अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीना है तो दुसरो के लिए जिएं. इससे सुकून भी मिलेगा और पुण्य भी कमाएंगे. इसलिए उत्तर प्रदेश के गोंडा में कुछ बेटियां भयानक गर्मी में पक्षियों के लिए पेड़ों पर मटके बांध रही हैं ताकि इसमें हर रोज पानी भरा जा सके. सीएम योगी द्वारा रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार व देवी अवार्ड से सम्मानित फूल कुमारी उर्फ जूली पांडेय की टीम इस मुहिम में जुटी है.
साल 2016 से यह टीम लगातार गर्मियों में पेड़ों पर चढ़कर मटका बांधकर चिड़ियों के लिए पानी की व्यवस्था कर रही है. अप्रैल महीने में इस मुहिम की शुरुआत कर दी जाती है. धानेपुर ब्लाक के रुद्रपुर नौसी के पंडित पुरवा गांव निवासी जूली पांडेय माइक्रोबायोलॉजी से एमएससी कर रही हैं. वह हर सुबह अपनी टीम के साथ गांव-गांव में जाकर पेड़ों पर मटका बांधती हैं और गांव में अपनी सहेलियों या किसी को रोजाना पानी भरने की जिम्मेदारी सौंप देती हैं.
सूखे तालाब देख शुरू की मुहिम
जूली का कहना है कि हम तो बोल सकते हैं, प्यास लगी तो कहीं भी पानी पी सकते हैं. इस भयानक गर्मी में बेजुबान परिंदों के लिए पानी की व्यवस्था हो तो उनकी भी प्यास बुझेगी. पहले वह आश्रम पद्धति हॉस्टल से गर्मियों में गांव आती थीं तो रास्ते में तालाब सूखे रहते थे. जानवर प्यासे भटकते दिखते थे. तब उन्होंने बेजुबानों की प्यास को बुझाने की मुहिम छेड़ी. उनकी मुहिम में गांव की उनकी सहेलियों ने कदम से कदम मिलाया.
जूली ने सभी से बेजुबानों की प्यास बुझाने के लिए अपने छतों पर पानी से भरे मटके रखने की अपील की.ग्रामीण बताते हैं कि लड़कियां बहुत ही अच्छा व नेक काम कर रही हैं. लड़कियों की इस टीम को मटके खरीदने में घर वाले मदद करते हैं. जूली का यह काम पिछले सालों 22 गांवों तक पहुंचा था. ये लड़कियां जिस गांव में पहुंचती हैं वहां ग्रामीणों को मटके में पानी भरने का काम सौंप देती हैं. अक्सर गांव में इनकी हमउम्र लड़कियां इनकी सहेली बन जाती हैं और वह भी इस नेक काम मे जुड़ जाती हैं.
स्वच्छ भारत मिशन में भी किया काम
जूली पांडेय ने स्वच्छ भारत मिशन में भी काम किया था. गांव में लोगों के घरों में शौचालय बनवाने की मुहिम छेड़ी थी. जिससे जूली के काम की गूंज मुख्यमंत्री योगी तक पहुंची. उन्होंने जूली को रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार से नवाजा था. जूली ने अपनी टीम के साथ पेड़ों को कटने से बचाने के लिए पेड़ों पर भगवान के प्रतीक चिन्ह बनाये हैं जिससे लोग पेड़ों को न काटें.
(अंचल श्रीवास्तव की रिपोर्ट)