एक आइडिया ने बदली तस्वीर, रेस्तरां के बाहर लगाया अनोखा जनता फ्रिज, अब न खाना वेस्ट होता है और न ही कोई भूखा सोता है

गोरखपुर में एक रेस्तरां के बाहर लगा 'जनता फ्रिज' हर दिन जरूरतमंदों की भूख मिटा रहा है. इसे शुरू किया है रेस्तरां की मालिक सुप्रिया ने, जो एक आइडिया से दो समस्या हल कर रही हैं. पहली फूड वेस्टेज की और दूसरी भूखमरी की.

Janta Fridge
शिल्पी सेन
  • गोरखपुर ,
  • 30 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST
  • देश में हर साल क़रीब 40 प्रतिशत खाना वेस्ट होता है
  • जनता फ्रिज ने दिखाया लोगों को परेशानी का हल

देश में भोजन बर्बाद होने को लेकर आंकड़े चौंकाने वाले हैं. एक अध्ययन अनुसार देश में हर साल क़रीब 40 प्रतिशत खाना वेस्ट होता है. इस बारे में लोग अक्सर बात करते हैं पर समस्या का हल कोई नहीं ढूंढता. 

लेकिन इस बारे में एक अच्छी पहल उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुई है. यहां फूड वेस्टेज (Food Wastage) को चुनौती दे रहा है एक रेस्तरां के बाहर रखा फ्रिज, जिसे ‘जनता फ्रिज’ (Janta Fridge) के नाम से जाना जा रहा है. और यह आइडिया है सुप्रिया द्विवेदी का. 

सुप्रिया ने अपने रेस्तरां में रोज़ बचने वाले खाने को बर्बाद होने से बचाने के लिए यह आइडिया निकाला है, जो अब शहर के जरूरतमंदों की उम्मीद का केंद्र बन गया है।

अब नहीं होता खाना वेस्ट
जनता फ्रिज की कहानी कुछ यूं शुरू हुई कि 2018 में रेस्तरां खोलने वाली सुप्रिया द्विवेदी ने देखा कि उनके यहां रोज़ खाना बच जाता है, जो झूठा भी नहीं होता. रेस्तरां होने के कारण अगले दिन उसका इस्तेमाल भी नहीं हो सकता है. ऐसे में, सुप्रिया ने उस खाने के लिए रेस्तरां के बाहर एक फ्रिज रखवा दिया. 

रोज़ रात को यह खाना इस फ्रिज में रखा जाता है. इसे ऐसे रखा जाता कि कुछ घंटों तक यह एकदम सही रहे. उन्होंने ये व्यवस्था ज़रूरतमंद लोगों के लिए की है. आने वाले ज़्यादातर लोगों की मदद हो सके, इसके लिए उन्होंने खाने की अलग-अलग पैकिंग करके रखवाना शुरू किया. 

दूसरे लोग भी कर रहे हैं मदद
जनता फ्रिज के बारे में जब और लोगों को पता चला तो उन्होंने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया. रेस्तरां में आने वाले लोग सुप्रिया से कहने लगे कि उनके घर में हुए आयोजन में बचे खाने को वे जनता फ्रिज में रखना चाहते हैं. देखते ही देखते, जनता फ्रिज लोगों की मदद का ज़रिया बन गया.

इस काम में चुनौतियां भी कई थीं. सुप्रिया कहती हैं कि किसी की तबियत यहां के खाने के बाद ख़राब न हो ये देखना ज़रूरी था. इसके लिए किसी के यहां से खाना आने के बाद उनके शेफ़ खुद उसको चेक करते हैं. साथ ही, लोग घर में पार्टी ख़त्म होने के बाद आधी रात के बाद भी कभी-कभी खाना पहुंचाने आते हैं. 

साथ दे रहे हैं 12 वॉलंटियर
अब जनता फ्रिज के लिए वे लोगों के घर से बचे खाने का पिक अप भी करवाने लगी हैं. सुप्रिया ने इसी काम के लिए 12 वॉलंटियर भी रखे हैं. सुप्रिया कहती हैं कि अब लोगों की उम्मीद इस आइडिया से जुड़ गयी है. उनका कहना है कि सिर्फ़ गोरखपुर में ही 200 रेस्तरां और होटल हैं. अगर कुछ लोग भी इसकी पहल करें तो कोई भूखा नहीं सोएगा.

कोविड के समय में जब रेस्तरां बंद हो गया तब भी यहां कई ज़रूरतमंद आकर खाने की उम्मीद लगाते. इस समय सुप्रिया ने पैक्ड फूड और बिस्किट आदि रखवाए ताकि जनता फ्रिज से लोगों को निराशा न हो. यहां आने वाले और इस फ्रिज से खाना लेने वाले ज़रूरतमंदों की आंखों में चमक दिखती है. 

सालाना बर्बाद होता है 92 हजार करोड़ रुपए का खाना
रिपोर्ट्स के अनुसार देश में सालाना 92 हज़ार करोड़ रुपए का खाना बर्बाद होता है. लेकिन इस जनता फ्रिज ने गोरखपुर शहर के लोगों को राह दिखायी है. अब लोग सिर्फ़ बचा हुआ खाना ही नहीं रखने आते बल्कि सेवा भाव से भी खाना बनाकर यहां रखने आते हैं. इस रेस्तरां में आने वालों को भी जनता फ्रिज से लोगों की मदद करना अच्छा लग रहा है. 

आम तौर पर आप ‘खाने को बर्बाद न करें’ या ‘उतना ही प्लेट में लें जितना खा पाएं’ जैसे स्लोगन लिखे पढ़ते हैं. लेकिन सुप्रिया ने एक कदम आगे बढ़कर इस परेशानी का हल निकालने की कोशिश की है. अब इसी ‘जनता फ्रिज’ से शहर के ज़रूरतमंदों की उम्मीदें जुड़ गयी है तो वहीं और लोगों को उनकी मदद करने की एक राह मिली है.
 

 

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