भारत में खेती दिन-ब-दिन महंगी होती जा रही है और छोटे किसानों के लिए ट्रैक्टर या कृषि यंत्र खरीदना एक सपने जैसा बन गया है, वहीं बिहार के पूर्णिया जिले के ठाडा गांव के किसान हरेंद्र कुमार ने देसी जुगाड़ से ऐसा ट्रैक्टर और डाला तैयार किया है, जिसने किसानों का जीवन आसान कर दिया है.
बिना किसी बड़ी मशीनरी या महंगे संसाधनों के, हरेंद्र ने कबाड़ में पड़े सामान से ऐसा ट्रैक्टर बना दिया है जो खेती के हर मोर्चे पर खरी उतर रही है. इससे न केवल जुताई होती है, बल्कि फसल को मंडी तक ले जाना, खाद और पानी पहुंचाना, यहां तक कि सिंचाई और जनरेटर का काम भी किया जा सकता है.
किराए पर नहीं लेना पड़ता ट्रैक्टर
हरेंद्र कुमार बताते हैं कि वे कई वर्षों से खेती कर रहे हैं और पहले उन्हें हर सीजन में ट्रैक्टर किराए पर लेना पड़ता था, जिससे खेती की लागत बहुत बढ़ जाती थी लेकिन अब उन्होंने अपने देसी जुगाड़ से यह खर्च काफी हद तक कम कर लिया है. हरेंद्र कुमार बताते हैं, 'अब ट्रैक्टर किराए पर लाने की जरूरत नहीं है. इस गाड़ी से खेत जोत भी लेते हैं, फसल मंडी भी ले जाते हैं और जरूरत पड़ने पर सिंचाई भी करते हैं.'
हरेंद्र की इस गाड़ी को देखकर गांव के दूसरे किसान भी इसका फायदा उठा रहे हैं. उनके पड़ोसी राम पुकार सिंह बताते हैं कि यह गाड़ी छोटे किसानों के लिए बेहद उपयोगी भी है क्योंकि ये छोटे खेतों में भी आसानी से चल जाती है और बड़े ट्रैक्टर की तरह जोताई कर लेती है.
इस गाड़ी में डीजल भी कम लगता है
हरेंद्र के छोटे भाई सरवन कुमार बताते हैं कि इस गाड़ी को चलाना बहुत आसान है और इसमें डीजल भी कम लगता है.
यह देसी ट्रैक्टर उन किसानों के लिए खास वरदान है जो कम संसाधनों के साथ खेती करना चाहते हैं. इसे कोई भी आसानी से चला सकता है और बड़े ट्रैक्टर की तुलना में इसमें खर्च भी कम होता है.
कम खर्च पर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा
हरेंद्र कुमार कहते हैं, वे चाहते हैं कि उन्हें सरकारी मदद मिले ताकि उनके जुगाड़ टेक्नोलॉजी से बनाए गए कृषि यंत्र को बड़े स्तर पर पहचान मिल सके और इस तकनीकी को और उन्नत करते हुए इसे आम किसानों तक पहुंचाया जाए ताकि अन्नदाता और खुशहाल हो सकें और कम खर्च पर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सके.
-स्मित कुमार की रिपोर्ट