आम तौर पर साधु-संत या किसी व्यक्ति द्वारा समाधि ली जाने की खबर हम सुनते रहते हैं लेकिन गुजरात के अमरेली जिले में लाठी तालुका के पाडरशिंगा गांव में रहने वाले किसान ने अपनी पुरानी कार को लकी मानते हुए कार को फूलों से सजाकर समाधि दी.
लाठी तालुका में रहने वाले किसान संजय पोरला ने साल 2013 में कार खरीदी थी. जिसे वह अपने लिए लकी मानते हैं और इसलिए उन्होंने अपनी कार को बेचना मुनासिब नहीं समझ और ग्रैंड फेयरवेल इवेंट होस्ट किया. संजय पोरला का मानना है कि जबसे उन्होंने कार खरीदी, उसके बाद से उन्हें आर्थिक समृद्धि नसीब हुई और समाज में मान-प्रतिष्ठा हासिल हुई.
यादगार बनाया कार का समाधि कार्यक्रम
किसानी से आगे बढ़ाकर वह सूरत पहुंचे और धंधा भी शुरू हुआ. कार पुरानी हुई तो अब संजय पोरला ने सोचा कि उसे बेचने की बजाय शास्त्रोक्त विधि-विधानपूर्वक क्यों ना कार की समाधि हो. कार की समाधि कार्यक्रम को खास और यादगार बनाने के लिए संजय पोरला ने कार की समाधि के लिए आसपास के साधु-संतों समेत अपने रिश्तेदारों को भी आमंत्रित किया.
लोगों को प्रीतिभोज भी कराया
जैसे धार्मिक कार्यकम या शादियों में ढोल नगाड़ों के साथ गरबा कार्यक्रम आयोजित होता है, वैसे ही संजय पोरला ने कार की समाधि कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए 4 लाख रुपए का खर्च किया. संजय पोरला ने आमंत्रण कार्ड बांटकर अपने रिश्तेदारों को आमंत्रित किया, सबके लिए भंडारे का आयोजन किया, ढोल-नगाड़ों के साथ गरबा कार्यक्रम आयोजित करके अपनी लकी कार की समाधि के लिए अपनी ही जमीन पसंद की और अपनी ही जमीन में कार की यादों को हमेशा के लिए कैद कर लिया.
संजय पोरला कहते हैं कि मैं जो कार दस साल से इस्तेमाल कर रहा था वो मेरे लिए लकी साबित हुई, इसलिए मैं उसे किसी और को बेचना नहीं चाहता था. कार यादगार बनी रहे इसलिए आसपास के साधु- संत पूरे गांव और रिश्तेदारों को आमंत्रित करके कार की समाधि के लिए अपनी ही जमीन पसंद की.
कार की वजह से समृद्धि नसीब हुई
संजय पोरला ने कहा, इस प्रसंग में 1500 लोग आमंत्रित थे. इसी कार की वजह से मुझे आर्थिक समृद्धि नसीब हुई और समाज में मान-प्रतिष्ठा हासिल हुई है. तो यह कार किसी और को बेचने की बजाय मैंने इसे अपनी ही जमीन में समाधि बनवाकर रख ली. कार को जिस जमीन में समाधि दी गई है अब वहा संजय आने वाले दिनों में वृक्षारोपण करने वाले हैं.