अजब-गजब मध्यप्रदेश! कॉलेज के चपरासी ने 5000 लेकर जांच दी एग्जाम की कॉपियां, पकड़े जाने पर प्रोफेसर बोली, मैं बीमार थी

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां यूनिवर्सिटी के छात्रों की एग्जाम की कॉपियां एक चपरासी से चेक करवाई गईं. चपरासी को पांच हज़ार रुपए में यह काम सौंपा गया. और जब ऐसा करने वाली स्कॉलर पकड़ गईं तो उन्होंने कहा कि उनकी 'तबियत' खराब थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

मध्यप्रदेश अजब है, सबसे गजब है! ये हम यूं ही नहीं कह रहे. यहां आए दिन ऐसे अजीबो-गरीब किस्से सामने आते हैं जो हैरान कर देते हैं. ताज़ा मामला नर्मदापुरम जिले के पिपरिया में स्थित शहीद भगत सिंह शासकीय पीजी यूनिवर्सिटी से जुड़ा है. यहां परीक्षा की कॉपियों की जांच किसी प्रोफेसर ने नहीं, बल्कि एक चपरासी ने की! 

हैरानी की बात ये है मात्र 5000 रूपए में चपरासी को कॉपियां जांचने के लिए दे दी गईं और छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाया गया. जब यह पूरा मामला कैमरे में कैद हो गया और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो हड़कंप मच गया. मामला जैसे ही सामने आया, उच्च शिक्षा विभाग ने तुरंत एक्शन लिया. जांच के आदेश दिए गए हैं और प्रोफेसर को निलंबित भी कर दिया गया है.

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, शहीद भगत सिंह शासकीय पीजी यूनिवर्सिटी में गेस्ट स्कॉलर के तौर पर काम कर रहीं खुशबू पगारे को परीक्षा की कॉपियां जांचने का काम सौंपा गया था. इसी दौरान एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें विश्वविद्यालय के ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यानी चपरासी पन्नालाल पठारिया को उत्तर पुस्तिकाएं जांचते हुए देखा गया. 

जब यह अजीबो-गरीब मामला उच्च शिक्षा विभाग तक पहुंचा तो आनन-फानन में जांच के आदेश दिए गए. जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ. रिपोर्ट के अनुसार, चपरासी पन्नालाल पठारिया ने वास्तव में अतिथि विद्वान खुशबू पगारे को आवंटित उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया था. 
 

पन्नालाल ने लिखित में अपना आरोप स्वीकार किया है.

पन्नालाल ने लिखित में इस बात को स्वीकार भी किया है कि उसने कॉपियां जांचने के लिए 5000 रूपए लिए. गेस्ट स्कॉलर पगारे ने अपनी सफाई में बताया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. इसी वजह से उन्होंने विश्वविद्यालय के बुक लिफ्टर राकेश मेहर को सात हजार रुपये देकर किसी और से कॉपियों का मूल्यांकन करवाने के लिए कहा था.

क्या बोला कॉलेज प्रशासन?
इस पूरे प्रकरण में सीधे तौर पर जिम्मेदारी तय करते हुए महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य राकेश कुमार वर्मा और प्राध्यापक रामगुलाम पटेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. विभाग ने माना है कि प्रशासनिक मुखिया और वरिष्ठ प्राध्यापक होने के नाते यूनिवर्सिटी में इस तरह की गंभीर चूक और अनियमितता उनकी देखरेख में नहीं होनी चाहिए थी. 

इतना ही नहीं, कॉपियों का मूल्यांकन करने वाले चपरासी पन्नालाल पठारिया और गेस्ट स्कॉलर खुशबू पगारे के विरुद्ध भी विभागीय कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं. विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस लापरवाही में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा न जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके. 

(मध्य प्रदेश से अमृतांशी जोशी की रिपोर्ट) 

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