Pet पेरेंट्स के लिए गुड न्यूज है. रेल मंत्रालय ने ट्रेनों में फर्स्ट एसी के लिए पेट्स के टिकट की ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है. रेल मंत्रालय पालतू जानवरों के बुकिंग राइट्स भी टीटीई को देने पर विचार कर रहा है. इससे यात्री बिना किसी परेशानी के अपने पालतू जानवरों को ट्रेन में अपने साथ ले जा सकेंगे.
ऐसे ले जा सकते हैं अपने Pet को साथ
फिलहाल ट्रेन में अपने पेट्स को ले जाने के लिए प्लेटफॉर्म के पार्सल बुकिंग काउंटर पर टिकट बुक कराना पड़ता है. यात्री अपने पेट्स को सेकेंड एसी के ब्रेक वैन या फिर लगेज में एक बॉक्स में ले जाने की परमिशन मिलती है. जानवरों के वजन और आकार के आधार पर भारतीय रेलवे ने पेट्स ओनर्स के लिए कुछ नियम और दिशानिर्देश बनाए हैं. हालांकि कुछ जानवरों को अलग-अलग कोचों में ले जाया जाता है. पेट एनिमल्स जैसे कि बिल्लियां और कुत्ते अपने मालिकों के साथ एक ही कोच में जा सकते हैं.
फिलहाल मिल रही ये सुविधा
पहले यात्रियों को एसी फर्स्ट क्लास में दो या चार बर्थ वाले फुल कूप बुक करने पड़ते थे. इसके लिए रिक्वेस्ट डालनी पड़ती थी. इसके बाद पार्सल कार्यालय उसे ले जाने के लिए व्यवस्था करता था. इसके लिए पूरे कूप को बुक कराना पड़ता था. इसलिए इसकी फीस भी बहुत ज्यादा होती थी. अगर डॉग को बॉक्स में ले जाया जाता था, तो उसे ट्रेन में luggage रेट्स पर ही ले जाना पड़ता था. लेकिन, उन्हें एसी 2 टीयर, एसी 3 टीयर, एसी चेयर कार, स्लीपर क्लास और सेकेंड क्लास के डिब्बों में जाने की अनुमति नहीं थी. रेलवे में पालतू ही नहीं, अन्य पशु और पक्षियों को भी एक से दूसरी जगह भेजने की व्यवस्था है। हालांकि सभी के लिए अलग-अलग नियम हैं.
पेट पेरेंट्स के लिए आईआरसीटीसी के दिशानिर्देश
पीआरएस टिकट या आईआरसीटीसी द्वारा बुक किया गया ऑनलाइन टिकट होने के बाद भी अपने Pet को बुकिंग के लिए ट्रेन के खुलने से कम से कम तीन घंटे पहले सामान कार्यालय में ले जाना होता है.
एसी फर्स्ट क्लास या फर्स्ट क्लास कूप में यात्रियों के साथ पेट को ले जाने पर लगेज जितना चार्ज देना पड़ता है.
एसी 2 टीयर, एसी 3 टीयर, एसी चेयर कार, स्लीपर क्लास और द्वितीय श्रेणी के डिब्बों में Pets की अनुमति नहीं है. अगर कोई यात्री डिब्बे में कुत्ते के रहने पर आपत्ति जताता है, तो कुत्ते को गार्ड की वैन से बिना रिफंड के हटा दिया जाएगा.
जब पालतू कुत्ते को बुक किया जाता है, तो उसे एंटी रैबीज वैक्सीन लगी होनी जरूरी है. पालतू कुत्ते की नस्ल, रंग और लिंग बताते हुए एक पशु चिकित्सक से प्रमाण पत्र की भी जरूरत पड़ती है.
यात्रा के दौरान, कुत्ते के लिए पानी और भोजन उपलब्ध कराने के लिए मालिक जिम्मेदार होता है.
सफर के दौरान किसी भी तरह की घटना होने पर उसकी जिम्मेदारी कुत्ते के मालिक की होती है.
रेलवे ने छोटे पालतू जानवरों को ले जाने के लिए दो तरह की व्यवस्था की है. या तो आप उसे साथ ले जा सकते हैं या फिर लगेज के रूप में भी ले जा सकते हैं.