Inspiring: सैनिक पति को खोया रोड एक्सीडेंट में, अब बनेंगी सेना में अफसर, पेश की मिसाल

शादी के मात्र एक महीने बाद अपने पति को खोने के बाद हल्द्वानी की इस बेटी ने कुछ ऐसा किया है कि वह आज सबके लिए प्रेरणा हैं. सिपाही नीरज सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी सोनी बिष्ट ने सेना जॉइन की है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 19 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

उत्तराखंड के हलद्वानी की रहने वाली 26 वर्षीय सोनी बिष्ट ने प्रतिष्ठित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) चेन्नई में अधिकारी कमीशन के लिए मेरिट सूची में टॉप पर अपना स्थान हासिल किया है. दरअसल, सोनी बिष्ट के पति, सिपाही नीरज सिंह की जनवरी 2023 में एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के कारण मृत्यु हो गई थी. उस समय सोनी और नीरज की शादी के सिर्फ एक ही महीना हुआ था. इस दुःख की छाया के बीच, सोनी बिष्ट ने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि खुद को एक मुकाम तक पहुंचाने में जुट गईं. यह उपलब्धि उन्होंने सेना कर्मियों की विधवाओं के लिए विशेष कोटा के अंतर्गत हासिल की है. 

किया चुनौतियों का सामना 
सोनी ने यह मुकाम बहुत सी मुश्किलों के बाद हासिल किया है. अपने पति की असामयिक मृत्यु के बाद, उन्होंने और भी मुश्किलों का सामना किया. उनकी मां को दिल का दौरा पड़ा और उनका भाई लकवाग्रस्त हो गया. इन चुनौतियों के बीच, उनके पिता के पूर्व रेजिमेंट अधिकारियों और उनके दिवंगत पति के कमांडिंग ऑफिसर के प्रोत्साहन और मार्गदर्शन से आशा की एक किरण उभरी.

उसी सपोर्ट से उन्होंने ओटीए के लिए आवेदन किया. यह न केवल उनके अपने करियर के लिए बल्कि उनकी अपने पति की स्मृति और बलिदान के लिए एक श्रद्धांजलि भी है. मेजर जनरल यश मोर (सेवानिवृत्त) सहित कई सेवानिवृत्त सेना अधिकारियों के अनुभव के मार्गदर्शन में सोनी बिष्ट ने सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) साक्षात्कार के लिए तैयारी की. विधवा कोटे के तहत सिर्फ एक वैकेंसी थी जिसके लिए  प्रतिस्पर्धा कड़ी थी, लेकिन उन्होंने अपना मुकाम हासिल किया. अपने चयन के साथ, सोनी बिष्ट ओटीए चेन्नई में लेफ्टिनेंट के पद पर एक अधिकारी कमीशन के लिए अपना प्रशिक्षण शुरू करने के लिए तैयार हैं. 

यह नया अध्याय सिर्फ बिष्ट के लिए एक व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि कई लोगों के लिए आशा की किरण है. अपनी उपलब्धि के बारे में बात करते हुए, बिष्ट ने कहा, "यह सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि नीरज, मेरे परिवार और उन सभी लोगों के लिए है जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया." निराशा की राख से भारतीय सेना के रैंक तक की सोनी की यात्रा एक ऐसी कहानी है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी और याद रखेगी.

 

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