भारत में पाक कला की संस्कृति बहुत ही विविध और पुरानी है. हमारे देश में खाने का इतिहास कुछ साल नहीं बल्कि सदियों पुराना है. आज भी हम बहुत से ऐसे व्यंजन खाते हैं जो सदियों से भारत में खाए जा रहे हैं तो बहुत से व्यंजन ऐसे हैं जिनका स्वरूप आज बदल गया है. इस सबके बीच बहुत से व्यंजन ऐसे हैं जो आज के जमाने में लगभग गुम हो चुके हैं और न के बराबर लोगों के घरों में बनते हैं. ऐसा ही एक व्यंजन है प्याज की खीर.
सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन हां एक जमाना था जब प्याज की खीर खूब बनाई और खाई जाती थी. लेकिन अब इसका अस्तित्व बहुत ही कम जगह मिलता हैं. हालांकि, इस व्यंजन का भारत के इतिहास से गहरा रिश्ता है. क्योंकि प्याज की खीर का इतिहास निज़ामों की धरती से जुड़ा हुआ है. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं प्याज की खीर का इतिहास और कहानी.
चावल की कमी के कारण हुआ जन्म
आपको बता दें कि निज़ामी सल्तनत के व्यंजनों में कलनरी इंग्रेडिएंट्स के साथ-साथ कुछ अनोखी पाक तकनीकें भी शामिल हैं. जी हां, उनके खानों को बनाने और पकाने की कलाएं एकदम अलग हुआ करती थीं, जिस कारण कई बार खाने के बाद भी आपको पता नहीं चलता था कि क्या सामग्री इस्तेमाल की गई हैं. ऐसी ही एक अलग पाक तकनीक की डिश थी प्याज की खीर, जिसे बहुत सी जगहों पर अनोखी खीर भी कहा जाता है. यह निज़ामों के शहर हैदराबाद की सैकड़ों साल पुरानी मिठाई है. लेकिन आज सिर्फ एक-जगहों पर ही यह आपको खाने को मिले.
बताते हैं कि निज़ामी सल्तनत के दौरान आम लोगों ने इस व्यंजन को पकाना शुरू किया. इसका कारण था कि निज़ामी सल्तनत के लोग अक्सर युद्ध पर होते थे और युद्ध के समय ज्यादातर चावल सेना की रसद के लिए भेजा जाता था. ऐसे में, आम लोगों के लिए चावल ले पाना बहुत मुश्किल हो जाता था. तब लोगों मे एक किफायती सामग्री प्याज को अपनाया. जो मध्यम और गरीब वर्ग के नागरिक अच्छी गुणवत्ता वाले चावल नहीं खरीद सकते थे, वे अपनी खीर में इसकी जगह प्याज का इस्तेमाल करते थे. यह प्याज की खीर गर्मियों में एक सामान्य भोजन था, क्योंकि इसे शरीर को ठंडा रखने के लिए ठंडा करके परोसा जाता था.
खीर बनाने की अनोखी पाक तकनीक
प्याज की खीर में चावल का नहीं बल्कि प्याज का इस्तेमाल होता है. इसमें दूध के साथ मुख्य सामग्री के रूप में सामान्य चावल के बजाय प्याज का उपयोग किया जाता है. लेकिन इसमें प्याज का तीखापन जरा भी नहीं आता है. इस कमाल के पीछे की वजह है एक अलग पाक तकनीक. दरअसल, प्याज की खीर बनाते समय, सबसे पहले प्याज के तीखेपन को हटाया जाता है. इसके लिए बड़े सफेद प्याज का उपयोग किया जाता है, और कटे हुए प्याज को पानी में कई बार उबाला जाता है जब तक कि वह फूल न जाए, जिससे इसमें मिठास आ जाती है. इसके बाद इसे उबलते हुए दूध में डाला जाता है और फिर इसमें चीनी और खोया मिलाया जाता है. स्वाद बढ़ाने के लिए पिसी हुई इलायची के बीज, बादाम, काजू और पिस्ता भी डाला जा सकता है.
हैदराबाद में एक-दो रेस्टोरेंट या होम शेफ को छोड़कर, अब यह व्यंजन कम ही देखने या खाने को मिलता है. लेकिन इंटरनेट पर आपको इसकी रेसिपी आसानी से मिल जाएगी. इस व्यंजन के धीरे-धीरे लुप्त होने की एक वजह समय के साथ प्याज के बढ़ते दाम भी हो सकते हैं. लेकिन गर्मी के मौसम में शरीर को अंदरूनी ठंडक देने के लिए प्याज की खीर अच्छी रेसिपी हो सकती है. इसी तरह, कई जगह लहसुनी खीर का भी जिक्र मिलता है जिसमें प्याज की जगह बड़ी-बड़ी लहसुन की कलियों का इस्तेमाल होता है. और इसे अवध के नवाबों ने बेनामी खीर का नाम दिया था.