Gobar Gas: गया के इस गांव में लगाया गया गोबर गैस प्लांट, महिलाओं की जिंदगी हुई आसान

केंद्र सरकार ने गोवर्धन योजना के तहत गया के बतसपुर गांव के बाहर प्लांट लगाया है. इस प्लांट से अब गांव के हर घर में पाइप के जरिए गैस पहुंच रही है. 

gobar gas plant
gnttv.com
  • गया,
  • 11 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST
  • हर घर में पाइप के जरिए पहुंच रही गैस
  • गोबर और कूड़े कचरे से बनाई जाती है गैस

गया जिले के बोधगया प्रखंड का बतसपुर गांव गया का पहला ऐसा गांव है जहां पर गोवर्धन योजना से तैयार किया हुआ गैस सभी घरों तक पहुंच रहा है. केंद्र सरकार ने गोवर्धन योजना के तहत गांव के बाहर प्लांट लगाया है. इस प्लांट से अब गांव के हर घर में पाइप के जरिए गैस पहुंच रही है. गांव की महिलाएं अब इसी गोबर गैस से खाना बनाने लगी हैं. बतसपुर गांव में अब तक 35 लोगों के घरों में गोबर गैस कनेक्शन दिया जा चुका है. पहले गांव के लोग अपने मवेशियों के गोबर को गांव की सड़क के किनारे या घरो के बाहर जमा करते थे, लेकिन जब से गांव में गोबर गैस प्लांट लगा है, सभी लोग अपने-अपने मवेशियों का गोबर प्लांट में 50 पैसे प्रतिकिलो बेचने लगे हैं. इसकी वजह से गांव भी काफी हद तक साफ सुथरा दिखने लगा है.

गोबर गैस प्लांट लगने से हो रही बचत
गांव की महिलाओं ने बताया, जब गांव में गोबर गैस प्लांट नहीं था सभी अपने घरों में गोइठा और लकड़ी पर खाना बनाया करते थे और कभी-कभी एलपीजी सिलेंडर पर खाना पकाते थे लेकिन गोबर गैस प्लांट लगने से हमलोगों को बहुत आराम हो गया है. पहले गैस की कीमत 1200 रुपये तक जाती थी लेकिन गोबर गैस प्लांट से कनेक्शन मिलने के बाद गैस की कीमत 500 से 600 रुपये पड़ती है. गांव में गोबर गैस पर खाना बना रही महिला कुसुम देवी बताती हैं, पहले जब हम लोग एलपीजी गैस सिलेंडर पर खाना बनाया करते थे तो कई समस्याएं आती थीं, गैस भी ज्यादा  लगती थी अब गोबर गैस आने से आराम हुआ है और अब हम सभी लोग इसी गैस पर खाना बनाते हैं.

प्लांट में गोबर डाल कर तैयार की जाती है गैस
गोबर गैस प्लांट में गैस तैयार करने के लिए गांव में मवेशियों का गोबर का कलेक्शन होता है. प्लांट में गोबर डाल कर गैस तैयार किया जाता है. गांव के घरों में पाइप लाइन के द्वारा गैस सुबह और शाम में दी जाती है. महिलाएं बताती हैं, पहले हम एलपीजी सिलेंडर वाला गैस इस्तेमाल किया करते थे तो बहुत परेशानी होती थी. एलपीजी सिलेंडर का गैस ख़त्म होने के बाद सिलेंडर लाने के लिए जाना पड़ता था और 1050 रुपया लगता भी था और अब इस गोबर गैस कनेक्शन में महीने में यूनिट उठता है और उसी यूनिट के तहत पैसा लगता है. महीने की बात करें तो गोबर गैस का सिर्फ 600 रुपया सिर्फ लगता है. इससे बचत भी होती है.

गोबर और कूड़े कचरे से बनाई जाती है गैस
गोबर गैस प्लांट के केयर टेकर दीपक कुमार ने बताया कि गोवर्धन योजना के तहत गोबर गैस प्लांट बोधगया के बतसपुर गांव में लगाया गया है. इस प्लांट में गोबर और कूड़े कचरे से गैस बनाई जाती है. गांव के मवेशी के गोबर को लाकर गैस प्लांट में डाला जाता है. इससे गांव में गोबर से हुआ प्रदूषण भी समाप्त हो रहा है और इस गोबर से तैयार किया हुआ गैस गांव में पाइप लाइन के जरिए घरों में दिया जाता है. अभी फिलहाल गांव में गोबर गैस प्लांट के 35 कनेक्शन हैं. गोबर गैस प्लांट में प्रीतिदिन 2 टन गोबर डालना है. मगर अभी 800 से 900 किलो प्रीतिदिन इस प्लांट में गोबर डाला जा रहा है. इस प्लांट की क्षमता 200 टन की है. इस प्लांट को जितना गोबर चाहिए उतना गोबर उपलब्ध नहीं हो रहा है. गांव के ग्रामीण जब जागरुक हो जाएंगे तब प्लांट को गोबर भी उपलब्ध हो जाएगा. एक यूनिट गैस में तीन टाइम का खाना बन जाता है.

बोधगया के बतसपुर गांव में आए बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि इसको बड़े पैमाने पर करने का हमारा मकसद है. इससे गांव के गरीब लोगों का भला होगा. गोबर का इस्तेमाल बाद में आप खाद के रूप में भी कर सकते हैं. गोबर से लकड़ी भी बनाई जा रही है और गांव के ग्रामीणों को आगे बढ़ने में मदद की जा रही है.

-पंकज कुमार की रिपोर्ट

 

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