आज भी बहुत सी जगहों पर लड़कियों की शादी बहुत जल्दी कर दी जाती है. उनसे पूछा ही नहीं जाता कि वे शादी करना भी चाहती हैं या नहीं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी बेटी के बारे में जिसने अपने माता-पिता को जल्दी शादी नहीं करने के लिए मनाया बल्कि आज अपने पैरों पर खड़े होकर सफलता की कहानी लिख रही है.
आज हम आपको बता रहे हैं बिहार की अन्नू कुमारी के बारे में. अन्नू जब 20 साल की हुईं, तो उनके माता-पिता उनकी शादी करने के इच्छुक थे. बिहार के नवादा जिले के रजौली अनुमंडल के उनके गांव अमावां में यही प्रथा थी.
बचपन से ही बुराई का किया विरोध
हालांकि, अन्नू ने न केवल कम उम्र में शादी के विचार का विरोध किया, बल्कि वह अपनी शिक्षा जारी रखना चाहती थी और अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी. अब, 26 साल की उम्र में, और बहुत दृढ़ता और कड़ी मेहनत के बाद, वह अपने गांव से 300 किलोमीटर दूर बिहार पुलिस प्रशिक्षण अकादमी में एक पुलिस कांस्टेबल बनने का प्रशिक्षण ले रही है.
आपको बता दें कि अन्नू बचपन से ही मेधावी और साहसी रही हैं. वह कम उम्र में अपने गांव में किशोरी समूह (किशोर समूह) की चैंपियन बन गई थी. दरअसल, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा शुरू किया गया किशोरी समूह नवादा और दरभंगा में लड़कियों तक पहुंचा और उन्हें महावारी, पोषण और स्वास्थ्य के बारे में प्रशिक्षित किया.
योरस्टोरी के मुताबिक, अन्नू शुरुआत से ही इस किशोरी समूह से जुड़ी हुई थी. वह अपने यहां किशोरी समूह की चैंपियन थी. उन्होंने बचपन से ही जात-पात, लड़के-लड़की के भेदभाव और बाल विवाह जैसी बुराईयों के खिलाफ आवाज उठाई. ऐसे में, मात्र 20 साल की उम्र में अपनी शादी की बात सुनकर वह परेशान हो गईं.
पिता ने समझा बेटी का मन और टैलेंट
ऐसे में, अन्नू ने पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ब्लॉक समन्वयक, शीला दीदी से बात की. योरस्टोरी के मुताबिक, अन्नू जीवन में सिर्फ शादी करने के अलावा और भी बहुत कुछ करना चाहती थी. इस बीच, अन्नू के माता-पिता उनकी शादी की योजना बना रहे थे और सामने से दहेज की मांग आई. शीला देवी ने उनके माता-पिता को समझाया कि दहेज में 10-12 लाख रुपए दहेज में देने की जगह अन्नू के भविष्य को संवारने में लगाएं.
अन्नू के माता- पिता अंततः उनकी पढ़ाई के लिए सहमत हो गए और शादी टल गई. अन्नू ने मगध विश्वविद्यालय से बीएससी (ऑनर्स) की पढ़ाई जारी रखी. यहां तक कि उनके पिता ने उन्हें कॉलेज आने -जाने के लिए बाइक दिला दी.
किया पुलिस में जाने का फैसला
अन्नू के मुताबिक, यह बाइक उनकी स्वतंत्रता का प्रतीक थी. उन्होंने योर स्टोरी को बताया कि एक दिन, वह बिना हेलमेट के बाइक चला रही थी. उन्हें एक महिला पुलिसकर्मी ने रोका और जुर्माना लगाया. यह पहली बार था जब उन्होंने किसी महिला पुलिसकर्मी को इतने करीब से देखा था. उन्होंने सोचा कि वह भी पुलिस में जा सकती हैं.
तीसरे प्रयास में पास होने के बाद अन्नू ने पुलिस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. फिलहाल, वह एक कांस्टेबल बनने के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं. आगे वह दरोगा (इंस्पेक्टर) बनने के लिए पढ़ाई करेंगी. फिलहाल, अन्नू अपने समुदाय और गांव में दिखने वाले बदलावों से खुश है. उनके माता-पिता को उन पर गर्व है. गांव के लोग अब उन्हें बच्चों के सामने एक उदाहरण के रूप में रखते हैं, और चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ें, कड़ी मेहनत करें और अपने सपनों को साकार करें.