कश्मीर घाटी में तीव्र ठंड की चपेट में आने के कारण, घाटी के विभिन्न बाजारों में अनोखे फायर पॉट (कांगड़ी) की मांग बढ़ गई है. दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के वोकई गांव में इस मौसम में प्रतिदिन पांच हजार कांगड़ी का उत्पादन होता है. गांव के लोग कांगड़ियां बनाने के अलावा, इसके लिए कच्चा माल भी तैयार करने में अपने कुशल हाथों का उपयोग करते हैं.
कांगड़ी विकर की टोकरी में बंद एक मिट्टी का बर्तन है. यह एक पोर्टेबल और मुवेबल हीटर की तरह है जिसे कश्मीरी ठंड में खुद को गर्म रखने के लिए अपने गर्म ऊनी लबादे में रखते हैं. वोकाई के भीतर, कारीगर चार अलग-अलग प्रकार की कांगड़ी बनाते हैं: ग्रेस कांगेर, खोजा कांगेर, महरेन कांगेर और सुर कांगेर, प्रत्येक का अपना मूल्य टैग और एक ग्राहक आधार होता है.
हर दिन बनती हैं तीन से पांच हजार कांगड़ी
मोहम्मद जमाल शकसाज़ ने कहा कि हम गांव में प्रतिदिन 3000-5000 कांगड़ी का उत्पादन करते हैं. गांव में लगभग सभी परिवार इस पेशे से जुड़े हुए हैं. हमारी कांगड़ी कश्मीर के सभी हिस्सों कुपवाड़ा से काजीगुंड तक पहुंचती है. यह पेशा दशकों से चला आ रहा है. वोकाई में ज़मींदार अपने धान के खेतों में विकर उगाते हैं और बाद में इसे कारीगरों को बेचते हैं. गांव में बहुत सारे लोग हैं जो अब नर्सरी में कानी (टहनियां) की खेती करते हैं.
इस गांव में सभी परिवार एक ही व्यवसाय पर निर्भर हैं. यह जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के अन्य हिस्सों तक कांगड़ी पहुंचता है. टहनियों की कटाई से लेकर कोंडल, मिट्टी के बर्तन तक सब कुछ गांव में उत्पादित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार हमारे लिए कुछ भी नहीं कर रही है जैसा वे कश्मीर में अन्य शिल्प और कारीगरों के लिए कर रहे हैं. वे बैंक लोन लेकर कांगड़ी व्यापार को वित्तीय बढ़ावा देना चाहते थे. इस व्यापार को अगले स्तर पर ले जाने के लिए उन्हें सरकारी सहायता की आवश्यकता है.
कांगड़ी है पॉपुलर
एक कांगड़ी वितरक आकिब रसूल ने कहा कि इस सीजन में हम हर रोज गांव से कांगड़ी की आपूर्ति करते हैं. इस साल अत्यधिक ठंड के कारण कांगड़ी की अच्छी बिक्री हो रही है. उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में लगभग 4000 से 5000 कांगड़ी आयात करते हैं. आधुनिक हीटिंग उपकरणों की उपलब्धता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कांगड़ी का अपना महत्व है क्योंकि बिजली आपूर्ति की उपलब्धता के बाद ही बिजली के उपकरण काम करते हैं और बिजली की खराबी होने पर यह खतरनाक साबित हो सकता है जबकि कांगड़ी बिना किसी डर के हर समय काम कर सकती है.
(अशरफ वानी की रिपोर्ट)