Vaijayanti Farming: मोती वाला पेड़! वैजयंती की खेती कर रहा ये किसान, मार्केट में खूब है इसकी डिमांड

हरियाणा के करनाल में किसान रामविलास वैजयंती की खेती करते हैं. उन्होंने पहली बार 5 साल पहले इस पौधे को नर्सरी में लगाया था. उसके बाद से लगातार रामविलास इसकी खेती करते हैं. वैजयंती के मोती की मार्केट में बहुत डिमांड है. माना जाता है कि वैजयंती की माला भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है.

Vaijayanti Farming
gnttv.com
  • करनाल, हरियाणा,
  • 19 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:04 AM IST

हरियाणा कृषि के क्षेत्र में काफी पहचान रखता है, क्योंकि यहां के किसान और वैज्ञानिक कृषि के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करके उसको मुनाफे का सौदा बना रहे हैं. ऐसे ही एक किसान करनाल के रहने वाले रामविलास हैं, जो अनोखे प्रकार से नर्सरी तैयार करके लाखों रुपए कमा रहे हैं. यह हरियाणा के एकमात्र ऐसे किसान हैं, जो हजारों प्रकार के फूलों की वैरायटी तैयार करते हैं और देश के अलग-अलग राज्यों में लोगों तक और किसानों तक पहुंचाने का काम करते हैं. इन्होंने अपनी नर्सरी में हजारों प्रकार के पेड़ पौधे लगाए हुए हैं.

वैजयंती के पौधे की नर्सरी-
किसान रामविलास ने करनाल में वैजयंती का पौधा अपने फार्म पर नर्सरी में लगाया हुआ है. वैजयंती काफी लाभकारी पौधा होता है, जिसके मोती से माला बनाई जाती है। इसको भगवान श्रीकृष्ण का प्रिया पौधा भी माना जाता है, क्योंकि इसकी बनी हुई माला खुद भगवान श्रीकृष्णा पहनते थे. वैजयंती का अर्थ विजय दिलाने वाला होता है. इसलिए सनातन धर्म में इसकी बहुत ज्यादा मांग रहती है और धार्मिक स्थलों पर इसकी माला 500 रुपए तक में बेची जाती है.

वैजयंती से बनाई जाती है माला-
रामविलास ने बताया कि वैजयंती का पौधा काफी गुणकारी होता है और घर में लगाना काफी अच्छा माना जाता है. यह पौधा सदियों से चला आ रहा है. लेकिन किसानों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. इसलिए इसकी खेती बड़े स्तर पर नहीं की जाती है. वैजयंती के मोती की माला भगवान श्रीकृष्णा और मां लक्ष्मी पहनती थी. इतना ही नहीं, गुरु नानक देव भी अपने हाथ में वैजयंती के मोती से बनी हुई माल रखते थे.

आध्यात्मिक मानी जाती है वैजयंती की माला-
उन्होंने बताया कि वैजयंती की माला को ज्यादातर आध्यात्मिक तौर पर ही धारण किया जाता है. यह काफी शुभ मानी जाती है, क्योंकि हमारे भगवान इसको खुद धारण करते थे. जिसके चलते अब इंसान भी इसको रुद्राक्ष की तरह धारण करते हैं. आध्यात्मिक के साथ-साथ शारीरिक तौर पर भी यह काफी अच्छी मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह बीपी, शुगर सहित कई बीमारियों पर कंट्रोल रखती है. इसलिए इस मोती की काफी डिमांड होती है और जो धार्मिक क्षेत्र है, वहां पर इसकी माला बेची जाती है. वैजयंती की माला 500 रुपए से लेकर हजार रुपए तक की हो सकती है. उन्होंने बताया कि वैजयंती के नाम पर कुछ नकली मोती भी बेची जा रहे हैं, लेकिन इस पौधे से हमें असली मोती मिलते हैं.

