आज के समय में इडली दक्षिण भारत के घरों में बनने वाली ब्रेकफास्ट डिश नहीं है बल्कि यह इंटरनेशनल डिश बन चुकी है. इडली, गर्म सांबर और नारियल की चटनी.... गली-नुक्कड़ की छोटी सी फूड स्टॉल से लेकर फाइव स्टार होटल तक में आपको यह डिश मिल जाएगी. दिलचस्प बात यह है कि इडली स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी रहती है. यह फिटनेस के लिए बेस्ट हेल्दी ब्रेकफास्ट ऑप्शन्स में से एक है.
आज सबको लगता है कि दक्षिण भारत ने इडली को इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचाया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इडली मूल रूप से भारत की नहीं है! जी हां, जानकर हैरानी होगी लेकिन यही फैक्ट है कि इडली भारत को साउथ एशिया के एक देश से मिली है. लेकिन इसे भारतीयों ने कुछ ऐसे अपनाया कि इडली नाम लेने के साथ ही भारत का नाम दिमाग में आता है. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं कहानी इडली की.
इंडोनेशिया से है इडली का ताल्लुक
कर्नाटक के मशहूर फूड साइंटिस्ट, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट और फूड हिस्टोरियन के टी आचार्य के अनुसार, इडली की उत्पत्ति वर्तमान इंडोनेशिया में 7वीं से 12वीं शताब्दी में होने का अंदाजा है. जहां इसे 'केडली' या 'केदारी' के नाम से जाना जाता था. 7वीं से 12वीं सदी तक इंडोनेशिया में कई हिंदू राजाओं ने राज किया और जब वे छुट्टियों में अपने रिश्तेदारों से मिलने या अपने लिए दुल्हन ढूंढने भारत आते थे तो अपने शाही रसोइयों को भी अपने साथ लाते थे.
इस तरह केडली की इंडोनेशियाई रेसिपी भारत आई और इडली के रूप में रूपांतरित हो गई. 'इडली ओरिजिन्स' की एक अन्य कहानी कहती है कि इडली ऐतिहासिक रूप से अरबों से भी जुड़ी हुई है. 'एनसाइक्लोपीडिया ऑफ फूड हिस्ट्री' नामक किताब और 'सीड टू सिविलाइजेशन - द स्टोरी ऑफ फूड' नामक एक अन्य किताब में कहा गया है कि भारत में बसने वाले अरब सिर्फ हलाल फूड प्रोडक्ट्स का ही सेवन करते थे और चावल से बनी बॉल्स उनका पसंदीदा खाना थीं. ये चावल के बॉल्स आकार में थोड़े चपटे थे और अरब लोग इन्हें नारियल की ग्रेवी के साथ मिलाते थे.
भारतीय ग्रंथों में इडली का जिक्र
इंडोनेशिया से भारत आई इडली धीरे-धीरे भारतीय बन गई और हमारे पास इस बात का प्रमाण भी है कि इडली भारतीय व्यंजनों का हिस्सा है. इडली का उल्लेख विभिन्न प्राचीन भारतीय ग्रंथों में किया गया है, जिसमें 7वीं शताब्दी की कन्नड़ कृति "वड्डराधाने" भी शामिल है, जिसमें "इद्दलिगे" की तैयारी के बारे में लिखा हुआ है. इस व्यंजन का उल्लेख 10वीं शताब्दी के तमिल पाठ "पेरिया पुराणम" में भी किया गया था.
यह भी कहा जाता है कि 10वीं शताब्दी ईस्वी में गजनी मोहम्मद के सोमनाथ मंदिर पर हमला करने के बाद सौराष्ट्रियन व्यापारी दक्षिणी भारत में चले गए और इडली की रेसिपी लेकर आए और इसका नाम भी रखा.
बनाई गईं स्पेस इडली
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की एक भारतीय लैब, रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (DFRL) ने सांबर पाउडर और चटनी पाउडर के साथ 'स्पेस इडली' तैयार की, जिसे भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान के दौरान अंतरिक्ष यात्री अपने साथ स्पेस मे लेकर गए थे.