केरल में हजारों महिलाएं हर दिन खाना बनाकर हजारों अजनबियों का पेट भर रही हैं. वे हर दिन 40,000 पोटीचोरू भोजन पैकेट तैयार करती हैं. ये सिलसिला 2017 से चल रहा है. पोटीचोरू-मील पार्सल बेहद ही साधारण घरेलू रसोई से शुरू हुई एक पहल है. इसमें जरूरतमंदों को खाना खिलाया जाता है. ये पहल 2017 में कुल 300 खाने के पार्सल से साथ शुरू हुई थी.
कुल 300 पैकेट के साथ शुरू हुई थी पहल
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ये पहल CPI(M) के युथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने शुरू की है. DYFI ने इसे 1 जनवरी, 2017 को तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में केवल 300 पोटीचोरू पैकेट के साथ शुरू किया था. इस अभियान को 'हृतयपूर्वम' कहा जाता है, इसका मतलब 'हार्दिक भोजन पार्सल' है.
डीवाईएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष और सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद एए रहीम ने बताया, "आज, छह साल बाद, हम केरल के 14 जिलों के 50 अस्पतालों में हर दिन लगभग 40,000 'पोथीचोरू' बांट रहे हैं.” 'हृतयपूर्वम' पोथिचोरु के लिए कोई सामुदायिक रसोई नहीं है, 40,000 भोजन पैकेटों में हर घर से आता है. इसे लेकर एए रहीम कहते हैं, "हम केवल घरों से पहले पोथीचोरू इकट्ठा करते हैं और फिर इसे बांटने जाते है.”
योजना बनाकर खाने के पैकेट बांटे जाते हैं
डीवाईएफआई कार्यकर्ताओं सावधानीपूर्वक योजना बनाकर 'हृतयपूर्वम' पोथिचोरु पैकेट बांटते हैं. पूरे साल के लिए भोजन वितरण का कैलेंडर तैयार किया जाता है. फिर यह लिस्ट डीवाईएफआई क्षेत्रीय समितियों के साथ शेयर की जाती है. ये क्षेत्रीय समितियां एक के बाद एक भोजन वितरण की जिम्मेदारी लेती हैं.
डीवाईएफआई कार्यकर्ता अपने इलाके में घरों का दौरा करते हैं और उनसे अगले दिन के दोपहर के भोजन के लिए अलग से भोजन पकाने का अनुरोध करते हैं. फिर ये कार्यकर्ता इस अतिरिक्त भोजन को इकट्ठा करते हैं और इसे जिले के नामित सरकारी अस्पतालों में बांटते हैं.
लोग बढ़ चढ़कर लेते हैं हिस्सा
सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद एए रहीम कहते हैं, "पोतिचोरू वितरण पूरे समाज के सहयोग से होता है. भले ही हम केवल एक व्यक्ति के लिए भोजन मांगते हैं, कई परिवार कम से कम तीन लोगों के लिए भोजन तैयार करते हैं." भोजन कोई भी बना सकता है, और कोई भी इसे इकट्ठा कर सकता है. एए रहीम आगे कहते हैं, ''अगर आपको भूख लगी है, तो आप पार्सल ले सकते हैं.''
बच्चों को मिलती है इससे शिक्षा
बाढ़, कोविड महामारी और लॉकडाउन जैसे संकटों के दौरान भी कार्यकर्ता इस भोजन वितरण में लगे हुए थे. हृदयपूर्वम पोथिचोरु पहल केवल भोजन बांटने के बारे में नहीं है. बल्कि इससे बच्चों में देने की कला को विकसित किया जा सकता है.