History of Pickle: सबसे पहले आम-नींबू नहीं बल्कि खीरे का डाला गया था अचार, 4000 साल पुराना है इतिहास

History of Pickle: भारत में खाने के साथ अचार परोसना हमारी पाक परंपरा का हिस्सा है. खासतौर पर जब खास दावत हो या खास मेहमानों को खाना परोसा जाए तो सब्जी, दाल, रायते आदि के साथ चटनी, पापड़ और अचार का होना जरूरी है. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं कहानी अचार की.

History of Pickle (Photo: Meta AI)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 16 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST
  • फारसी मूल का है अचार शब्द 
  • सबसे पहले बनाया गया था खीरे का अचार 

भारत में जब बात खाने की थाली की आती है तो आप उत्तर में हों या दक्षिण में या पूर्व-पश्चिम, एक डिश खासतौर पर आपको मिलती ही मिलती है. और यह है अचार. जगह के हिसाब से अचार का टाइप, रेसिपी और इसका नाम बदल जाता है लेकिन थाली में अचार जरूर होता है. हम सबकी कोई न कोई याद अचार से जरूर जुड़ी होगी क्योंकि बहुत से लोगों ने तो बचपन से अपने घर में तरह-तरह का अचार बनते देखा होगा. 

मराठी में लोंचा, तमिल में उरुकाई, गुजराती में अथानु, मलयालम में उप्पिलिटुथु, तेलुगु में पचड़ी- ऐसे अलग-अलग नामों के साथ जाना जाने वाला अचार देश के कोने-कोने में अपनी जगह बनाए हुए है. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं अचार की कहानी. यहां जानिए कितने साल पुराना है अचार का इतिहास और सबसे पहले किस चीज का अचार बनाया गया. 

फारसी मूल का है अचार शब्द 
बात अगर 'अचार' शब्द की करें तो अचार शब्द को व्यापक रूप से फ़ारसी मूल का माना जाता है. फ़ारसी में अचार को 'पाउडर या नमकीन मांस, या नमक, सिरका, शहद या सिरप में संरक्षित फल' के रूप में परिभाषित किया गया है. वहीं, इसके लिए यूज होने वाला 'पिकल' शब्द स्वयं डच शब्द 'पेकेल' से आया है, जिसका अर्थ है नमकीन पानी. हॉब्सन-जॉब्सन: द डेफिनिटिव ग्लोसरी ऑफ ब्रिटिश इंडिया के अनुसार, 'अचार' शब्द का उल्लेख 1563 ई. में एक पुर्तगाली चिकित्सक गार्सिया दा ओर्टा के कार्यों में मिलता है, जिसमें नमक के साथ काजू के संरक्षण के बारे में जिक्र किया गया था. 

वहीं, खाद्य इतिहासकार केटी अचार्या ने अपनी किताब, 'हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूडट में लिखा है कि अचार 'बिना आग के पकाने' की श्रेणी में आता है. हालांकि, आज कई अचार तैयार करते समय कुछ हद तक ताप या आग का इस्तेमाल करते हैं. भारत में अचार की एक समृद्ध विरासत है. इतिहासकार के मुताबिक, 1594 ई. की कन्नड़ कृति, गुरुलिंग देसिका के लिंगपुराण में कम से कम पचास प्रकार के अचारों का वर्णन है. 

सबसे पहले बनाया गया था खीरे का अचार 
कल्चर ट्रिप की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अचार तीन मूल प्रकार के होते हैं: सिरके में संरक्षित अचार; नमक में संरक्षित अचार; और तेल में संरक्षित अचार. भारत में, अचार बनाने के लिए सामान्य तौर पर तेल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. किसी फूड प्रोडक्ट को लंबे समय के लिए संरक्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है अचार बनाना. अचार को लंबे समय के लिए संरक्षित कर सकते हैं और साथ ही, इसे ट्रेवल के दौरान इधर-उधर ले जा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर अचार खाने के साथ सब्जी का काम भी कर देता है. 

न्यूयॉर्क फ़ूड म्यूज़ियम की पिकल हिस्ट्री टाइमलाइन के अनुसार, अचार बनाने के शुरुआती चिह्न 2030 ईसा पूर्व के मिलते हैं, जब वायनाड में टाइग्रिस घाटी में देशी भारतीय खीरे का अचार बनाया जाता था. मुहम्मद बिन तुगलक के जीवन पर लिखने वाले ट्रेवलर और लेखक इब्न बतूता ने भी अचार का उल्लेख किया है. 1594 ई. के गुरुलिंग देसिका के कन्नड़ पाठ लिंगपुराण में 50 से ज्यादा प्रकार के भारतीय अचारों का उल्लेख है. 17वीं शताब्दी में केलाडी राजा, बसवराज के विश्वकोश, शिवत्त्वरत्नाकर में भी अचार का उल्लेख मिलता है. 

फल-सब्जियों से लेकर नॉन-वेज अचार तक 
बात जब भी भारत में अचार की होती है तो बहुत से लोगों के दिमाग में झट आम के अचार का ख्याल आता है. हालांकि, आम के अलावा नींबू, हरी और लाल मिर्च, आंवला, टमाटर और अन्य कई तरह की सब्जियों या फलों के अचार भारत में बनाए-खाए जाते हैं. वहीं, कई इलाकों में नॉन-वेज अचार भी बनाया जाता है. दक्षिण में मछली, चिकन, मटन और यहां तक ​​कि झींगा का अचार भी तैयार किया जाता है. आपको बता दें कि भारत के अचार की देश से लेकर विदेशों तक मांग है. और तो और आज हमारे देश की बहुत सी महिलाएं अचार के बिजनेस से अपनी अलग पहचान बना रही हैं. इस तरह अचार सिर्फ हमारे खानपान की संस्कृति या इतिहास का ही नहीं बल्कि इकोनॉमी का भी हिस्सा है. 

 

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