सब्जी बेचने वाले की बिटिया बनी सिविल जज, किया मां-पिता का सपना पूरा

मध्यमवर्ग सब्जी बेचने वाले परिवार की बेटी अंकिता नागर सिविल जज बनी. बेटी ने सिविल जज बनकर अपने माता-पिता का सपना पूरा कर दिया हैं.

civil judge ankita nagar
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 मई 2022,
  • अपडेटेड 8:05 PM IST
  • इंदौर शहर में सब्जी बेचने वाले की बिटिया बनी सिविल जज
  • इंदौर की बेटी ने किया अपने माता-पिता का सपना पूरा

इंदौर में एक सब्जी बेचने वाली की बेटी ने सिविल जज बनकर अपने माता-पिता का सपना पूरा किया कर दिखाया है. वहीं इस सब्जी बेचने वाले की बेटी की कहानी सुनकर आप भी कहोगें कि मेहनत का फल जरूर मिलता हैं. इंदौर की अंकिता नागर आज मध्य प्रदेश ज्यूडिशरी में बतौर सिविल जज नियुक्त हुई है. अंकिता ने सिविल जज बनकर अपने माता-पिता का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया हैं. 

देशभर में बेटियां अपना नाम रोशन कर रही है. जहां बेटियां अब पुरुषों की तरह ही कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. ऐसी ही इंदौर की एक ऐसी बेटी हैं, जिसने अपने माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया हैं. मूसखेड़ी में रहने वाली अंकिता नागर ने अपनी कड़ी मेहनत और परिश्रम के बाद सिविल जज की परीक्षा में पास हुई.  अब मध्यप्रदेश में जुडिशरी सिस्टम में अपनी सेवाएं देगी. अंकिता बताती है कि वह लगातार आठ से 10 घंटे पढ़ाई करती थी. परिवार में माता-पिता सब्जी बेचते हैं. अंकिता भी उनकी समय-समय पर मदद करती थी. अंकिता के पिता सुबह 5:00 बजे उठकर मंडी जाते थे. जब मंडी से सब्जी लेकर आते थे, तब अंकिता ठेले पर सब्जी जमा देती थी. 

सिविल जज बनने पर परिवार खुश

अंकिता के सिविल जज बनने पर उनकी मां को खुशी जाहिर करते हुए आंखों में आंसू आ गए. अंकिता की मां बताती हैं कि उन्हें अपने समय में बेहतर एजुकेशन नहीं मिल पाया, लेकिन अपनी बेटी को पढ़ाने का एक सपना जो उन्होंने देखा था वह आज पूरा हुआ. अंकिता का एक बड़े भाई और छोटी बहन है. अंकिता ने अपने सपने को पूरा करने के लिए शादी तक नहीं की. वहीं अंकिता के दोनों भाई बहनों की शादी हो चुकी है. अंकिता बताती है कि मैं निष्पक्ष निडर होकर अब आम जनता की मदद करूंगी और उन्हें न्याय दिलाऊगी. अंकिता उन बच्चों के लिए भी एक प्रेरणा हैं जो कड़ी मेहनत के बाद भी कई बार परिश्रम करते हुए एग्जाम में फेल हो जाते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं. अंकिता भी कई बार असफल रही लेकिन उनके लक्ष और आत्म विश्वास ने उन्हें सफल बनाया. 
(इंदौर से धर्मेन्द कुमार शर्मा की रिपोर्ट)

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