Success Story: कोरोना काल में चली गई जॉब... तो खड़ा कर दिया लाखों रुपए का कारोबार... अब दे रहीं कई महिलाओं को रोजगार... जानिए मुजफ्फरपुर की इप्शा पाठक की कहानी

Success Story of Ipsha Pathak: बिहार के मुजफ्फरपुर की इप्शा पाठक की सफलता की कहानी बहुत प्रेरणादायक है. नौकरी जाने के बाद उन्होंने अपने जुनून और कौशल के बल पर मिथिला पेंटिंग को एक सफल व्यवसाय में बदल दिया है. आइए जानते हैं कैसे?

Success Story of Ipsha Pathak
gnttv.com
  • मुजफ्फरपुर ,
  • 19 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST
  • साल 2019 में इप्शा की चली गई थी नौकरी 
  • अब मिथिला पेंटिंग के सहारे कर रहीं कमाई

Ipsha Pathak is Earning from Mithila Painting: किसी की अचानक नौकरी चली जाए तो कुछ समझ में नहीं आता है कि अब आगे क्या करें. कई बार तो आदमी एकदम से टूट जाता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कोरोना काल में जॉब चली गई, इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं माना. खुद का कारोबार शुरू किया. आज वह न सिर्फ लाखों की आमदनी कर रही हैं बल्कि कई महिलाओं को रोजगार भी दिया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी इप्शा पाठक की. आइए इनकी संघर्ष से सफलता तक की कहानी जानते हैं. 

जीवन में आए कई उतार-चढ़ाव
इप्शा पाठक के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए. जॉब कि शुरुआत में ही उनकी शादी हो गई. शादी होने के बाद अचानक पारिवारिक कारणों से एक बेटी के साथ पति से अलगाव और फिर परिवार चलाने की जिम्मेदारी आ गई. पति से अलग होने के बाद इप्शा ने कर्नाटक से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) किया.

इसके बाद कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब करने लगीं. इसके बाद करोना काल में जॉब चली गई.अब इप्शा को फिर घर आना पड़ गया. एक बार फिर उनके सामने घर-परिवार चलाने की चिंता हो गई. इसके बाद उनका स्कूलिंग टाइम का शौख मधुबनी पेंटिंग सहारा बना. इप्शा ने अपने घर के 10 फीट के कमरे से मिथिला पेंटिंग सेव आरव बाय इप्शा स्टार्टअप शुरू किया. आज उनका 20 लाख रुपए का टर्न ओवर है. इस तरह से वह लाखों रुपए की आमदनी घर से कर रही हैं. वह 20 महिलाओं को सीधे रूप से रोजगार और एक दर्जन से ज्यादा आसपास की लड़कियों को फ्री मिथिला पेंटिंग सिख रही हैं.

पहले बनाना शुरू किया था मास्क
इप्शा मुजफ्फरपुर शहर के पुरानी बाजार निवासी हैं. वह आवरण नाम की कंपनी चलाती हैं. हैंड पेंटेड बैग, कड़े, कैलेंडर, मास्क, बेडशीट, पर्दा आदि बनाती हैं. यह प्रोडक्ट बिहार के साथ साथ देश-विदेशों में भी बेचे जाते हैं. इप्शा बताती हैं कि कोरोना काल से इसकी शुरुआत हुई थी. पहले मास्क बनाना शुरू किया था. इसके बाद धीरे-धीरे प्रोडक्ट में बढ़ोतरी की.

यहां से की पढ़ाई
इप्शा की पढ़ाई मुजफ्फरपुर से हुई. 1997 में मैट्रिक और 1999 में 12वीं कंप्लीट करने के बाद ग्रेजुएशन के लिए सिक्किम चली गईं. ग्रेजुशन के लास्ट ईयर में एक निजी बैंक में काम किया. इसी दौरान पुणे में मैनेजमेंट एचआर एंड मार्केटिंग में पीजी की पढ़ाई की. इप्शा बताती हैं कि पुणे में काम करने के दौरान उनकी शादी तय हो गई थी. परिवार के लोगों ने शादी कर लेने की बात कही. साल 2008 में उनकी शादी हुई. शादी के बाद वे मुजफ्फरपुर आ गई थीं. पति निजी कंपनी में इंजीनियर हैं. एक बेटी भी है. लेकिन फिर पारिवारिक कारणों से पति से अलग होना पड़ा. उन्होंने साल 2010 में अपनी नन्हीं बेटी को लेकर कर्नाटका यूनीवर्सिटी से एमबीए किया. 

साल 2019 में चली गई थी जॉब
इप्शा ने एमबीए करने के बाद कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब शुरू की. इसी दौरान साल 2019 में कोरोना काल में जॉब चली गई और घर वापस आना पड़ा. कुछ महीने घर बैठी रहीं और काफी परेशान रहीं. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने मास्क खरीदने से बेहतर खुद से बनाने की ठानी. अपने और घर के लोगों के लिए डिजाइनदार मास्क बनाया. मोहल्ले के लोगों ने देखा तो काफी तारीफ की. इसके बाद लोगों ने मास्क बनाने के लिए ऑर्डर दिए. इप्शा मोहल्ले के लोगों के लिए मास्क बनाना शुरू किया.

छठ पर्व के दौरान मिला ब्रेक थ्रू 
इप्शा खुद से मिथिला पेंटिंग से काम की शुरुआत की. इसके बाद धीरे-धीरे मिथिला पेंटिंग वाले प्रोडक्ट बनाने लगीं. उन्होंने बताया की वर्ष 2021 में छठ पर्व में उन्हें ब्रेक थ्रू मिला. उन्होंने मिथिला पेंटिंग के बेस पर डगरा, दऊरा, बांस के सूप के दोनों ओर मधुबनी पेंटिंग शैली में भगवान सूर्य की तस्वीर बनाई. दऊरा पर मिथिला की पेंटिंग की कलाकारी ने लोगों का दिल जीत लिया. लोगों के बीच यह काफी चर्चा का केंद्र बना रहा. ऑनलाइन मार्केट में इसकी खूब बिक्री हुई. इसके बाद ऑर्डर भी आने लगे. मिथिला पेंट के थीम से काम करने लगी. अपने प्रोडक्ट को ऑनलाइन और ऑफलाइन बेचने लगीं. 

विदेश भी आ रहे ऑर्डर
इप्शा ने धीरे-धीरे मार्केट फैलाया. काम बढ़ने लगा तो कुछ महिलाओं को भी जोड़ी. वर्तमान में आवरण के नाम से कंपनी चला रही हैं. फेस्टिवल सीजन में हर महीने 40 से 50 हजार रुपए कमा लेती हैं. सलाना 10 से 20 लाख रुपए की कमाई होती है. उन्होंने बताया कि जब मार्केट पकड़ा तो बिहार के अन्य जिलों से ऑर्डर आते थे, लेकिन अब कई राज्यों से ऑर्डर आते हैं. इसके अलावा अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई से भी ऑर्डर आने लगे हैं. लोगों तक मिथिला पेंटिंग से सजे कपड़े और सामान पहुंच सके, इसके लिए कोशिश की जा रही है. ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रोडक्ट के ऑर्डर आ रहे हैं.

(मुजफ्फरपुर से मणि भूषण शर्मा की रिपोर्ट)

 

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