इस स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ दी जा रही मशरूम उगाने की ट्रेनिंग, भविष्य के लिए काफी फायदेमंद

विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि मशरूम की खेती छोटे से खर्च से ही शुरू की जा सकती है. इसमें सामाग्री कीटनाशक, पानी, भूसा और बीज व कुछ अन्य दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली चीजों की आवश्यकता होती है.

पढ़ाई और खेती, किसानी
gnttv.com
  • हमीरपुर, यूपी,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST
  • ऐसे होती है मशरूम की खेती
  • भविष्य के लिए काफी फायदेमंद

यूपी के हमीरपुर जिले में एक सरकारी स्कूल के टीचरों द्वारा छोटे-छोटे छात्र , छात्राओं को पढ़ाई-लिखाई के साथ साथ मशरूम की खेती का प्रशिक्षण भी दिया जा है. हमीरपुर जिले में अभी भी कुछ स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने शिक्षा को एक अलग ही दर्जा दे रखा है. जिसमें विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ तमाम प्रकार के प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं.

ऐसा ही एक स्कूल है हमीरपुर जिले में लोदीपुर निवादा का सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय. यहां के छात्र-छात्राओं को इन दिनों मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो छात्रों के भविष्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा.

ऐसे होती है मशरूम की खेती

विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि मशरूम की खेती छोटे से खर्च से ही शुरू की जा सकती है. इसमें सामाग्री कीटनाशक, पानी, भूसा और बीज व कुछ अन्य दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली चीजों की आवश्यकता होती है. आपको इन सभी चीजों का एक मिश्रण बनाकर तैयार कर लेना है. उसके बाद भूसा उपचारित होने के बाद पन्नी के बंडलों में परत दर परत बीजों को रखते हुए बंद कमरे में रख देना है.

20 दिन में तैयार हो जाता है मशरूम

करीब 15 से 20 डिग्री कमरे का तापमान होने पर बीज अंकुरित होना शुरू कर देते हैं. लगभग 20 दिनों के बाद मशरूम पूरी तरह तैयार हो जाता हैं जिसके बाद यह मशरूम को स्कूल के छात्रों को एम डी एम के तहत भोजन में दिया जाता है. प्रधानाध्यापक ने बताया कि छात्र इस विधि को सीखकर पढ़ाई के साथ साथ आय का भी स्त्रोत बना सकते हैं. इस स्कूल में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण अपने आप में अनोखी पहल है.

नाहिद अंसारी की रिपोर्ट

 

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