5 साल पहले लगाया था वैजयंती का पौधा- 
रामविलास ने बताया कि मैं वैजयंती के बारे में बहुत जगह पढ़ा और सुना था तो मेरे अंदर भी इच्छा थी कि मैं भी इसका पौधा अपने घर पर लेकर आऊं और मैं आज से 5 साल पहले इस पौधे को अपनी नर्सरी में लगाया था और परिवार वालों को बताया था कि है वह जयंती का पौधा है, जो पत्थरों जैसे मोती देता है और इसकी माला काफी अच्छी मानी जाती है. लेकिन परिवार वालों ने उस समय कहा कि यह तो मक्के जैसा दिखाई देता है, इसे कहां मोती मिलेंगे? लेकिन पहले ही साल मोती आने शुरू हो गए और अब वह दूसरे आम लोगों को और किसानों को इसके पौधे और बीज उपलब्ध करा रहे हैं.

कब तैयार होता है पौधा-
उन्होंने बताया कि वैजयंती का पौधा लगाने के तीन चार महीने बाद अगस्त-सितंबर में फ्लोरिंग शुरू हो जाती है और फिर सर्दियों में उसमें मोती बन जाते हैं. इन दिनों में मोती निकाल लिए जाते हैं. पौधे की जिस शाखा से हमें मोती मिलते हैं, वह सूख जाते हैं. लेकिन नीचे से उसमें दो गुना, तीन गुना फ़ुटाव होता है. इसलिए इस पौधे को एक बार ही लगाया जाता है, उसके बाद इससे हम और भी पौधे तैयार कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पहले साल पौधे से 500 मोती तक ले सकते हैं. लेकिन दूसरे साल से हम हजारों की संख्या में मोती ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि जहां पर धार्मिक स्थान है, वहां पर इसकी माला की काफी डिमांड रहती है और वहां पर अच्छे दाम पर हम मोती बेच सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस पौधे की ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती, हालांकि इसमें साल में एक बार कैल्शियम जरूर डाला जाता है, क्योंकि कैल्शियम से ही मोती मजबूत बनते हैं, जो सालों साल चलते हैं. 

इस मोती की खास बात यह होती है कि पौधे से निकलने के बाद ऊपर का हिस्सा उतरने से यह बिल्कुल चमकीला दिखाई देता है और इसमें दूसरे मोती की तरह सुराख करने की आवश्यकता नहीं होती. इसमें प्रकृति ने ही सुराग किया हुआ होता है, जिसे आसानी से माला बनाई जाती है.

लाखों की हो सकती है कमाई-
रामविलास ने बताया कि वैजयंती के पौधे के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है. अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहते हैं तो वह इससे सालाना लाख रुपए कमा सकते हैं. हालांकि उन्होंने सलाह दी कि अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है तो वह छोटे स्तर से इसकी शुरुआत करे, ताकि इसकी पूरी जानकारी मिल सके और यह मुनाफे का सौदा बना सके. उन्होंने बताया कि मोती बनने से पहले इसके ऊपर जो फूल आते हैं, वह भी अच्छे दामों पर बेचे जाते हैं. ये सजावट और रंग बनाने के काम आते हैं. इसका पौधा 2 फीट की दूरी पर लगाया जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय होता है वैजयंती माला-
वैजयंती माला भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुओं में से एक है. भगवान श्रीकृष्ण की छह मुख्य प्रिय वस्तु हैं. जिसमें गाय, मोर पंख ,बांसुरी ,मिश्री, माखन और वैजयंती माला शामिल हैं. ऐसा माना जाता है कि मित्रों के लिए भगवान श्रीकृष्णा बजंत्री माला का प्रयोग किया करते थे और उसको अपने गले में भी धारण करते थे, जो धार्मिक और शास्त्रों के हिसाब से काफी शुभ मानी जाती है. इसका विशेष तौर इस्तेमाल पर हवन यज्ञ, पाठ पूजा और सात्विक साधनों में किया जाता है. वैजयंती का अर्थ विजय दिलाने वाली माला होता है. मतलब वह हर काम में विजय दिलाने वाली होती है, इसलिए इसको ज्यादातर लोग धारण करते हैं.

(करनाल से कमलदीप की रिपोर्ट)

ये भी पढ़ें:

 

Read more!

RECOMMENDED