उत्तर और पूर्वी भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का उत्सव एक खास व्यंजन के बिना पूरा नहीं होता है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस स्पेशल डिश के लिए मकर संक्रांति का इंतजार करते हैं और यह डिश है- तिलकुट. तिल, ड्राई फ्रूट्स, गुड़, और घी आदि से बना तिलकुट मकर संक्रांति के उत्सव में विशेष स्थान रखता है.
उत्तर-प्रदेश, बिहार से लेकर हरियाणा-राजस्थान के कुछ इलाकों में भी मकर संक्रांति के मौके पर तिलकुट बनाने की परंपरा है. हालांकि, माना जाता है कि सबसे ऑथेंटिक तिलकुट बिहार के गया में मिलता है. देश-दुनिया के लोग गया में तिलकुट का स्वाद चखने के लिए आते हैं. आज दस्तरखान में जानिए तिलकुट का इतिहास.
150 साल पुरानी परंपरा
तिलकुट बनाने के लिए तिल को भूना और फिर कूटा जाता है. तिल को कूटकर बनाने की प्रक्रिया के कारण ही शायद तिलकुट नाम पड़ा है. तिलकुट बनाने की परंपरा मुख्य तौर पर बिहार और झारखंड राज्यों में प्रचलित है. हालांकि, दूसरे राज्यों में भी तिल से स्नैक्स बनाए जाते हैं जिन्हें तिलकुट्म, गज्जक या तिलपट्टी के नाम से जाना जाता है. वैसे तो इसका स्वाद साल के किसी भी समय लिया जा सकता है, लेकिन यह मुख्य रूप से मकर संक्रांति के त्योहार से जुड़ा है.
मकर संक्रांति पर घर पर तिलकुट बनाया जाता है और फिर इसे रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर भिजवाया जाता है. तिलकुट की जड़ें विशेष रूप से गया जिले से जुड़ी हुई हैं. लगभग 150 वर्षों के इतिहास के साथ, तिलकुट की उत्पत्ति रमना के टेकारी रियासत से हुई, जो आज भी प्रामाणिक तिलकुट के लिए सबसे प्रमुख स्थान है. ऐसा कहा जाता है कि टेकारी के राजा को तिलकुट बहुत पसंद था और उन्होंने इसके उत्पादन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया था. उन्होंने क्षेत्र में गन्ने की खेती को भी प्रोत्साहित किया क्योंकि इस मिठाई के उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में गुड़ की जरूरत होती थी.
यह भारत के फसल उत्सव मकर संक्रांति के दौरान तैयार किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्यंजन है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तिलकुट का मुख्य घटक, तिल बहुत ही पवित्र है और भगवान यम (मृत्यु के देवता) का इसे आशीर्वाद मिला हुआ है. इसलिए इसे अमरता का बीज और समृद्ध भविष्य का प्रतीक माना जाता है.
सेहत के लिए अच्छा है तिलकुट
साल 2023 में गया के तिलकुट को जीआई टैग दिलवाने के लिए एप्लिकेशन भी डाली गई है, जिसमें पकवान के सांस्कृतिक महत्व और लोकप्रियता पर जोर दिया गया था. उम्मीद है कि जल्द ही इस ऐतिहासिक स्नैक को इसकी सही पहचान मिल सकती है. कहते हैं कि गया के जैसा तिलकुट आपको किसी और जगह नहीं मिलेगा. यहां पर सालों से तिलकुट बनाने की एक ही विधि को फॉलो किया जा रहा है जिसके कारण इसका स्वाद बरकरार है.
यहां पर मुख्य तौर पर तीन तरह के तिलकुट बनाए जाते हैं- सफेद तिलकुट, शक्कर तिलकुट और गुड़ तिलकुट. सफेद तिलकुट को रिफाइंड शुगर के साथ बनाया जाता है. वहीं, शक्कर तिलकुट को अनरिफाइंड शुगर के साथ और गुड़ तिलकुट को बनाने के लिए गुड़ का इस्तेमाल करते हैं जिस कारण यह दिखने में गहरे रंग का होता है. लेकिन स्वास्थ्य के लिए तिलकुट अच्छा होता है क्योंकि तिल में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. और अगर इसे सही मात्रा में खाया जाए तो तिलकुट आपकी सेहत के लिए बेहतर साबित होता है.