खाली परिसर, कोई विजिटर नहीं, और भयानक सन्नाटा - यह भारत के कई छोटे शॉपिंग मॉल का हाल है. ये माल्स ग्राहकों की बदलती मांगों के कारण "घोस्टिंग" नाम की घटना के शिकार हो गए हैं. प्रमुख भारतीय बाजारों में ग्रॉस लीजेबल एरिया (GLA) बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी घोस्ट मॉल की संख्या बढ़ती जा रही है.
"घोस्ट मॉल" कहे जाने वाले ये सेंटर वीरान पड़े हैं. ये दिखाते हैं कि ग्राहकों की मांग बदल रही है. 2022 में घोस्ट मॉल की संख्या 57 से बढ़कर 64 हो गई. "थिंक इंडिया थिंक रिटेल 2024" की रिपोर्ट में इन मॉल को लेकर डेटा दिया गया है.
क्यों बढ़ रहे हैं घोस्ट मॉल?
घोस्ट मॉल के बढ़ने के पीछे कई कारण हैं. इनमें लोगों के व्यवहार में बदलाव और ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन जैसे कारण शामिल हैं. खराब डिजाइन, अप्रभावी प्रबंधन, रखरखाव की कमी, अनाकर्षक आउटडोर, बड़े मॉल से प्रतिस्पर्धा, अपर्याप्त खुदरा विक्रेताओं और ब्रांड जैसे अलग-अलग वजहों के कारण उपभोक्ता छोटे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना में बड़े मॉल को अधिक पसंद कर रहे हैं. घोस्ट मॉल उसे कहते हैं जहां ग्राहकों की संख्या बेहद कम होती है और 40 प्रतिशत से ज्यादा उस मॉल में खाली रहती हो.
मॉल में कम आते हैं ग्राहक
लगभग 132 छोटे मॉल ने 2023 में 36.2 प्रतिशत की खाली जगह की सूचना दी थी. इन मॉल में ज्यादा लोग खरीदारी करने नहीं गए. जिसकी वजह से घोस्ट मॉल बनने के कगार पर पहुंच गए. 21 घोस्ट शॉपिंग सेंटरों के साथ दिल्ली-एनसीआर भूतिया मॉल के केंद्र के रूप में उभरा है. इसके बाद बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई और पुणे हैं. ये खाली मॉल आठ शहरों में फैले हुए हैं, जो कुल 125.1 मिलियन वर्ग फुट के क्षेत्र में बने हैं.
घोस्ट मॉल के बढ़ने से आर्थिक नुकसान हुआ है, लगभग 64 शॉपिंग मॉल में 13.3 मिलियन वर्ग फुट खाली शॉपिंग स्पेस है, जिसकी वजह से 2023 में डेवलपर्स के राजस्व में 6,697 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कई छोटे मॉल भी बंद होने की कगार हैं. इसकी वजह बड़े शॉपिंग सेंटर हैं.