मेहंदी के बिना भारत का लगभग हर एक त्यौहार या शादी-ब्याह का आयोजन अधूरा है. और मेहंदी सिर्फ हाथ-पैरों को सजाने के लिए नहीं इस्तेमाल होती है. बल्कि बहुत से लोग बालों की कंडीशनिंग और कलरिंग के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं. पर जबलपुर की एक छात्रा ने मेहंदी का इस्तेमाल कर प्रभु की तस्वीर ही बना दी है.
मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली दीक्षा गुप्ता ने कागज के कैनवास पर भगवान बालाजी की विशाल तस्वीर बनाकर इतिहास रच दिया है. यह आकृति उसने किसी पेट या रंग से नहीं बल्कि हाथों पर सजाई जाने वाली मेहंदी से तैयार की है. दीक्षा गुप्ता की इस मेहनत पर अब गिनीज बुक ने भी अपनी मुहर लगा दी है. जबलपुर की दीक्षा गुप्ता ने कैनवास पर एक-दो नहीं बल्कि 9 फुट ऊंची पेंटिंग बनाकर पूरे परिवार के साथ साथ जबलपुर का भी नाम रोशन किया है.
मेहंदी से बनाई पेंटिंग
दीक्षा ने 9 फुट लंबी और 6 फुट चौड़ी तिरुपति बालाजी की पेंटिंग मेहंदी से बनाकर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में अपना नाम दर्ज कराया है. दीक्षा पहले इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज करा चुकी है. दीक्षा की इस उपलब्धि से परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है. माता-पिता से लेकर सभी रिश्तेदार दीक्षा की उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं उनका कहना है कि दीक्षा ने जितनी मेहनत की है आज उसका फल उसे हासिल हुआ है.
शुरू से ही पेंटिंग का शौक रखने वाली दीक्षा गुप्ता बीबीए पास आउट है. और वह इसके पहले धर्म और आध्यात्म से जुड़ी कई पेंटिंग को मेहंदी के जरिए आकार दे चुकी हैं. तिरुपति बालाजी की 9 फुट ऊंची मेहंदी की पेंटिंग बनाने में दीक्षा को करीब तीन महीने का वक्त और दो किलो मेहंदी का उपयोग किया गया. रोजाना वह 5 से 6 घंटे तक मेहंदी कोन की मदद से बालाजी की पेंटिंग बनाती रहीं.
संयुक्त परिवार की बेटी है दीक्षा
दीक्षा बताती है कि वह एक मध्यम वर्ग के परिवार से हैं. पिता-मां और भाई सहित 20 लोग संयुक्त परिवार में एक साथ रहते हैं. उनके पिता, संजय गुप्ता कॉस्मेटिक्स की स्टॉल लगाते हैं और मां गृहणी है. दीक्षा 12 साल की उम्र से मेहंदी लगा रही हैं. अपनी पढ़ाई के साथ इस कला को वक्त देती रही और अब प्रोफेशनल मेहंदी आर्टिस्ट है. दीक्षा ने बताया कि प्रोफेशन से जुड़ने के बाद ज्यादा वक्त नहीं मिलता. लेकिन कोरोना के दौरान लाकडाउन में उन्हें मेहंदी के साथ ही कुछ नया करने में समय मिला. उन्होंने कई नए डिजाइन बनाए.
उन्होंने भक्तिभाव को मेहंदी के जरिए प्रदर्शित किया. मेहंदी से पेटिंग बनाने की शुरूआत कोविड के दौरान बने हालातों में ही हुई. दीक्षा ने बताया की इस तरह के स्वरूप को तैयार करने के लिए वह भजन सुनती हैं, तभी ये उसे बेहतर तरह से बना पाती हैं. वह कहती हैं कि कभी भी अचानक से बैठकर भगवान के डिजाइन्स को तैयार नहीं किया जा सकता. भक्तिभाव को जब महसूस करते हैं, तभी कला उभर कर सामने आती है. जब दीक्षा यह कार्य करने के लिए अपना समय व्यतीत करती रही तो घर वाले नाराज होते थे परंतु अब वही घर वाले अपनी बेटी पर गर्व महसूस कर रहे हैं और पूरा परिवार खुश है.