IT इंडस्ट्री से पर्यावरण को हो रहा नुकसान! अपराध बोध में आकर इंजीनियर ने लिया 800 करोड़ पेड़ लगाने का प्रण, आप भी बन सकते हैं इस Mission का हिस्सा

आनंद ने Treewards नाम का ऐप बनाया है. इस ऐप के अंदर आपको सभी बड़े बड़े शॉपिंग प्लेटफॉर्म दिखाई पड़ेंगे. फिर चाहे आपको कपड़े खरीदने हो या ग्रॉसरी, मोबाइल या लैपटॉप. आपको इस ऐप के जरिए अपनी पसंदीदा शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर जाकर खरीदारी करनी है.

Treewards App
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST
  • 3 साल की बेटी के भविष्य के लिए शुरु की मुहिम
  • पेड़ लगाने की मुहिम बन गई आत्मनिर्भर

इस साल गर्मी में तापमान 50 डिग्री तक गया. इस दौरान लोगों को एक बात तो समझ आ गई कि अगर पर्यावरण से लगातार खिलवाड़ करेंगे तो आने वाला वक्त और मुश्किल भरा हो सकता है. लेकिन ये बात एक इंजीनियर को 50 डिग्री  तापमान होने से काफी पहले समझ में आ गई थी. इस इंजीनियर ने पूरी दुनिया में दुनिया की आबादी के बराबर यानी 800 करोड़ पेड़ लगाने की मुहिम शुरु की है.

33 साल के आनंद गोयल पेशे से एक इंजीनियर हैं. कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर का उनमें जुनून ऐसा था कि आनंद ने 10वीं क्लास में अपनी एक IT कंपनी की शुरुआत कर दी थी. आज उस IT कंपनी को शुरू हुए एक लंबा अरसा बीत चुका है. भारत ही नहीं अफ्रीका के कई देशों में भी आनंद की कम्पनी पहुंच चुकी है. लेकिन आनंद का फिलहाल सबसे बड़ा मकसद पूरी दुनिया में 800 करोड़ पेड़ लगाना है. आनंद का कहना है कि पूरी दुनिया की आबादी 8 करोड़ है. हम चाहते हैं कि हर एक के नाम पर एक पेड़ हो. 

आंकड़े देखकर डर गया, 3 साल की बेटी के भविष्य के लिए शुरु की मुहिम

आनंद बताते हैं कि एक दिन वो अपने परिवार के साथ एक हाईवे पर सफर कर रहे थे. फोन चलाते समय उनके सामने एक आंकड़ा आया जिसके मुताबिक हर साल दुनिया में आईटी इंडस्ट्री की वजह से 60 लाख मिट्रिक टन कार्बन पैदा होता है. ये पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. रिपोर्ट पढ़कर उन्हें उस वक्त ऐसा लगा जैसे वे अपने बच्चों के लिए पैसा और जायदाद तो बना रहे हैं लेकिन उनके सास लेने के लिए साफ हवा नहीं बना पा रहे हैं. बस तभी से इस मुहिम की शुरुआत हुई.

Treewards नाम की ऐप बनाई और पेड़ लगाने की मुहिम बन गई आत्मनिर्भर

आनंद बताते हैं कि देश और दुनिया में बहुत सारे पर्यावरणविद् और उनके NGO हैं जो कि पेड़ लगाने के लिए काम करते हैं. लेकिन इन सभी के साथ एक समस्या ये आती है कि एक वक्त के बाद इन सभी को फंड की जरूरत पड़ती है जिसके लिए वो सरकार या फिर बड़ी-बड़ी कम्पनी का मुंह ताकतें हैं. लेकिन हमने एक ऐसी एप्लीकेशन बनाई जिसके जरिए पेड़ लगाने की मुहिम अपने आप आत्मनिर्भर हो गई. इसके जरिए अब हमें किसी से भी कभी कोई फंड लेने की जरूरत नहीं होगी बस आम आदमी के सहयोग की जरूरत होगी. आम आदमी को बस इस एप्लीकेशन के जरिए शॉपिंग करनी है जिससे मिलने वाले रिवॉर्ड से उनके नाम का एक पेड़ लग जाएगा.

बस शॉपिंग करिए और आपके नाम से पेड़ लग जाएगा

आनंद ने Treewards नाम का ऐप बनाया है. इस ऐप के अंदर आपको सभी बड़े बड़े शॉपिंग प्लेटफॉर्म दिखाई पड़ेंगे. फिर चाहे आपको कपड़े खरीदने हो या ग्रॉसरी, मोबाइल या लैपटॉप. आपको इस ऐप के जरिए अपनी पसंदीदा शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर जाकर खरीदारी करनी है. आपके शॉपिंग के आधार पर आपको रिवार्ड प्वाइंट मिलेंगे. जैसे ही आपका रिवार्ड प्वाइंट एक हजार होगा आपके नाम पर आम या जामुन का एक पेड़ लगा दिया जाएगा. इतना ही नहीं यूजर के नाम पर पेड़ लगने के बाद उसे बकायदा पेड़ की फोटो, किसके घर में पेड़ लगाया गया है उस घर के मालिक की फोटो और पेड़ की GPS लोकेशन पहुंच जाएगी. मतलब यूजर्स अपने पेड़ को ट्रैक कर सकते हैं. उसकी कंडीशन पर लगातार नजर बनाए रख सकते हैं. आनंद बताते हैं कि अक्टूबर 2023 में इस ऐप की शुरुआत हुई थी. अब तक यूजर्स के जरिए ही 2 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं.

सोशल मीडिया का एक-एक क्लिक पर्यावरण के लिए हानिकारक

आनंद बताते हैं कि सोशल मीडिया की वजह से भी कार्बन एमिशन बहुत ज्यादा होता है. एक आदमी एक लाइक-कॉमेंट या किसी मैसेज को फॉरवर्ड करने में एक मिलीग्राम कार्बन एमीशन करता है. दिनभर में हम कितने मैसेज फार्वर्ड करते हैं या सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं, इससे होने वाले नुकसान का कैलकुलेशन करना भी मुश्किल है. इतना ही नहीं एक फ्लाइट पैसेंजर सिर्फ एक बार ट्रैवल करके हवा में जितना प्रदूषण छोड़ता है उसे साफ करने में एक 10 साल पुराने आम के पेड़ को 6 महीने लग जाते हैं. आनंद कहते हैं कि मैं ये नहीं कह रहा कि आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना बंद कर दें या फोन बंद कर दें, लेकिन उस नुकसान की भरपाई करने के लिए पेड़ जरूर लगाएं. आनंद कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि 800 करोड़ पेड़ लगाने की उनकी मुहिम 15 साल में पूरी हो जाएगी.

 

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