Scam Alert: ठगी की अनोखी घटना! पहले फ्री में मच्छरदानी बांटी फिर अंगूठे का निशान लेकर खाली कर दिया अकाउंट

मुफ्त मच्छरदानी लेने वालों ने जब एक-एक कर बैंक खाता चेक किया तो सभी ग्रामीणों के खाते से पैसे गायब हो चुके थे. धोखाधड़ी का शिकार हुए ग्रामीणों ने मामले की शिकायत रांगा थाने से की है.

Fraud
gnttv.com
  • साहिबगंज,
  • 10 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST
  • फ्री का चक्कर पड़ गया भारी
  • अंगूठे का निशान लेकर खाली कर दिया अकाउंट

झारखंड के साहिबगंज में ठगी का अजीब मामले सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुफ्त मच्छरदानी वितरण के नाम पर ठगों ने आदिवासी गांव के दर्जनों लोगों को चूना लगा दिया. मामला साहिबगंज के रंगा थाना क्षेत्र स्थित तिलभीठा गांव का है. ग्रामीणों के अनुसार 14 अगस्त को वाहन से चार पांच लोग गांव में पहुंचे, उन्होंने खुद को स्वास्थ्य विभाग के एनजीओ का सदस्य बताते हुए लोगों को मुफ्त मच्छरदानी बांटने का झांसा दिया.

बिना पैसे के मच्छरदानी मिलने की खबर सुनकर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई. उन लोगों ने लोगों को कुछ मच्छरदानी भी बांटी. इसके बाद ग्रामीणों से आधार कार्ड और अंगूठे का निशान लेकर वहां से चले गए. मुफ्त में मच्छरदानी पाकर भोले भाले ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. आने वाले कल से बेखबर उन्होंने सोचा कि रात में अब चैन की नींद सो सकेंगे. अगली सुबह जरूरत पड़ने पर कुछ ग्रामीण बैंक पहुंचे. बैंक प्रबंधन ने बताया कि उनके खाते से रकम की निकासी कर ली गई है.

मुफ्त मच्छरदानी की भारी पड़ी कीमत
खाते से रकम गायब होने की खबर जंगल के आग की तरह फैल गई. मुफ्त मच्छरदानी लेने वालों ने जब एक-एक कर बैंक खाता चेक किया तो सभी ग्रामीणों के खाते से पैसे गायब हो चुके थे. धोखाधड़ी का शिकार हुए ग्रामीणों ने मामले की शिकायत रांगा थाने से की है. इसकी जानकारी साहिबगंजके पुलिस अधीक्षक अमित कुमार सिंह तक पहुंची. उन्होंने संज्ञान लेते हुए बरहरवा एसडीपीओ के नेतृत्व में टीम गठन कर जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया है. फिलहाल पुलिस द्वारा गठित की ठगों की तलाश कर रही है.

पहाड़िया समुदाय हुआ ठगी का शिकार
उन्होंने कहा कि जालसाजों को बख्शा नहीं जाएगा. बहरहाल, मुफ्त के चक्कर में सौ से ज्यादा ग्रामीण लाखों रुपये गंवा चुके हैं. 150 रुपये की मच्छरदानी के बदले किसी के खाते से दो हजार, किसी के खाते से तीन हजार की निकासी की जा चुकी है. आदिम जनजाति समुदाय के लोग पहाड़ों पर मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन चलाते हैं. भविष्य के लिए कटौती कर खातों मे रकम की बचत करते हैं. भोले भाले ग्रामीणों के अकाउंट में स्कूल फीस, पेंशन की राशि थी.

-प्रवीण कुमार की रिपोर्ट

 

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