History of Chikki: सर्दियों का फेवरेट स्नैक है गुड़ पट्टी या चिक्की, भारतीय रेलवे से जुड़ी हैं जड़ें

सर्दियों का मौसम गुड़ पट्टी या चिक्की के बिना पूरा नहीं होता है. सर्दी के सभी त्योहारों और खास मौकों पर लोग एक-दूसरे के घर मूंगफली के साथ गुड़ पट्टी भेजते हैं.

History of Chikki
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 24 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST
  • भारतीय रेलवे से जुड़े हैं तार 
  • 130 साल पुरानी है रेसिपी

सर्दियों का मौसम मतलब मूंगफली, रेवडी और गज्जक. गज्जक के भारत के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं. कहीं गुड़ पट्टी तो कहीं गुड़ दानी. हालांकि, सबसे ज्यादा इसे चिक्की के नाम से जाना जाता है. चिक्की शब्द  मराठी शब्द "चिक्कट" से आया है, जिसका अर्थ है "चिपचिपा." गुड़ से मूंगफली के दाने चिपके ही तो होते हैं. वैसे तो नट ब्रिटल का कॉन्सेप्ट दुनिया भर में विभिन्न रूपों में सदियों से मौजूद है. फ्रेंच क्रोक्वेंट, ग्रीक पेस्टेली या ईरानी सोहन से लेकर इस कॉन्सेप्ट पर कई वेरिएशन मौजूद हैं, लेकिन चिक्की का आइडिया वास्तव में और सर्वोत्कृष्ट रूप से भारतीय है. 

आज दस्तरखान में हम आपको सुना रहे हैं चिक्की की कहानी. कैसे सर्दियों में घर-घर में खाया जाने वाला यह क्रंची स्नैक अस्तित्व में आया. 

भारतीय रेलवे से जुड़े हैं तार 
बताया जाता है कि चिक्की की अवधारणा 19वीं शताब्दी की है (दिनांक 1882 और 1888 के बीच अनुमानित है) जब भारत में रेलवे लाइन का निर्माण शुरू हुआ था. बंबई और लोनावला के बीच दुर्गम पश्चिमी घाट पर ट्रैक बिछाना मुश्किल काम था. और रेल कर्मचारी थोड़ी देर में थक जाते थे. ऐसे में, एक लोकल मिठाईवाले ने रेल कर्मचारियों के लिए एक एनर्जेटिक स्नैक बनाने की पहल की. यह ऐसी चीज थी जिसे कर्मचारी काम करते हुए भी खा सकते थे और इसे खाने से वे एनर्जेटिक फील करते थे. इस एनर्जी स्नैक का नाम था- चिक्की और इसे बनाया मगनलाल अग्रवाल. 

मगनलाल ने गुड़, मूंगफली और घी से एक हाई कैलोरी स्नैक बनाया, और इसे 'गुड़ दानी' नाम दिया. उन्होंने इसे कर्मचारियों के बीच बांटना शुरू किया. यह स्नैक स्वादिष्ट, हेल्दी, और किफायती था और इससे काम करने वालों को ऊर्जा मिली और जल्द ही यह उनका पसंदीदा बन गया. रेलवे अधिकारियों ने इसे नोटिस किया और अग्रवाल को न सिर्फ कर्मचारियों के लिए, बल्कि ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए नाश्ता बनाने का काम सौंपा. आज चिक्की न सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि विदेशों तक ट्रेनों में बिकती है और मगनलाल चिक्की एक घरेलू नाम बन गया है. 

130 साल पुरानी है रेसिपी 
चिक्की को अस्तित्व में आए लगभग 130 साल हो गए हैं. लेकिन तब से लेकर अब तक इसे बनाने के तरीके में कोई खास बदलाव नहीं आया है. हालांकि, अब कई तरह के वेरिएशन आपको मिलते हैं. मूंगफली सबसे पॉपुलर है लेकिन आप काजू, तिल, चॉकलेट, नारियल और पुदीना सहित मिक्स्ड वर्जन खरीद सकते हैं.

मूंगफली को सुनहरा भूरा होने तक भूना जाता है और फिर पीसकर पाउडर बना लिया जाता है. इसके बाद, घी को बड़े कंटेनरों में गर्म किया जाता है और गुड़ को धीमी आंच पर गर्म किया जाता है. फिर पाउडर को गुड़ और घी में अच्छी तरह मिलाया जाता है और इस मिश्रण में चिक्की बोर्ड पर डाला जाता है और ऊपर से कुछ और मूंगफली डाली जाती है. फिर इसे पतली शीट में लपेटा जाता है और काटा जाता है.

 

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