आर्थिक प्रतिकूलता से लड़ाई करके खुद अपने पैरों पर खड़ा होकर महिलाओं को स्वावलंबी बनने की अलख जगा रही है हुगली के आरामबाग की गृहणी शमीमा बेगम. शमीमा बेगम का संबंध हुगली जिले के आरामबाग में MOLOYPUR से है. वह पिछले एक साल से अधिक समय से पेप्सिको इंडिया से जुड़ी हैं. आज वह ईद मुबारक सेल्फ हेल्प ग्रुप की ग्रुप लीडर हैं. उनके पति भी आलू की खेती करते हैं. शमीमा बेगम अपने काम में इतनी माहिर हो गई हैं कि वह अकेले खेत में काम करती हैं और पेप्सिको इंडिया को आलू सप्लाई करती हैं. इतना ही नहीं आज वह अपने पति और दूसरे किसानों को आलू की खेती की बारीकियां समझाती हैं. एक समय था जब शमीमा के पास अपने बच्चों पर खर्च करने के लिए एक पैसा नहीं था. आज वह अच्छा मुनाफा कमा रही हैं और घर के खर्च में मदद कर रही हैं. इतना ही नहीं वह अपनी बच्चियों की पढ़ाई में भी मदद कर रही हैं. उनकी एक बिटिया NEET की तैयारी कर रही हैं. इसके अलावा उनका एक बेटा स्नातकोत्तर की पढ़ाई पढ़ कर रहा है. शमीमा का सपना है कि उसकी बेटी एक भी डॉक्टर बनकर देश और समाज के गरीब तबके के लोगों का इलाज करें. इससे शमीमा का आत्मविश्वास बढ़ा है और वह अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं.
शमीमा बेगम ने बताया कि जब वह पहली बार ब्याह करके अपने ससुराल आई थी तब ससुराल की आर्थिक एवं माली हालत काफी खस्ता था. जिसके बाद उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर उन्हें खेती के काम को आगे बढ़ाना है. लेकिन उन्हें खेती-बाड़ी करने के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था. इसके अलावा एक महिला होने के नाते पुरुष समाज में लोगों के ताने बाने भी सुनने पड़ते थे. लेकिन इसकी परवाह नहीं करते हुए पहले उन्होंने खेती बाड़ी की ट्रेनिंग ली. फिर 7 महिलाओं को लेकर उन्होंने एक स्वनिर्भर गोष्टी बनाया. इसके बाद पहले अपने जमीन पर आलू के अलावा अन्य अनाजों की खेती करना शुरू किया. व्यवसाय बढ़ता चला गया. इसके बाद उन्होंने विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से जमीन लीज पर लेकर खेती करना शुरू कर दिया. उनके स्वनिर्भर गोष्टी के सदस्यों की भी संख्या दिन पर दिन बढ़ती चली गई. इसके बाद उन्होंने अपने पैदावार को एक बड़ी कंपनी पेप्सीको बेचना शुरू किया. आज वह वैज्ञानिक तरीके से जैविक सार का उपयोग का काफी बड़े पैमाने पर खेती करती है. वह अपने पैरों पर पूरी तरह से स्वावलंबी हो गई है. अपनी जरूरतों के अलावा अपने परिवार के बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर हर जरूरत पूरी कर रही है. बेटी नीट परीक्षा की अच्छे इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग लेकर तैयारी कर रही है. जबकि बेटा m.a. की पढ़ाई कर रहा है.
पति रफीकुल इस्लाम ने बताया कि पत्नी ने पहले उनके साथ खेती में हाथ बटाना शुरू किया इसके बाद उन्होंने महिलाओं का एक ग्रुप बनाया बिजनेस और व्यवसाय बढ़ता चला गया. वह आज खुद स्वावलंबी होकर दूसरे अन्य गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को स्वावलंबी होने के गुर सिखा रही है. उन्होंने बताया कि महिलाओं को यह नहीं सोचना चाहिए कि जो काम पुरुष करते हैं वह काम हुआ नहीं कर सकती. यदि दृढ़ निश्चय और मजबूत इरादे हो तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं होती. उन्हें अपनी पत्नी के इस सफलता पर काफी फक्र है.
-भोला साहा की रिपोर्ट