भारत में मिठाइयों का इतिहास सदियों पुराना है. मिठाइयों में भी बर्फी की बात करें तो अलग-अलग जगह के हिसाब से अलग-अलग तरह की बर्फी हमारे देश में बनती हैं. जैसे कहीं मावा की बर्फी मशहूर है तो कहीं बेसन की बर्फी. हालांकि, इन तरह-तरह की बर्फी में भी कई ऐसी हैं जिन्हें शाही दर्जा मिला हुआ है.
यह दर्जा किसी किताब या लेख में नहीं मिला है बल्कि लोगों ने इनके स्वाद, रंग और टेक्सचर के आधार पर इन्हें दिया है. और ऐसी ही एक शाही बर्फी है डोडा बर्फी. इसका नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आने लगता है. मुख्य तौर पर दूध से बनने वाली यह बर्फी खास मौकों की रौनक बढ़ाती है.
आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं डोडा बर्फी की कहानी. आखिर कैसे बनी यह मिठाई और कैसे आज यह भारत में इतनी प्रचलित है.
बाय चांस बनी थी डोडा बर्फी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोडा बर्फी को किसी महान खानसामे या हलवाई ने नहीं बनाया था बल्कि एक पहलवान ने बनाया था. जी हां, डोडा बर्फी की जड़ें सरगोधा, पंजाब (अब पाकिस्तान में) के एक गांव से जुड़ी हैं. जहां लाला हंसराज विग ने इस बर्फी को बनाया था. यह साल था 1912 और लाला हंसराज हर रोज कुश्ती लड़ा करते थे. और हम सब जानते हैं कि कुश्ती लड़ने के लिए पहलवानों को कितनी ज्यादा डाइट की जरूरत होती है.
कई लीटर दूध, कई किलो घी, और साथ में सूखे मेवा, भारतीय पहलवान, विशेष रूप से पंजाब-हरियाणा से, शुद्ध पोषण लेने में विश्वास करते हैं. हंसराज भी हर दिन इसी तरह की डाइट लेते थे. हालांकि, बताते हैं कि वह अपनी डाइट से बोर हो गए थे और कुछ अलग करना चाहते थे. वैसे भी, उनका दूसरा पैशन कुकिंग था और इसलिए एक दिन वह घर पहुंचे और सीधा किचन में गए. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने दूध में मलाई, शुगर और घी मिलाया और इस मिश्रण को धीमी आंच पर पकाया.
उन्होंने इसमें सूखे मेवा भी मिलाए और इस तरह दूध से बनी डोडा बर्फी. सबसे दिलचस्प बात थी कि यह बर्फी जितनी टेस्टी
होती है उतनी ही हेल्दी भी. इस मिठाई में दूध और मीठा होने से इसमें जरूरी फैटी एसिड, लैक्टोज और मिनरल्स प्रदान करती है. नट्स फाइबर और विटामिन ई देते हैं, एक ऐसा विटामिन जो आपकी स्किन के लिए अच्छा है.
आजादी के बाद भारत पहुंची मिठाई
बताया जाता है कि हंसराज की मिठाई को न सिर्फ उनके घरवालों ने बल्कि गांव के लोगों ने भी चखा. धईरे-धीरे उनकी मिठाई बाजार तक पहुंच गई. लोगों उन्हें ऑर्डर देने लगे. हालांकि, साल 1947 में बंटवारे के बाद विग परिवार सरगोधा छोड़कर पंजाब के कोट कपुरा में आ बसा जो वर्तमान भारत का हिस्सा है. यहां पर उन्होंने अपनी खुद की मिठाई की दुकान शुरू की जिसका नाम है Royal Dhodha House. और समय के साथ उनका कारोबार बढ़ता रहा.
वैसे तो आज भारत में आपको बहुत सी मिठाई की दुकानों पर डोडा बर्फी मिल जाएगी. लेकिन इसकी असल रेसिपी आज भी विग परिवार की विरासत है जो पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के लोगों को दी जाती है. कहते हैं कि विग परिवार की दुकान का डोडा एकदम वैसा ही टेस्ट करता है जैसा कि उनके पूर्वज ने बनाया था. उनका बनाया डोडा भारत के बाहर भी पहुंच रहा है.
उनकी मिठाई अब पंजाब के 40 शहरों में बेची जाती है और यह संयुक्त राज्य अमेरिका तक भी पहुंची है. रोयल डोडा स्वीट के 100 साल पूरे होने की खुशी में इसे व्हाइट हाउस भेजा गया था. जहां उनकी बर्फी की काफी तारीफ हुई. आज मिठाइयों के लिए बड़े ब्रांड्स जैसे हल्दीराम, बिकानेरवाला में डोडा बर्फी की कीमत 1000 रुपए/किलो तक जाती है.