सबसे कठिन भाषाओं में से एक मानी जाने वाली संस्कृत भाषा में रैप गाकर बनाया अनोखा रिकॉर्ड

काशीपुर के श्लोक भारद्वाज ने संस्कृत भाषा में रैप लिखा और अपने राज्य का नाम रोशन किया है. उनके संस्कृत में गाये रैप को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं.

श्लोक भारद्वाज
gnttv.com
  • काशीपुर ,
  • 01 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST
  • संस्कृत को लुप्त होने से बचाएं
  • कंधों पर थी परिवार की जिम्मेदारी

भले ही आज दुनिया भर में लगभग 6900 भाषाओं का प्रयोग किया जाता है. लेकिन इन भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा कहीं लुप्त हो चुकी है. संस्कृत भाषा को आज के टाइम में पढ़ना और लिखना दोनों ही कठिन माना जाता है. ऐसे में उसी भाषा को उभारने के प्रयास में काशीपुर के एक रैप सिंगर ने संस्कृत भाषा में रैप गाकर एक नया इतिहास कायम कर दिया है. रैप सिंगर ने संस्कृत में रैप गा के इण्डिया बुक ऑफ  रिकार्ड्स में नाम दर्ज कराया है. 

कंधों पर थी परिवार की जिम्मेदारी
एक तरफ जहां संस्कृत भाषा को आज के दौर में सबसे कठिन भाषा के रूप में देखा जाता है वहीं काशीपुर के श्लोक भारद्वाज ने संस्कृत भाषा में रैप लिखा और अपने राज्य का नाम रोशन किया है. उनके संस्कृत में गाये रैप को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं. श्लोक भारद्वाज के पिता का 2012 में निधन हो गया था. पढ़ने-लिखने की उम्र में परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी कंधों पर आ गई. पढ़ाई के साथ नौकरी और अपना सिंगर बनने का सपना पूरा करने के हौसले ने ना तो चैन से जीने दिया न सोने. दिन में नौकरी और रात को अपने सपनों की उड़ान ने श्लोक  भारद्वाज के नाम कई खिताब लिख दिए. श्लोक पहले भी अलंकार नाम से रैप बनाकर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करा चुके हैं. इस गीत में सिर्फ ‘ब शब्द का प्रयोग किया गया था. श्लोक को 2012 से रैप का शौक चढ़ा. वे एग्रीकल्चर इंजीनियर के छात्र रह चुके हैं.

संस्कृत को लुप्त होने से बचाएं
जिन देवों का इतिहास ही संस्कृत में लिखा हो और उन्हीं की नगरी में उन्ही की भाषा लुप्त होती जा रही हो तो इस से बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा ? जिस को लेकर देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में चिंता जताई थी तो कुछ गायक कलाकारों द्वारा संस्कृत भाषा को उभारने का प्रयास किया जा रहा है.  ऐसे में क्यों ना राज्य सरकार भी उन गायकों की ओर ध्यान दें.  कोई योजना बनाकर संस्कृत भाषा को लुप्त होने से बचाएं और फिर से देवनागरी में  संस्कृत भाषा का चलन लाए.

(उधम सिंह नगर से रमेश चन्द्रा की रिपोर्ट)


 

 

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