History of Gulkand: गर्मियों में शरीर को ठंडा रखता है गुलकंद, आयुर्वेदिक और यूनानी साहित्य में मिलता है इसका जिक्र

गर्मी से राहत पाने के लिए Summer Coolents की लिस्ट में गुलकंद का नाम भी शामिल होता है. खास तरह के गुलाब से बनने वाला यह व्यंजन दूसरे व्यंजनों के साथ मिलकर उनका स्वाद और गुण बढ़ा देता है. आज दस्तरखान में जानिए कहानी गुलकंद की.

History of Gulkand
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

गर्मियों के मौसम में भारतीय परिवारों में बहुत से सीजन स्पेशल डिशेज और ड्रिंक्स डाइट रूटीन में शामिल किए जाते हैं ताकि गर्मी और लू से बचाव हो सके. शिकंजी, आम पन्ना, बेल शरबत आदि के साथ-साथ इस मौसम में गुलकंद भी खूब खाया जाता है. बताया जाता है कि गुलकंद गर्मियों में हमारे शरीर को ठंडा रखने का काम सकता है. इसे Summer Coolent भ कहते हैं और इसे आसानी से घर पर बनाया जा सकता है. 

एक खास तरह से बनने वाली यह डिश दुनिया में सदियों पुरानी है और भारत में भी इसका इतिहास कई सौ साल पुराना है. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं कहानी गुलकंद की, जो खाने में मीठा और तासीर में ठंडा होता है. 

900 ईसा पूर्व का है इतिहास 
इस डिश के नाम 'गुलकंद' की व्युत्पत्ति के अनुसार इसकी उत्पत्ति फ़ारसी और उर्दू से हुई है. 'गुल' शब्द का आम तौर पर फ़ारसी और उर्दू दोनों में अर्थ 'फूल' और अरबी में 'कंद' का अर्थ 'मीठा' होता है. ऐसा माना जाता है कि इस प्रिजर्व की उत्पत्ति 900 ईसा पूर्व के आसपास हुई थी. इसमें शीतलता और शांति देने वाले गुण होते हैं, यही कारण है कि इसे पारंपरिक रूप से गर्मी को मात देने के शाही व्यंजनों के साथ जोड़ा गया है. 

प्राचीन भारतीय (आयुर्वेदिक), यूनानी, फारसी और अरबी (यूनानी) चिकित्सक विभिन्न प्रकार की गर्मी से संबंधित बीमारियों को कम करने के लिए गुलकंद लेने की सलाह देते थे. इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से गुलकंद का सेवन लोगों को शीतलता देने के लिए किया जाता था. 900 ईसा पूर्व के आयुर्वेदिक ग्रंथों में गुलकंद को "रसायन" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, यह "टॉनिक" के लिए संस्कृत शब्द है. इस तरह से गुलकंद एक टॉनिक है जो गर्मियों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे सन-स्ट्रोक, एसिडिटी, अपच, सुस्ती, सूजन वाली आंखें, अत्यधिक पसीने को कम करने में मदद करता है.  

खास तरह के गुलाब से बनता है गुलकंद 
गुलकंद को खासतौर पर दमिश्क गुलाब की पंखुड़ियों से बनाया जाता है. दमिश्क को हमेशा प्यार, रोमांस और रोमांच से जुड़ी सभी चीजों से जोड़ा गया है. कुछ ऐतिहासिक साक्ष्यों के मुताबिक गुलकंद का नर्वस सिस्टम पर शांत प्रभाव पड़ता है. और तो और गर्मियों के महीनों के दौरान नियमित रूप से सेवन करने पर यह शरीर की गंध को कम करने का भी काम करता है. यह कील और मुंहासे जैसी त्वचा की समस्याओं को कम करके त्वचा के रंग में सुधार करता है. 

दमिश्क गुलाब से तैयार गुलकंद की अपने फायदों के कारण प्राचीन राजपरिवार और अभिजात वर्ग में काफी ज्यादा मांग थी. आपको बता दें कि 16वीं शताब्दी में जब मुस्लिम मुगल बादशाह फारस और अफगानिस्तान से भारत आए, तो वे ऊंटों पर गुलाब के फूल लादकर लाए थे. वास्तव में कहा जाता है कि पहले मुगल बादशाह बाबर भारत में दमिश्क गुलाब लेकर आए थे. गुलकंद बनाने के लिए आपको बस गुलाब की पंखुड़ियां, चीनी और सौंफ और इलायची जैसे बुनियादी सुगंधित मसाले चाहिए. इसे बनाने की प्रक्रिया में धूप बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि इसे धूप में महीनेभर पकाया जाता है और तब यह जाकर तैयार होता है. 

 

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