हर किसी को अपने बालों से बहुत प्यार होता है. बालों को घना और सुंदर बनाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं. खासकर कि लड़कियां और महिलाएं. शायद ही ऐसा कोई नुस्खा हो जो महिलाएं अपने बालों के लिए इस्तेमाल नहीं करती हैं. सालों-सालों तक बालों को कटवाया भी नहीं जाता है कि लंबाई छोटी न हो जाए.
लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे लोगों के बारे में, जो अपने बालों पर लगातार इतनी मेहनत करते हैं और फिर अपने बालों को कटवा देते हैं. पर बालों का कटवाना सिर्फ फैशन या लुक चेंज करने का बहाना हो जरूरी नहीं. क्योंकि आज बहुत से लोग कैंसर मरीजों के लिए भी बाल डोनेट कर रहे हैं.
इस संगठन ने शुरू की मुहिम
आज कई संगठन इस दिशा में काम कर रहे हैं. इन्हीं संगठन में से एक है- 'हेयर फॉर होप इंडिया,' जो ग्लोबल लेवल 'cut a thon' इवेंट का आयोजन करता है. इस संगठन को प्रेमी मैथ्यू ने शुरू किया था जो कि खुद एक कैंसर पेशेंट थीं. इस संगठन से जुड़ी नेहा गोयल बताती हैं कि यह मुहिम कैंसर पेशेंट के लिए बहुत मददगार है.
200 से अधिक लोगों ने इस इवेंट में हेयर डोनेशन किनया है. दरअसल, यह पूरी मुहिम कैसर के मरीजों के लिए है. मरीजों की कीमोथेरेपी के दौरान बाल चले जाना एक आम बात है. लेकिन किसी के सिर पर बालों का न होना एक बड़ी इमोशनल समस्या है. खासकर महिलाओं के लिए. ऐसे में हेयर फॉर होप जैसी संस्थाएं कैंसर पेशेंट के चेहरे पर विग के जरिए एक मुस्कान लाने की कोशिश करती हैं. और इस कोशिश में आम लोगों की भूमिका भी बहुत बड़ी है.
मुफ्त में कैंसर के मरीजों के लिए विग
नेहा का कहना है कि एक विग बनाने में लगभग 3-4 हज़ार रुपए खर्च होते हैं. और यह संगठन कैंसर पेशेंट को इस खर्चे से बचा रहा है. आजकल बालों को कलर करने का भी फैशन हो गया है. कई हॉस्पिटल जैसे एम्स, टाटा मेमोरियल आदि में यह संगठन कैंसर पेशेंट को विग डोनेट करते हैं. इस मुहिम के लिए बहुत से लोग आगे आ रहे हैं.
इस मुहिम का हिस्सा बनने के लिए लोग तीन-चार साल तक लगातार अपने बालों को बढ़ाते हैं. रोहतक के नवनीत कुमार एक छात्र हैं और वह भी हेयर डोनेशन में हिस्सा ले रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें यह प्रेरणा ए दिल है मुश्किल मूवी से मिली. एक 8 साल की बच्ची नंदिका ने भी अपने बाल डोनेट किए. उन्होंने बताया कि जब वह 4 साल की थी तब उसने बाल डोनेट करने की सोची थी. 4 साल तक उसने अपने बाल बढ़ाए और अब हेयर डोनेट कर रही हैं.
बच्चों से लेकर बड़ों तक, सब आ रहे आगे
लातूर, महाराष्ट्र के रहने वाले डॉ प्रीतम कहते हैं कि दिल्ली में एक अस्पताल में प्रैक्टिस करते हुए वह लॉकडाउन में क्वॉरेंटाइन हुए. इसी बीच उन्होंने सोशल मीडिया पर देखा कि लोग कैंसर पेशेंट के लिए बाल डोनेट करते हैं. डॉक्टर प्रीतम ने भी डोनेट करने के लिए बालों को बड़ा करना शुरू किया. हालांकि, इसके पहले कि वह बाल डोनेट कर पाते उन्हें मालूम हुआ कि उनकी मां को भी कैंसर हो गया है.
अब उनकी मां का भी इलाज चल रहा है. प्रीतम कहते हैं कि पहले मां बड़े बालों को देखकर बहुत नाराज होती थी लेकिन अब जब थेरेपी के दौरान उनके खुद के बाल जा रहे हैं तो उन्हें इस मुहिम की अहमियत भी समझ में आ रही है. वहीं, बतौर सीनियर एचआर काम करने वाली ईशा कहती हैं कि वह जीवन भर बालों को इसी तरह डोनेट करते रहना चाहती हैं.