Google Doodle: गूगल ने Nowruz पर डूडल बनाकर पारसियों को नए साल की दी बधाई, जानिए इस दिन का महत्व और क्या होता है इस शब्द का मतलब?

Google Doodle celebrates Nowruz 2024: नवरोज पारसी समुदाय के लिए आस्था का प्रतीक है. नवरोज दो पारसी शब्दों नव और रोज से मिलकर बना है. नव का अर्थ है नया और रोज का मतलब है दिन यानी नया दिन. नवरोज मनाने का इतिहास 3,000 साल से अधिक पुराना है. गूगल ने डूडल बनाकर नवरोज की बधाई दी है. 

Google Doodle celebrates Nowruz 2024
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 9:51 AM IST
  • नवरोज के दिन पारसी समुदाय के लोग एक-दूसरे को देते हैं नए साल की बधाई 
  • यह पर्व प्रकृति का और प्रेम का है प्रतीक

Persian New Year: विश्‍व का सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल (Google) खास मौकों को चार चांद लगाने के लिए डूडल बनाकर सेलिब्रेट करता है. आज यानी मंगलवार को पारसी समुदाय के नववर्ष नवरोज (Nowruz) के मौके पर गूगल ने अपने होमपेज को खास डूडल (Doodle) के जरिए सजाकर बधाई दी है. ईरानी अतिथि कलाकार पेंडार यूसेफी ने यह डूडल बनाया है. नवरोज पर साझा किया गया यह डूडल बसंत ऋतु की शुरुआत की याद दिलाता है. 

नवरोज मनाने का इतिहास है इतना पुराना
नवरोज पारसी समुदाय के लिए आस्था का प्रतीक है. नवरोज दो पारसी शब्दों नव और रोज से मिलकर बना है. नव का अर्थ है नया और रोज का मतलब है दिन. नवरोज का मतलब है नया दिन. नवरोज मनाने का इतिहास 3,000 साल से अधिक पुराना है. नवरोज को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता देता है. नवरोज एक प्रकार का ईरानी नववर्ष है. यह अलग-अलग देश में अलग-अलग समय पर परंपरागत रूप से मनाया जाता है. 

राजा जमशेद की याद में मनाया जाता है पर्व
नवरोज पर्व को फारस के राजा जमशेद की याद में मनाया जाता है. पारसी कैलेंडर की स्थापना जमशेद ने ही की थी.पारसी कैलेंडर में सौर गणना की शुरुआत करने वाले महान राजा जमशेद थे. ऐसे में पारसी लोग इस दिन राजा जमशेद की पूजा करते हैं और उसके बाद एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं. ईरान के आधिकारिक सौर हिजरी कैलेंडर में नवरोज नए साल की शुरुआत का प्रतीक है. पारसी समुदाय के लोग ईरान, इराक, तुर्की, अफगानिस्तान, सीरिया जैसे देशों में काफी संख्या में बसे हुए हैं. भारत में भी कई जगहों पर इनका निवास है. ये यूएस में भी रहते हैं.

कैसे मनाते हैं नवरोज
फारसी लोग नवरोज के दिन सबसे पहले अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं. इस दिन पारसी समुदाय के लोग नए कपड़े पहनते हैं और उपासना स्थल फायर टेंपल जाते हैं. ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्हें फल, जल, दूध, चंदन और फूल इत्यादि अर्पित करते हुए सुख एवं समृद्धि की प्रार्थना करते हैं. गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं. इस दिन लोग घरों के बाहर रंगोली बनाते हैं.

घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. यह त्योहार प्रकृति का और प्रेम का प्रतीक है.इस अवसर पर कई पारसी गरीबों को दान-पुण्य करते हैं. घर आए अतिथियों पर गुलाब जल छिड़क कर उनका स्वागत करते हैं. उन्हें नवरोज की शुभकामनाएं देते हैं. ऐसी मान्यता है कि नवरोज के दिन घर की सभी प्रकार की बीमारियां और विषम परिस्थितियां दूर हो जाती हैं. 

पूवर्जों को करते हैं याद 
पारसी कैलेंडर में एक साल में 360 दिन ही होते हैं, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक एक साल में 365 दिन होते हैं. पारसी कैलेंडर में आखिरी के पांच दिन गाथा के तौर पर माना जाता है. इस दौरान पारसी लोग अपने पूवर्जों को याद करते हैं. पारसी समुदाय दुनिया में अल्पसंख्यक समुदाय में आता है. हालांकि ये लोग आज भी अपनी परंपराओं को जीवंत रखे हुए हैं.


 

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