Farming Success Story: 50,000 रुपए/माह की प्राइवेट जॉब छोड़कर शुरू की बागवानी, फलों की खेती से कमा रहे 50 लाख रुपए सालाना

हरियाणा में करनाल के किसान नरेंद्र सिंह चौहान ने बागवानी में सफलता हासिल करके देश के सभी किसानों के लिए मिसाल पेश की है. वह फलों की खेती से सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं.

Farmer Narendra Chauhan
gnttv.com
  • करनाल ,
  • 18 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

करनाल के रहने वाले किसान नरेंद्र सिंह चौहान आज पूरे देश के लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं. नरेंद्र उन प्रगतिशील किसानों में एक गिने जाते हैं, जिन्होंने प्राइवेट नौकरी छोड़कर खेती शुरू की और उनमें सफलता हासिल की. नरेंद्र ने जब निजी कंपनी की नौकरी छोड़ी तब उनकी सैलरी ₹50000 प्रति माह थी. 

आज नरेंद्र चौहान 14 एकड़ में बागवानी की खेती कर रही है और अब वह सालाना 50 लाख रुपए की इनकम कर रहे हैं. देश भर से किसान उनके फार्म पर बागवानी की खेती को देखने और उनसे खेती बाड़ी के बारे में जानने के लिए पहुंचते हैं. 

चंडीगढ़ में करते थे नौकरी 
नरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि खेती करना उनका ख़ानदानी पेशा है. उन्होंने खेती के साथ पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की. MSW करने के बाद उन्होंने चंडीगढ़ में नौकरी हासिल की. लेकिन उनका नौकरी से ज्यादा रुझान खेती में था. इसके देखकर उनके एक दोस्ट ने हॉर्टिकल्चर में नर्सरी के लिए उनका लाइसेंस अप्लाई किया. 

जब उन्हें लाइसेंस मिल गया तो उसके बाद नरेंद्र ने नौकरी छोड़कर बागवानी की नर्सरी खेती शुरू की. साल 1990 में उनकी लवली नर्सरी राणा फार्म की शुरुआत हुई. नरेंद्र चौहान बताते हैं कि 1995 में सबसे पहले अखनूर एरिया के गर्म इलाके से बादाम लाकर अपने फार्म पर लगाए और बादाम की खेती शुरू की. 

शुरू की सेब की बागवानी 
इसके बाद 2016 में पालमपुर से सेब के पेड़ लाकर तीन साल में सेब के पेड़ों से फल लेकर उन्होंने सबको चौंका दिया. उन्होंने राणा गोल्ड एप्पल के नाम से अपने सेब का नाम रखा. उनका कहना है कि सेब की वैरायटी में अन्ना गोल्ड हरमन जैसी वैरायटी है जो मैदानी इलाकों में काफी कामयाब है. कोई भी किसान हरियाणा, पंजाब, या उत्तर प्रदेश में यह वैरायटी लगाकर अच्छे फल हासिल कर सकता है.

प्रगतिशील किसान नरेंद्र चौहान ने बताया उनके फार्म पर पूरे देश से किसान आते हैं. जिन्हें वह सभी तरह की जानकारी देते हैं. 14 एकड़ में वह सिर्फ बागवानी करते हैं. इसके अलावा, वह दूसरे खेतों में सब्जियां और अनाज भी उगाते हैं. बागवानी में उनके पास सेब, बादाम, आड़ू, आलू बुखारा, नाशपती, चीकू और आम जैसे सभी फल सीजन के हिसाब से उपलब्ध रहते हैं. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान भाई लकीर के फकीर ना बनें, बल्कि गेहूं-धान की खेती मे घाटा खाने की बजाय बागवानी की तरफ रुख करें और मुनाफा कमाए. 

सरकार से मिल रहा है सहयोग 
नरेंद्र चौहान ने बताया कि सरकार की तरफ बाग लगाने वाले किसानों का सहयोग भी किया जाता है. दवाई-खाद के लिए भी सब्सिडी मिलती है. अगर कोई किसान नया बाग लगाता है तो उस किसान को 50% की सब्सिडी भी दी जाती है. किसान 80% तक की सब्सिडी पर ड्रिप इरीगेशन सिस्टम अपने खेतों में लगवा सकते हैं. मार्केटिंग पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि वह अपने फलों को मंडी में नहीं लेकर जाते हैं. उनके फार्म से ही लोग ज्यादातर फल खरीद कर ले जाते हैं. वह सब्जियां भी उगाते हैं. 

करनाल स्थित हॉर्टिकल्चर विभाग में बागवानी अधिकारी मदनलाल ने बताया बागवानी की तरफ किसानों का रुझान इस लिए बढ़ने लगा है, क्योंकि बागवानी में किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है. सरकार बागवानी करने वाले किसानों को सब्सिडी देती है. मसाले दार सब्जियों के लिए 25,000 रुपए प्रति एकड़ की सब्सिडी मिलती है. नेट हाउस, पोली हाउस पर भी सब्सिडी सरकार दे रही है. उन्होंने कहा सरकार किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए हर जिले में बागवानी का ट्रेनिंग सेंटर बनाने पर जोर दे रही है ताकि किसान ठीक तरीके से ट्रेनिंग लेकर बागवानी की खेती कर सके और ज्यादा मुनाफा कमा सकें. 

(कमलदीप की रिपोर्ट)

 

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