International Day of Mathematics: चंद मिनटों में छूमंतर हो जाएगा मैथ्स का डर? जान लीजिए इस फोबिया को दूर करने की Easy ट्रिक्स

International Mathematics Day: कुछ छात्रों को मैथ्स से काफी डर लगता है. ये डर कभी-कभी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. इसे हम मैथ्स फोबिया कहते हैं. लेकिन आप इससे बच सकते हैं. यहां हम आपको कुछ ऐसी ही ट्रिक्स बताने वाले हैं.

International Day of Mathematics
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST
  • मैथ्स के डर को एक्सेप्ट करें
  • रियल लाइफ में कॉन्सेप्ट करें अप्लाई

International Day of Mathematics: मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट जिससे ज्यादातर लोगों को डर लगता है. ये फोबिया (Maths Phobia) कभी-कभी इतना बढ़ जाता है कि जो कुछ आपको समझ में आ भी जाता है तो आप पेपर देखते ही उसे भूल जाते हैं. या कई बार लाख बार समझने के बाद भी आप उस फार्मूला या ट्रिक को याद नहीं रख पाते हैं. दरअसल, इसे मैथ्स फोबिया कहते हैं. 

क्या है मैथ्स फोबिया?

मैथ्स जुड़े डर या फोबिया को हम मैथ्स फोबिया का नाम देते हैं. इसमें जब भी कोई बच्चा मैथ्स की प्रॉब्लम को देखता है तो उसे एंग्जायटी होने लगती है. जिसके फर्क सबसे ज्यादा बच्चे के रिजल्ट पर पड़ता है. हालांकि, इसके कई कारण हो सकते हैं. जैसे- एक्सपीरियंस, टीचिंग या गाइडेंस की कमी आदि. 

1. व्यक्तिगत अनुभव

कम उम्र में मैथ्स के सवाल पढ़ते या हल करते हुए खोया हुआ सा महसूस करना. ये मैथ्स फोबिया के विकास में योगदान कर सकता है.

2. गणित मुश्किल सब्जेक्ट है 

दरअसल, “मैथ्स मुश्किल है” इस डेफिनेशन को हमारे दिमाग में बचपन से ही भर दिया जाता है. ऐस में हमें वो सब्जेक्ट और भी कठिन लगने लग जाता है. जिसके कारण कुछ साल में हमें इस विषय से डर लगने लग जाता है. 

3. खराब टीचिंग और गाइडेंस 

खराब टीचिंग और गाइडेंस भी मैथ्स फोबिया में योगदान देती है. जब छात्र खुद को असहाय पाते हैं और कांसेप्ट समझने के लिए खुद पर ही डिपेंड रहते हैं तो मन में एक डर बैठ जाता है. 

4. एक्यूरेसी का लेवल 

दरअसल, मैथ्स सब्जेक्ट नंबर्स से संबंधित है. इसलिए, उत्तरों को हमेशा सटीक होना चाहिए.  मैथ्स के सवालों को हल करते समय छोटी सी भी गलती की कोई जगह नहीं है. इसीलिए ये उन कारकों में से एक हो सकता है जो मैथ्स के फोबिया को और भी बढ़ा देता है. 

कैसे पाएं मैथ्स फोबिया से निजात?

1. मैथ्स के डर को एक्सेप्ट करें

जब बच्चे मैथ्स फोबिया की बात करते हैं तो बड़ों को लगता है कि ये केवल इस सब्जेक्ट को न पढ़ने का एक बहाना मात्र है. लेकिन असल में मैथ्स फोबिया होता है. ऐसे कई छात्र होते हैं जो मैथ्स के आसान सवालों को भी सोल्व नहीं कर पाते हैं या वे उन कैलकुलेशन को प्रोसेस नहीं कर पाते हैं. ऐसे में छात्रों के मन में कई कारणों से मैथ्स का डर पैदा हो जाता है. यहीं पर जरूरी होता है कि छात्र अपने इस मैथ्स फोबिया को स्वीकार करे. शिक्षकों और माता-पिता की मदद लें. 

2. श्वास से जुड़ी एक्सरसाइज करें 

डर अलग-अलग लक्षणों के साथ आता है. ज्यादातर मामलों में, जब छात्र मैथ्स का कोई सवाल देखते हैं तो उनकी सांस फूलने लगती है. यहीं पर आपके दिमाग को शांत रखना एक अच्छी ट्रिक हो सकती है. फोबिया पर काबू पाने का तरीका सीखने का यह पहला कदम है. ऐसे में जब आप कोई सवाल हल कर रहे हैं तो अपने दिमाग को शांत करना सीखें. जब आप मैथ्स का एक नया चैप्टर पढ़ना शुरू करें तो अच्छी तरह से आराम करें. अपने चिंतित मन को शांत करने के लिए सांस से जुड़ी एक्सरसाइज करें.

3. प्रैक्टिस करें

गणित सीखने के लिए सफलता का मूल मंत्र प्रैक्टिस है. गणित के डर को दूर करने के लिए यह आपके समय का सबसे अच्छा उपयोग है. जब आप कोई नया कॉन्सेप्ट, कोई डेफिनेशन या कोई फार्मूला सीखते हैं, तो उसे अपने तरीके से समझने का प्रयास करें. इससे आप उसे भविष्य में जाकर भूलेंगे नहीं. साथ ही इस तरह आप में आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. 

4. रियल लाइफ में कॉन्सेप्ट करें अप्लाई

कम उम्र में ही मैथ्स के फोबिया को दूर करने का एक शानदार तरीका है कि डेफिनेशंस को या उसके कॉन्सेप्ट को अपनी रियल लाइफ में लागू करें. रोजमर्रा की गतिविधियां आपको डर पर काबू पाने में मदद करेंगी. साथ ही आपका ये मैथ्स फोबिया भी कम हो जाएगा.  

5. प्रश्न पूछने से न डरें 

कभी भी प्रश्न पूछने से न डरें. सवाल पूछना कमजोरी की निशानी नहीं है. यह सुधार का एक अनूठा तरीका है. जब भी कोई शंका या डाउट होता है तो मेंटर के पास जाएं. आप अपने क्लास टीचर, ट्यूटर और माता-पिता से प्रश्न पूछ सकते हैं. आप अपने सहपाठियों के साथ भी इन प्रश्नों पर चर्चा कर सकते हैं. 

6. धैर्य ही कुंजी है

अगर कोई इशू आप देख रहे हैं या आपके सामने आ रहा है तो ऐसे में धैर्य रखें. रातों-रात आप अपने डर पर काबू पा लेंगे ऐसा मुमकिन नहीं है. सीखना और किसी सब्जेक्ट में महारत हासिल करना कठिन है. आपको एक ही समय में धैर्य और समर्पित रहना होगा. हताशा से बचें और बड़ी तस्वीर पर ध्यान दें.

मां-बाप का बच्चों के साथ बैठना जरूरी 

इन सबके अलावा, आज बहुत जरूरी है कि मां-बाप अपने बच्चों के साथ जरूर बैठें, उनसे बात करें. इसके अलावा उन्हें पढ़ने के लिए मोटीवेट करें और उनसे उनकी परेशानी पूछें. बच्चे का पढ़ाई में मन क्यों नहीं लग रहा है इसका कारण पता करें. ये चीजें घर में सुलझाई जा सकती है. लेकिन कुछ सीरियस लग रहा है या बच्चा ज्यादा परेशान लग रहा है  तो डॉक्टर या किसी एक्सपर्ट से जरूर बात करें. 
 

 

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