अधिकतर लोग अपनी सैलरी के बारे में सार्वजनिक रूप से बात करना पसंद नहीं करते हैं. हालांकि शादी के बाद यह नियम लागू नहीं होता है. वैवाहिक विच्छेद के मामले में एक व्यक्ति को अपनी आय का विवरण पत्नी के साथ साझा करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है. हाल ही में एक महिला ने जब आरटीआई के जरिए अपने पति की आय का ब्योरा मांगा तो पहले तो उसे इसके लिए इनकार कर दिया गया लेकिन बाद में CIC में अपील दायर कर महिला ने अपने पति का सारी कुंडली निकलवा ली.
आरटीआई दायर कर पता कर ली सैलरी
संजू गुप्ता नाम की एक महिला ने आरटीआई दायर कर अपने पति की आय का ब्योरा मांगा. शुरू में तो सीपीआईओ ने आरटीआई के तहत सैलरी की जानकारी देने से इनकार कर दिया क्योंकि पति ने इसके लिए सहमति नहीं दी थी. इसके बाद महिला ने प्रथम अपीलीय अथॉरिटी (FAA) के पास अपील दायर की. प्रथम अपीलीय प्राधिकरण, लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी होता है. लेकिन FAA ने CP IO के फैसले को बरकरार रखा. महिला ने दोबारा CIC में अपील दायर की.
कोर्ट के कुछ फैसलों के आधार पर मिली अनुमति
इसके बाद CIC ने अपने पिछले कुछ पूर्व में दिए आदेशों, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों पर गौर किया. इसके बाद CIC ने इस मामले में CPIO को निर्देश दिया कि वह 15 दिन के भीतर पति की नेट टैक्सेबल इनकम/ग्रॉस इनकम की जानकारी पत्नी को उपलब्ध कराए. दरअसल वैवाहिक विच्छेद के मामले में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पत्नी को सैलरी डीटेल्स देने से इनकार नहीं किया जा सकता.
किन मामलों में दी जा सकती है जानकारी
हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है, सरकारी विभागों में काम करने वाले पति की सही सैलरी जानने के लिए पत्नियों के ऐसे कई आवेदन उन डिपार्टमेंट्स में पड़े हुए हैं. इससे पहले अपने एक फैसले में सीआईस ने कहा था कि पत्नियों को पति के सैलरी से जुड़ी जानकारी पाने का पूरा अधिकार है, खासकर तब, जब वह गुजारे भत्ते से जुड़े मामले के संदर्भ में ऐसी जानकारी चाहती हों. हालांकि वो जानकारी जिसके खुलासे के बाद किसी व्यक्ति का जीवन या शारीरिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाए वो नहीं दी जाती है.