यह है भारत का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन, साल 1856 में हुआ था उद्घाटन, मनाई 166वीं सालगिरह

चेन्नई में रोयापुरम रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे द्वारा संचालित सबसे पुराना रेलवे स्टेशन है. इसे साल 1856 में शुरू किया गया था और इसे क्लासिक स्टाइल में बनाया गया है.

Royapuram Railway Station (Photo: Twitter)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 01 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST
  • चेन्नई के रोयापुरम रेलवे स्टेशन ने हाल ही में अपनी 166वीं वर्षगांठ मनाई है
  • सबसे पुराने रेलवे स्टेशन पर हर महीने 10,500 का फुटफॉल होता है

चेन्नई के रोयापुरम रेलवे स्टेशन ने हाल ही में अपनी 166वीं वर्षगांठ मनाई है. इस स्टेशन को 28 जून, 1856 को टर्मिनस के तौर पर खोला गया था. फिलहाल, 40 जोड़ी लोकल ट्रेनें और सात जोड़ी एक्सप्रेस ट्रेनें हर दिन इस ऐतिहासिक स्टेशन से गुजरती हैं. 

भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन पर हर महीने 10,500 का फुटफॉल होता है और औसतन 1 लाख रुपये की आमदनी होती है. 

देश का पहला रेलवे स्टेशन
साल 1849 में मद्रास रेलवे कंपनी के पुनर्गठन ने दक्षिण भारत में एक नई रेलवे लाइन की योजना को शुरू किया. रोयापुरम को नए स्टेशन के लिए चुना गया था क्योंकि यह फोर्ट सेंट जॉर्ज के पास ब्रिटिश व्यापारियों की एक बस्ती के पास था. 

दक्षिणी लाइन पर काम 1853 में शुरू हुआ और इसे रोयापुरम से अर्कोट तक बढ़ा दिया गया. जो उस समय कर्नाटक के नवाब (वर्तमान में रानीपेट के पास वालाजापेट) की राजधानी थी. रोयापुरम रेलवे स्टेशन को 28 जून, 1856 को तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड हैरिस द्वारा मुख्य टर्मिनस के रूप में खोला गया था और दक्षिण भारत में पहली रेलवे लाइन 1 जुलाई, 1856 को यातायात के लिए खोली गई थी. 

1 जुलाई, 1856 को चली पहली ट्रेन
रोयापुरम ने दक्षिण भारत में पहली यात्री सेवा की मेजबानी की और रेलवे के समृद्ध इतिहास में अपनी छाप छोड़ी. 1 जुलाई, 1856 को उद्घाटन के दिन, पहली यात्री ट्रेन 60 मील (97 किमी) की दूरी के लिए रोयापुरम से वालजाह रोड तक चली. 

सिम्पसन एंड कंपनी द्वारा निर्मित पहली ट्रेन में गवर्नर लॉर्ड हैरिस और 300 यूरोपीय लोगों ने यात्रा की थी. उसी दिन एक और ट्रेन तिरुवल्लूर तक चलाई गई.

क्लासिक स्टाइल में हुआ है निर्माण
रोयापुरम रेलवे स्टेशन 1922 तक मद्रास और दक्षिणी महरत्ता रेलवे का मुख्यालय भी बना रहा. इस रेलवे स्टेशन को विलियम एडेलपी ट्रेसी ने डिजाइन किया और यह पुनर्जागरण काल के क्लासिक स्टाइल में बना है. साल 2005 में, इस बिल्डिंग की 35 लाख रुपये की अनुमानित लागत में मरम्मत की गई और 2 अक्टूबर, 2005 को जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था. 

 

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