वो कहते हैं न, "अगर इरादा मजबूत हो तो रुकावटें मंजिल का हिस्सा बन जाती हैं". 21 साल के सरफराज ने इसी बात को साबित किया है. सरफराज कभी बंगाल की गलियों में मजदूरी करते थे. अपनी मेहनत और लगन से अब सरफराज की पहचान एक मेडिकल स्टूडेंट्स की है.
सरफराज के नीट 2024 एग्जाम में अच्छे नंबर आए थे. सरफराज आज निल रतन सिरकार मेडिकल कॉलेज में मेडिकल छात्र हैं. बन चुका है. सरफराज ने अपनी मां का सपना तो पूरा किया ही. ये भी साबित कर दिया कि अगर हौसला और मेहनत में दम हो तो कोई भी मुश्किलें मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती है.
सरफराज की कहानी प्रेरणा से भरी है. सरफराज का एक मजदूर से मेडिकल स्टूडेंट्स तक का सफर आसान नहीं रह है. आइए सरफराज के इस सफर के बारे में जानते हैं.
सरफराज का स्ट्रगल
शुरू में सरफराज की जिंदगी आसान नहीं था. सरफराज एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इस वजह से उनको कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. सरफराज ने आज तक से खास बातचीत में बताया कि, मैं रोज 8 घंटे काम करता था और 300 रुपए कमाता था. कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान मुझे अपने परिवार को सहारा देने के लिए पापा के साथ काम करना पड़ा. मुझे हर दिन NEET की तैयारी के लिए 7 घंटे मिलते थे. बाकी समय मैं घर के काम करता और सोता था.
सेना में जाने का था सपना
सरफराज का सपना डॉक्टर बनने का नहीं था. वो सेना में जाना चाहते थे. इस बारे में सरफराज बताते हैं, उनका सपना डॉक्टर बनने का नहीं था. वह भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहते थे लेकिन एक हादसे और आर्थिक तंगी ने उन्हें NDA की तैयारी से दूर कर दिया.
मां का सपना किया पूरा
सरफराज सेना में जाना चाहते थे लेकिन उनकी मां का सपना कुछ और था. सरफराज की मां चाहती थी कि उनका बेटा डॉक्टर बने. अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए सरफराज नीट कीय तैयारी में जुट गए. तीन प्रयास के बाद सरफराज ने आखिर में नीच एग्जाम में सफलता पूरी कर ही कर ली.
सरफराज ने बताया, कोविड-19 के दौरान हालात और भी बदतर हो गए थे. सरकारी मदद से उन्होंने एक स्मार्टफोन खरीदा. फोन से यूट्यूब पर वीडियो देखकर नीट की तैयारी शुरू कर दी. बाद में उन्होंने Physics Wallah के कोर्स में एडमिशन ले लिया. हालांकि, इसके लिए उन्हें काफी समय तक डिस्काउंट का इंतजार करना पड़ा.
छोड़नी पड़ी सीट
आखिरकार 2023 में सरफराज की किस्मत चमकी. उन्होंने NEET पास किया और एक डेंटल कॉलेज में एडमिशन भी मिल गया लेकिन हॉस्टल के खर्च की वजह से अपनी सीट छोड़नी पड़ी.
इसके बाद भी सरफराज ने हार नहीं मानी और टूटे स्क्रीन वाले फोन से तैयारी में लग गए. कहते हैं सफर जितना मुश्किल भरा हो संघर्ष का फल उतना ही मीठा होता है. आखिरकार, 2024 में सरफराज ने नीट एग्जाम पास किया और मेडिकल कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया.
फ्री एजुकेशन देने का सपना
मेडिकल कॉलेज में दाखिले के बाद सरफराज का सपना सिर्फ एक डॉक्टर बनने तक सीमित नहीं है. वो गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज करना चाहते हैं. साथ में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को शिक्षा के साधन उपलब्ध कराना चाहते हैं.
सरफराज कहते हैं कि “मैंने खुद किताबें उधार ली हैं, खाने के लिए संघर्ष किया है. मैं चाहता हूं कि मेरे गांव और कस्बे के बच्चों को यह सब न झेलना पड़े. मैं उन्हें मुफ्त शिक्षा और इलाज की सुविधा देना चाहता हूं”