों की पहचान
कैवल्या की मां हेमा ने अपने बच्चे की इस विशेष प्रतिभा को देखा और इसे दुनिया के साथ शेयर करने का फैसला किया. दरअसल, हेमा ने Noble World Records के लिए अप्लाई किया और फिर उन्होंने कैवल्य का एक वीडियो बनाया. कैवल्य ने वीडियो में 120 चीजों की पहचान की, जिनमें 12 फूल, 27 फल, 27 सब्जियां, 27 जानवर और 27 पक्षी शामिल हैं. हर किसी की तरह, नोबल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम भी आश्चर्यचकित थी.
आपको बता दें कि NWR का लक्ष्य अद्भुत प्रदर्शन के साथ युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना और उनकी सहायता करना है. 2020 में भारत और मॉरीशस में लॉन्च की गई, यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रिकॉर्ड बुक कंपनी है. उनकी टीम ने वीडियो की सावधानीपूर्वक समीक्षा करने और कैवल्य की प्रतिभा का परीक्षण करने के बाद, कैवल्य को वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए चुना.
टीम ने कैवल्य को एक विशेष प्रमाणपत्र दिया है, जिससे वह मात्र चार महीने की उम्र में विश्व रिकॉर्ड धारक बन गई. कैवल्य के माता-पिता ने इस बात की बेहद खुशी व्यक्त की और समर्थन के लिए सभी को धन्यवाद दिया. उन्हें उम्मीद थी कि कैवल्य की कहानी अन्य माता-पिता को अपने बच्चों में मौजूद अद्वितीय प्रतिभाओं को खोजने के लिए प्रेरित करेगी.
(with inputs from Apoorva Jayachandran)