History of Pav Bhaji: जानिए कैसे मुंबई का स्ट्रीट फूड बन गई पाव भाजी, अमेरिका के सिविल वॉर से जुड़ी हैं जड़ें

History of Pav Bhaji: आज दस्तरखान में पढ़िए पाव भाजी की कहानी. मुंबई का फेमस स्ट्रीट फूड है पाव भाजी लेकिन क्या आपको पता है कि इसके तार अमेरिका के सिविल वॉर से जुड़े हैं.

History of Pav Bhaji
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST
  • बेस्ट स्ट्रीट फूड्स में से एक है पाव भाजी
  • पाव भाजी का है अमेरिकन कनेक्शन

मसालेदार भाजी के साथ कुरकुरा टोस्टेड पाव, ऊपर से कुछ कटे हुए प्याज और मक्खन का एक टुकड़ा- बस इस डिश का एक ख्याल ही फूड लवर्स के मुंह में पानी लाने के लिए काफी है. यह स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड न केवल भारत में लोकप्रिय है, बल्कि इसे हर उम्र के लोग पसंद करते हैं. मसले हुए आलू और कई अन्य सब्जियों से बना यह स्वादिष्ट व्यंजन सालों से भारत में है. 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाव भाजी वास्तव में भारतीय नहीं है? हां, आपने उसे सही पढ़ा है। पाव भाजी महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला व्यंजन हो सकता है लेकिन इसकी जड़ें भारतीय नहीं हैं.

पाव भाजी का इतिहास
पाव भाजी की जड़ें पुर्तगाली भाषा में खोजी जा सकती हैं, जहां कहा जाता है कि यह व्यंजन मूल रूप से बनाया गया था. पुर्तगाली लोग सभी सब्जियों को एक साथ मिलाकर पाव भाजी बनाते थे और इसे रोटी के साथ खाते थे. पुर्तगाली भाषा में ब्रेड को 'पाओ' कहा जाता है, जिसे भारत में पाव या पाओ भी कहा जाता है. कई लोग कहते हैं कि 'पाव' नाम इसलिए रखा गया, क्योंकि यह ब्रेड का 1/4 हिस्सा होता था. 

पाव भाजी भारत तब आई, जब राजकुमारी कैथरीन डी ब्रैगेंज़ा की शादी ब्रिटिश राजकुमार चार्ल्स द्वितीय से हुई थी, तब पुर्तगालियों ने दहेज में बॉम्बे (अब मुंबई) अंग्रेजों को उपहार में दे दिया था. इस तरह स्वादिष्ट पाव भाजी मुंबई की खासियत बन गई और आज तक अपने स्वाद के लिए जानी जाती है. 

पाव भाजी का अमेरिकन कनेक्शन
पाव भाजी को 1861-1865 तक हुए अमेरिकी गृहयुद्ध से भी जोड़ा जाता है. उस दौरान अमेरिका में चल रहे युद्ध के कारण अंग्रेजों के पास कपास की आपूर्ति की कमी थी. इसलिए मुंबई में कपास मिलों को थोक में कपास तैयार करने का आदेश दिया. इतने बड़े ऑर्डर को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को दिन-रात मेहनत करनी पड़ी. श्रमिकों को खाना खिलाने के लिए ऐसी मिलों के बाहर छोटे-छोटे स्टॉल लगाए गए थे. 

उन्हें ऐसा खाना बनाना था जो न केवल सस्ता हो बल्कि बनाने में भी आसान हो. ये स्टॉल दिन भर की बची हुई सब्जियों से भाजी बनाते थे और बन के साथ परोसते थे. यह डिश न केवल पौष्टिक थी बल्कि चौबीसों घंटे उपलब्ध भी थी. जैसे-जैसे मुंबई भर में मिलों की संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे ये पाव भाजी स्टॉल भी बढ़ते गए.

अलग-अलग हिस्सों में पाव भाजी
आज, यह पाव भाजी भारत के हर हिस्से में खाई जाती है. हालांकि, हर एक इलाके की अपनी एक खासियत इसमें जोड़ी गई है. जहां मुंबई की पाव भाजी मसालेदार होती है और पारंपरिक रूप से कटे हुए प्याज और धनिये के साथ परोसी जाती है, वहीं दक्षिण भारत की पाव भाजी में करी पत्ते का तड़का लगाया जाता है. 

गुजरात में बनाई जाने वाली पाव भाजी, जिसे जैन पाव भाजी भी कहा जाता है, प्याज और लहसुन के बिना बनाई जाती है. पाव भाजी का पंजाबी वर्जन एक्सट्रा मक्खन और गरम मसाले के साथ बनाया जाता है, जो इसे एक अलग स्वाद देता है. इसे छाछ के साथ परोसा जाता है. 

 

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