क्या आप कभी अपने पैशन को फॉलो करने के लिए एक अच्छी खासी नौकरी स्टेबलिटी छोड़ना पसंद करेंगे? शायद नहीं! या फिर ऐसा करने के लिए भी दो बार सोचेंगे. लेकिन कश्मीर की रहने वाली इंशा रसूल ने ऐसा ही किया. इंशा साउथ कोरिया के एक विश्वविद्यालय से मॉलिक्यूलर सिग्नलिंग की पढ़ाई कर रही थी जब उनका ऑर्गेनिक फार्मिंग में इंटरेस्ट जगा. इंशा ने उसी समय अपनी पढ़ाई छोड़ दी और 2018 में वापस कश्मीर के बडगाम आ गई ताकि वो कर सकें जो उन्हें पसंद है.
पेशे से साइंटिस्ट हैं इंशा
जब उन्होंने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू किया, तो उनके पास 3.5 एकड़ की पुश्तैनी जमीन थी, जिस पर उनका परिवार खुद के खाने-पीने के लिए फसल और सब्जियां उगाता था. बडगाम आकर इंशा ने किसानों से संपर्क करना शुरू किया और खेती के लिए बीज, खाद खरीदी. साथ ही बुवाई, जुताई और ऐसे अन्य काम करने के लिए उन्होंने मजदूरों को काम पर रखना शुरू किया. पेशे से एक वैज्ञानिक होने के नाते वह यह बात अच्छे से जानती थीं कि फसल उगाने के लिए रिसर्च करना ही पर्याप्त नहीं है. उन्होंने विभिन्न मौसमों में विभिन्न किस्मों के बीजों के साथ प्रयोग करते हुए महीनों बिताए.
"मैं सफल होने से ज्यादा असफल हुई. कभी-कभी फसल नहीं उगती या खाद काम नहीं करती तो कई बार मैं उसमें ज्यादा पानी डाल देती या गलत मौसम में बीज लगा देती. मेरा ये प्रयोग छह महीने से अधिक समय तक के लिए चला. आखिरकार, मैंने खेती में बने रहने का फैसला किया और मेरा यह निर्णय मेरे लिए लाइफ चेंजिंग साबित हुआ.”
24 घंटे के अंदर बिक जाता है समान
इसी की बदौलत इंशा ने होमग्रीन्स( Homegreens)की स्थापना की. इंशा ने कहा कि वैसे तो उनका परिवार खेती करने वालों में से था लेकिन उनका इंटरेस्ट इस प्रोफेशन में तभी जगा जब वो एक स्कूल एक्टिविटी के दौरान एक स्ट्रॉबेरी फार्म पर गई थीं. उन्होंने कहा,"मैं उस तकनीक को देखकर हैरान रह गई जिसे वो किसान ताजा, रंगीन स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए इस्तेमाल करते थे. मैंने अपने पति से कहा कि कितना अच्छा होगा अगर कश्मीर में भी कोई ऐसा करे. उन्होंने कहा कि जब हमारे पास जमीन है तो किसी और का इंतजार क्यों करें. सब कुछ छोड़ने का फैसला हमने छह महीने की कठोर योजना और शोध के बाद लिया." इंशा अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक पेज के जरिए अपने द्वारा उगाए गए पौधे, फल, सब्जियां बेचती हैं. उनका दावा है कि उनके उगाया गया समान 24 घंटे के अंदर बिक जाता है.
लाखों में हुई कमाई
इंशा बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान की पूर्व छात्र हैं. वह हरियाली और कम तापमान वाली कई जगहों पर रह चुकी हैं. कश्मीर, दिल्ली और बेंगलुरु में रहने के बाद वह दक्षिण कोरिया चली गईं, जहां मौसम अधिक सुहावना था. इंशा ने बताय कि उन्होंने पिछले नवंबर और दिसंबर में करीब 8 लाख रुपये की कमाई की और उनका काम लगातार आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "हमारा मुनाफा फ्रेंच बीन्स और मटर की जमी हुई किस्मों के साथ-साथ ब्लैंच किए गए स्वीट कॉर्न और टमाटर के माध्यम से भी उत्पन्न होता है. हम साल भर इसे बेच सकते हैं. ”
सबसे अधिक दिलचस्प बात यह है कि अपने ब्रांड नाम के तहत इंशा ने स्थानीय किसानों के साथ मिलकर पूरे भारत में विदेशी सब्जियां और अचार जैसे मूल्य वर्धित उत्पाद बेचने के लिए सहयोग किया है. हर महीने इंशा औसतन 15-20 किसानों के साथ काम करती हैं और उन्हें बाजार दर से अधिक कीमत पर काम देती हैं. ब्रांड की सफलता को देखते हुए इंशा बहुत जल्द पोलट्री सेक्शन और खेती के लिए और अधिक खेत लेना चाहती हैं.