महाराष्ट्र के लातूर जिले में औसा तालुका के रहने वाले विशाल माले एक प्रगतिशील किसान हैं. इस इलाके में पानी की काफी ज्यादा समस्या है और इस कारण यहां पर किसान खेती को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं रहते हैं. पर विशाल ने इस स्थिति को बदल दिया. जहां किसान एक फसल उगाने में भी परेशान होते हैं वहां विशाल फूल और फलों की खेती करके अलग पहचान बना रहे हैं.
ट्रेनिंग लेकर अपनाई नई तकनीकें
विशाल माले पहले मोनोक्रॉपिंग करते थे यानी कि वह अपने खेतों में किसी एक ही चीज की फसल उगाते थे. लेकिन आर्ट ऑफ लिविंग के एक कृषि प्रोग्राम ने उन्हें मल्टी-क्रॉपिंग करके अलग-अलग फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया. उन्हें संगठन की तरफ से 600 अमरूद के पेड़ और 50 आम के पेड़ मिले. साथ ही, उन्होंने प्राकृतिक इनपुट बनाना भी सीखा और अब वह 1.25 एकड़ नें सिर्फ अपने अमरूद के पेड़ों से हर साल लगभग 3 लाख कमाते हैं. विशाल कहते हैं वह पहले बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं थे लेकिन उन्होंने आम और अमरूद के पेड़ लगा लिए और अब उनकी सोच से कहीं ज्यादा उन्हें मिल रहा है.
26 वर्षीय विशाल सात सदस्यों वाले परिवार में रहते हैं. उन्होंने देखा है कि उनके क्षेत्र में किसान बदलते क्लाइमेट और लंबे समय से चले आ रहे सूखे के कारण केवल मौसमी फसलें लेते हैं और जिन किसानों के पास पर्याप्त पानी है, वे गन्ना उगाते हैं क्योंकि इसकी मांग ज्यादा है. जबकि दूसरे किसानों को पानी की कमी के कारण नुकसान झेलना पड़ता है. हालांकि, विशाल को मल्टीक्रॉपिंग के कारण काफी मदद मिली है.
फलों के साथ फूलों की भी खेती
विशाल ने कृषि जागरण को बताया कि उनका फूलों का व्यवसाय पूरे साल खुला रहता है, यहां उनके गांव में किसान केवल मौसमी फसलें उगाते हैं, और बाकी समय उनके पास ज्यादा काम नहीं होता है. लेकिन विशाल की स्थिति अब बदल गई है. उनके खेत में अमरूद और आम के पेड़ लगे हुए 2 साल हो गए हैं. हालांकि, फूलों की खेती वह बहुत साल पहले से कर रहे हैं. फलों के पेड़ों को बहुत ज्यादा रखरखाव की जरूरत नहीं होती है और इनमें निवेश भी बहुत ज्यादा नहीं है. इसलिए फलों की खेती किसानों के लिए सही है.
आर्ट ऑफ लिविंग ने विशाल को सिखाया कि घर पर खाद आदि कैसे बनाएं, अमरूद कैसे उगाएं, उनका रखरखाव कैसे करें, इसकी पानी की जरूरत और अमरूद कैसे लाभदायक और प्रभावी हो सकता है. उन्हें विभिन्न प्राकृतिक तरीकों के माध्यम से माइक्रोबियल मात्रा और कार्बन, नाइट्रोजन और फास्फोरस को बढ़ाने की तकनीक सिखाई गई. उन्होंने इन तकनीकों पर काम किया और फूलों के साथ फलों की खेती शुरू की. इसके बाद उनकी आय पहले से काफी ज्यादा बढ़ी है और इस कारण अब वह अपने परिवार को अच्छी जिंदगी दे पा रहे हैं.