चाय दुनिया भर में सबसे पुराने और सबसे पसंदीदा बेव्रेज में से एक है, जिसके बहुत अलग-अलग रूप और स्वाद भारत में मिलते हैं और इसे गर्म और ठंडा दोनों तरह से पिया जा सकता है. भारत में बहुत से लोगों की सुबह और शाम चाय के बिना पूरी नहीं होती हैं. आज International Tea Day के मौके पर हम आपको बता रहे हैं अलग- अलग चाय के बारे में.
बटर चाय
लद्दाख और सिक्किम में व्यापक रूप से सेवन की जाने वाली बटर टी या गुड़ गुड़ चाय याक के दूध, नमक और पानी से बने मक्खन के साथ चाय की पत्तियों को उबालकर बनाई जाती है. लद्दाखी घरों में, बटर टी बिना रुके चलती है, लोग दिन भर में कई छोटे कप पीते हैं.
कश्मीरी कहवा
कहवा, कश्मीर का पर्याय है, इसके कई वर्जन मध्य एशिया और फारस में मौजूद हैं. यह मसालेदार चाय दालचीनी, केसर और इलायची को हरी चाय की पत्तियों के साथ उबालकर बनाई जाती है, फिर इसे एक कप में क्रस्ड मेवों के ऊपर गुलाब जैम, चीनी या शहद के साथ परोसा जाता है. इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे शरीर को डिटॉक्सीफाई करना, तनाव कम करना और यह सामान्य सर्दी के लिए एक आसान उपाय भी है.
नून चाय
नून चाय भी कश्मीर का एक उपहार है, जिसका शाब्दिक अर्थ नमकीन चाय है. इस गुलाबी चाय का रंग बेकिंग सोडा से मिलता है जिसे चाय की पत्तियों और दूध में मिलाया जाता है. घाटी के लोग इसे सुबह और दोपहर में स्थानीय ब्रेड जैसे टचोट या चोचोवर के साथ खाते हैं. यह कड़कड़ाती सर्दियों के दौरान शरीर को गर्म रखने में मदद करता है. नेपाल, लद्दाख और सिक्किम में पी जाने वाली बटर टी इस नून चाय का एक रूप है जिसमें मक्खन की एक बूंद मिलाई जाती है.
तंदूरी चाय
एक स्ट्रीट फूड इनोवेशन, यह चाय रेसिपी पॉपुलर होने में कामयाब रही, इस तैयारी में, आधी पकी हुई चाय को एक खाली और तंदूर में गरम कुल्हड़ में डाला जाता है , जो इस चाय को इसका तीव्र स्मोकी स्वाद देता है.
ईरानी चाय
मुंबई, पुणे और हैदराबाद में मशहूर, ईरानी चाय दूध का एक मीठा और गाढ़ा मिश्रण है जिसे लंबे समय तक उबाला जाता है जब तक कि यह मलाईदार न हो जाए, और फिर इसे चाय की पत्तियों, पानी और चीनी के एक अलग मिश्रण में मिलाया जाता है. खोया और मावा भी मिलाया जाता है जो इस समृद्ध चाय को और भी समृद्ध बनाता है
सुलेमानी चाय
ऐसा माना जाता है कि सुलेमानी चाय अरब यात्रियों के माध्यम से भारत की यात्रा पर आई थी. सुलेमानी चाय एक काली चाय है जिसे इलायची, दालचीनी, अदरक और लौंग जैसे मसालों के साथ तब तक उबाला जाता है जब तक कि यह एक सुंदर सुनहरे रंग का न हो जाए और फिर नींबू का रस डाला जाता है. यह केरल के कई हिस्सों में लोकप्रिय है और हैदराबाद के कई घरों में भी इसे नियमित रूप से पिया जाता है.