साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत के 526 जवान शहीद हुए थे. इनमें एक सैनिक पंजाब के मोगा जिले के राऊवाल के रहने वाले जीयोन सिंह भी थे. जीयोन दसवीं की पढ़ाई के बाद 1994 में इंडियन आर्मी के 8वीं सिख बटालियन में भर्ती हुए थे. जीयोन सिंह किसान परिवार से थे. पिता खेती करते थे और जीयोन सिंह को भी खेती करने का शौक था. जीयोन सिंह के परिवार में दो भाई और एक बहन थे. जीयोन सिंह ने बचपन से सपना देखा कि वह फौज में भर्ती होंगे.
अपने गांव से वह पहले नौज़वान थे जो देश की सेवा करने के लिए फौज में भर्ती हुए थे. नौकरी लगने के दो साल बाद 1996 में जीयोन सिंह की शादी भेरामके गांव की चरणजीत कौर के साथ हुई और करीब एक साल बाद एक बेटा भी हो गया. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 2 जुलाई को गोली लगने से जीयोन सिंह शहीद हो गए.
गांव में मनाते हैं शहीदी दिवस
शहीद जीयोन सिंह 2 जुलाई 1999 में अपने माता पिता के साथ-साथ अपने डेढ़ साल के बेटे और पत्नी को छोड़ कर युद्ध में चले गए थे. 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के 25 साल पूरे होंगे और 25वीं बरसी पर सैनिक कल्याण बोर्ड की ओर से शहीदों के परिवार को सम्मानित किया जाएगा.
जीयोन सिंह की पत्नी चरणजीत कौर कहा कि उन्हें अपने पति की शहीदी पर गर्व है. उन्होंने बताया कि उनकी शहीदी को पूरा भारत कारगिल विजय दिवस के रूप में हर साल मनाता है और वहीं, उनके गांव में यह दिन शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. गांव के जियोन के चले जाने का दुख है लेकिन खुशी इस बात की है कि केंद्र सरकार और पंजाब सरकार ने उनके नाम को सदियों तक याद रखने के लिए उनके नाम पर एक स्कूल, गांव की सड़क का नाम और एक यादगारी गेट बनवाया है.
(तन्मय सामंता की रिपोर्ट)