Bhangarh Fort: ये है दुनिया का सबसे भूतिया किला, तांत्रिक के श्राप के बाद 3 घंटे में तहस-नस हो गई थी पूरी नगरी, रात होते ही खाली हो जाता है पूरा शहर

अलवर जिले में सरिस्का के जंगल के पास अरावली की वादियों के बीच 17वीं शताब्दी में माधव सिंह ने अपने छोटे बेटे मानसिंह के लिए भानगढ़ किले का निर्माण करवाया था. भानगढ़ किले के साथ 1720 तक यहां 9000 से अधिक घर थे.

Bhangarh Fort (Photo/Wikipedia)
gnttv.com
  • अलवर,
  • 31 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST
  • तांत्रिक के श्राप के बाद 3 घंटे में तहस-नस हो गई थी पूरी नगरी
  • राजस्थान में है दुनिया का सबसे भूतिया किला

राजस्थान के अलवर में एक ऐसा भूतिया किला भानगढ़ है. जिसको देश व दुनिया की सबसे भूतिया जगह कहा जाता है. कहते हैं एक तांत्रिक के श्राप के बाद 3 घंटे में पूरा किला व उसकी नगरी तबाह हो गई. भानगढ़ किले के आसपास एक बड़ा व्यापारिक शहर था. रात के समय यह जगह पूरी खाली हो जाती है. इंसान तो दूर कोई जानवर व पक्षी भी यहां नहीं रहता है. कई बार यहां सर्वे हुए. इस दौरान नेगेटिव सिग्नल मिले. कुछ लोगों ने छुप कर इस रहस्य को जानने का प्रयास किया. तो उनके साथ कोई घटना हो गई.

माधव सिंह ने बनवाया था किला
अलवर जिले में सरिस्का के जंगल के पास अरावली की वादियों के बीच 17वीं शताब्दी में माधव सिंह ने अपने छोटे बेटे मानसिंह के लिए भानगढ़ किले का निर्माण करवाया था. भानगढ़ किले के साथ 1720 तक यहां 9000 से अधिक घर थे. किले के आसपास पूरा शहर बसा हुआ था और यह शहर एक बड़ी व्यापारिक नगरी थी. लेकिन आज इसे भूतों का गढ़ कहा जाता है. इस जगह पर कोई भी इमारत सही सलामत नहीं है. सब कुछ टूटा फूटा है. यहां मंदिर हैं लेकिन उनमें मूर्तियां नहीं है. तो बाजार में दुकानें बनी हुई है. लेकिन उन पर छत नहीं है.

विशेषज्ञों ने बताया कि राजकुमारी रत्नावती बहुत सुंदर थी और काले जादू में माहिर थी. एक तांत्रिक जादूगर को राजकुमारी से प्यार हो गया. एक दिन राजकुमारी की सहेलियां बाजार से इत्र खरीदने गई थी. इस बारे में जैसे ही तांत्रिक को पता लगा. तो उसने उस इत्र की शीशी पर जादू कर दिया. जैसे ही राजकुमारी की सहेलियों ने उनको इत्र की शीशी दी. तो राजकुमारी को भी पता चला कि उस पर कोई जादू है.

राजकुमारी ने उस इत्र की शीशी को एक पत्थर पर फेंक दिया व पत्थर उछलकर जादूगर व तांत्रिक के सिर में लग गया. इससे तांत्रिक की मौत हो गई. लेकिन मारने से पहले तांत्रिक ने राजकुमारी और उस पूरे किले को श्राप दिया. उसके श्राप के बाद 3 घंटे में पूरी नगरी तहसनहस हो गई और वहां रहने वाले सैकड़ो हजारों लोग मर गए. उसके बाद से इस जगह पर रात के समय कोई नहीं रुकता है. इस जगह को पूरी तरह से खाली कर दिया जाता है. यहां जानवर पक्षी भी नहीं रुकते हैं. सूरज ढलने के बाद टूरिस्ट को भी इस किले में जाने की अनुमति नहीं दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस किले व उसके आसपास पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती हैं. किले में मौजूद नेगेटिव एनर्जी की वजह से लोगों में डर का माहौल रहता है. किले से चिल्लाने व रोने ओर चूड़ियों के टूटने की आवाज सुनाई देती है. कई बार विशेष उपकरणों से किले में सर्व करवाए गए. उसे दौरान भी या नेगेटिव एनर्जी मिली. तो कुछ लोगों ने चोरी छुपके रहस्य जाने का प्रयास किया. उन लोगों के साथ बाद में दुर्घटनाएं हो गई.

एनसीआर में बेस्ट टूरिज्म पॉइंट
भानगढ़ फोर्ट जयपुर व दिल्ली के नजदीक है. ऐसे में प्रतिदिन हजारों की संख्या में पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं. दिन के समय मेले जैसा माहौल रहता है. राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश हरियाणा गुजरात मध्य प्रदेश महाराष्ट्र उड़ीसा पश्चिम बंगाल सहित देश के अलग-अलग राज्य व शहरों से लोग हॉन्टेड प्लेस घूमने व इसकी कहानी जानने के लिए यहां आते हैं.

रात के समय नहीं दिया जाता लोगों को प्रवेश
शाम ढलते ही किले के गेटों को बंद कर दिया जाता है. यहां हथियारबंद सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं. रात के समय यहां किसी को प्रवेश नहीं दिया जाता है. किले के गेट पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार इसके लिए के रहस्य को चैलेंज करते हुए लोगों ने किले में जाने का प्रयास किया. उनके साथ किले से लौट के बाद कोई अप्रिय घटना हो जाती है.

सब कुछ है टूटा फूटा
400 साल पुराने इस भूतिया किले में महल को रहस्य में कहा जाता है. यहां मंदिर हैं लेकिन उसमें भगवान की मूर्ति नहीं है. बाजार में दुकानें बनी हुई है. लेकिन दुकानों पर छत नहीं है. घर टूटे-फूटे हैं दीवारें मुड़ी हुई हैं. ऐसे में यहां सब कुछ टूटा फूटा है. किले के आसपास पूरा शहर बस्ती बनी हुई है व उसके अवशेष यहां मौजूद हैं. इसके लिए से जुड़ी हुई सैकड़ो कहानी यहां लोग सुनाते हैं.

कैसे पहुंचें भानगढ़ किला
भानगढ़ का किला अलवर जिले में मौजूद है. टैक्स की मदद से यहां पहुंचा जा सकता है. दिल्ली से 280 किलोमीटर की दूरी पर यह किला मौजूद है. तो जयपुर से महेश 2 घंटे में यहां पहुंचा जा सकता है. अलवर ट्रेन व सड़क मार्ग से सीधा तौर पर जुड़ा हुआ है. ऐसे में बस ट्रेन की मदद से भी यहां पहुंचा जा सकता है.

-हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट

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