गर्मियों की शुरुआत होते ही बाजार में पारंपरिक कूल ड्रिंक्स जैसे लस्सी , मसाला छाछ, शिकंजी और ठंडाई के ठेले दिखने लगते हैं. इन पारंपरिक ड्रिंक्स से न सिर्फ गला ठंडा होता है बल्कि इनमें आयुर्वेदिक गुण भी होते हैं. इनमें से बात करें ठंडाई की तो ठंडाई का न सिर्फ आयुर्वेदिक बल्कि पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है. यह एक पारंपरिक भारतीय ड्रिंक है जिसका आनंद देश में सदियों से लिया जाता रहा है. खासकर कि भगवान शिव से ठंडाई का गहरा नाता है.
महाशिवरात्रि और होली पर ठंडाई पीने और पिलाने का महत्व है. देश में कई शिव नगरी ऐसी हैं जहां ठंडाई को प्रसाद के रूप में भोलबाबा को चढ़ाया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में बांटा भी जाता है. इसलिए आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं ठंडाई का इतिहास और कहानी.
कहां से आई ठंडाई
ठंडाई का इतिहास प्राचीन भारत से मिलता है, जहां माना जाता था कि इसमें औषधीय गुण हैं और इसका उपयोग शरीर को ठंडा करने और इंद्रियों को शांत करने के लिए किया जाता था. "ठंडाई" शब्द हिंदी शब्द "ठंडा" से लिया गया है. यह पेय दूध, मेवे और मसालों के मिश्रण से बनाया जाता है. कहा जाता है कि ठंडाई सबसे पहले भगवान शिव को प्रसाद के तौर पर अर्पित की गई थी. इसे महाशिवरात्रि पर पीने का खास महत्व होता है. महाशिवरात्रि के दिन शिवजी ने मां पार्वती से विवाह किया था, यह त्योहार होली से कुछ दिन पहले आता है.
महाशिवरात्रि के कुछ दिन बाद आने वाले त्योहार होली पर भी ठंडाई का बहुत महत्व होता है. किंवदंती है कि भगवान शिव के एक तपस्वी (वैराग्य) के जीवन से पारिवारिक जीवन (गृहस्थ्य) में लौटने का जश्न मनाने के लिए होली पर भांग की ठंडाई पी जाती है.
सेहत के लिए फायदेमंद
साथ ही, होली ऐसे समय में आती है जब देश के अधिकांश हिस्से सर्दी से गर्मी की ओर जा रहे होते हैं. ठंडाई, जैसा कि नाम से पता चलता है, गर्मी से राहत दिलाने के लिए बनाई जाती है. इसके सभी तत्व शरीर को इन परिवर्तनों के लिए तैयार करते हैं. जैसे ठंडाई में इस्तेमाल हुई सौंफ धीरे-धीरे बढ़ते तापमान के खिलाफ कूलेंट के रूप में काम करती है, जबकि काली मिर्च शरीर को सर्दियों के आखिरी दिनों में गर्म करती है.
ठंडाई और भांग में क्या है कनेक्शन?
ठंडाई की बात हो और भांग का नाम न आए ऐसा नहीं हो सकता है. हालांकि, भांग के बिना भी ठंडाई बनाई जाती है लेकिन भांग के साथ बनाई गई ठंडाई देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. ऐसा माना जाता है कि शिवजी ने अपने आंतरिक ध्यान को गहरा करने और दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग करने के लिए भांग का सेवन किया था.
भांग को हिंदू शास्त्र अथर्ववेद में भी जगह मिलती है, जहां इसे पृथ्वी पर पांच सबसे पवित्र पौधों में से एक का नाम दिया गया है और इसे 'मुक्तिदाता' कहा गया है. हालांकि, आज भारत में ठंडाई कई फ्लेवर्स में उपलब्ध है. अलग-अलग फ्लेवर के साथ लोग बिना भांग वाली ठंडाई महाशिवरात्रि और होली पर बनाते हैं. इसके अलावा बहुत से घरों में, खासकर गांवों में गर्मी में बादाम वाली ठंडाई बनाई जाती है.