जापान में कहीं बुजुर्ग महिलाएं चुन रहीं जेल तो कहीं मछलियों के लिए लगाए जा रहे इंसानों के कट आउट... वजह?

जापान का यह अनोखा संकट हमें यह समझने का मौका देता है कि सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव हमारे जीवन के लिए कितने जरूरी हैं. इंसान हो या जानवर, दोनों को ही साथी और देखभाल की जरूरत होती है.

Japanese women and fishes loneliness (Photo/Social Media)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST
  • जेल बना बुजुर्गों का नया घर 
  • अकेलापन जानवरों के लिए समान है 

जापान, दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक, आज एक ऐसे संकट से जूझ रहा है जो उसकी आधुनिकता और परंपराओं के बीच की खाई को उजागर करता है- अकेलापन. इस संकट का प्रभाव न केवल समाज में बल्कि बुजुर्गों और यहां तक कि एक्वेरियम में रहने वाली मछलियों पर भी दिखाई दे रहा है. अकेलापन केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि जानवरों को भी उतना ही प्रभावित करता है. 

जेल बना बुजुर्गों का नया घर 
तोचिगी महिला जेल, जो जापान की सबसे बड़ी जेलों में से एक है, एक अलग ही कहानी बयां करता है. यहां कई बुजुर्ग महिलाएं स्वेच्छा से जेल में रहना चाहती हैं. इसके पीछे का कारण है कि उन्हें जेल के अंदर वो सुकून और कंपनी मिलती है जो बाहर की दुनिया में गायब हो चुकी है. ये महिलाएं जेल में फैक्ट्री के कामों में लगी रहती हैं, जहां उन्हें नियमित भोजन, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और बुजुर्गों की देखभाल जैसी सुविधाएं मिलती हैं.

एक जेल अधिकारी ने CNN को बताया कि कई बुजुर्ग कैदियों ने स्वीकार किया है कि अगर उन्हें जेल में रहने के लिए पैसे देने पड़ें, तो वे खुशी-खुशी भुगतान करने को तैयार हैं. उनके लिए जेल एक ऐसी जगह है जहां जीवन का उद्देश्य और समुदाय का अहसास मिलता है, जो उनकी अकेली जिंदगी में बाहर नहीं मिल पाता.

जापान में इस तरह का अकेलापन और सामाजिक अलगाव तेजी से बढ़ रहा है. राष्ट्रीय जनसंख्या और सामाजिक सुरक्षा अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, 2050 तक अकेले रहने वाले घरों की संख्या 47% तक बढ़ सकती है. इनमें से एक बड़ी संख्या बुजुर्गों की होगी. ये आंकड़े बताते हैं कि जापान की जनसंख्या में हो रहे बदलाव सामाजिक सुरक्षा और पारिवारिक समर्थन के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रहे हैं.

अकेलापन जानवरों के लिए समान है 
अकेलापन केवल इंसानों तक सीमित नहीं है. जापान के काईक्योकन एक्वेरियम में एक सनफिश के व्यवहार ने दिखाया कि यह समस्या जानवरों के लिए भी उतनी ही गंभीर हो सकती है. जब एक्वेरियम को मरम्मत के लिए बंद किया गया, तो यह सनफिश, जो पहले स्वस्थ और जिज्ञासु थी, बीमार पड़ने लगी.
स्टाफ ने पहले इसे किसी बैक्टीरियल इंफेक्शन का मामला समझा, लेकिन बाद में पाया कि यह समस्या उस समय शुरू हुई जब मछली ने इंसानों की मौजूदगी खो दी. एक्वेरियम के शांत माहौल और मरम्मत के दौरान की हलचल ने मछली को परेशान कर दिया.

स्टाफ ने एक अनूठा समाधान निकाला- उन्होंने मछली के टैंक के पास इंसानों के चेहरों की तस्वीरें लगाईं. ये कटआउट मछली के लिए एक "इंसान" की उपस्थिति का अहसास दिलाने के लिए थे. हैरानी की बात यह रही कि कुछ ही दिनों में मछली ने खाना शुरू कर दिया और पहले जैसी जीवंत हो गई.

अकेलापन और जीवन का उद्देश्य
तोचिगी महिला जेल और काईक्योकन एक्वेरियम की ये कहानियां दिखाती हैं कि चाहे इंसान हो या जानवर, हर किसी को साथी और उद्देश्य की जरूरत होती है. जापान में बुजुर्ग महिलाओं के लिए जेल वह जगह बन रही है जहां उन्हें देखभाल के साथ दूसरे लोगों का साथ मिल रहा है जो बाहर की दुनिया में खो गया है. वहीं, एक मछली के लिए इंसानों की उपस्थिति उसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधारने का कारण बन गई.

जहां बुजुर्ग महिलाएं जेल में अपने लिए एक साथी खोज रही हैं, वहीं एक मछली इंसानों की तस्वीरों में अपनी खुशी पा रही है. चाहे इंसान हो या जानवर, जीवन का उद्देश्य और किसी का साथ हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. 
 

 

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