Indira Gandhi Guru Maharishi Mahesh Yogi: जानिए महर्षि महेश योगी की कहानी जिनकी शिष्या थीं इंदिरा गांधी

महर्षि महेश शायद पहले महत्वपूर्ण गुरु थे जिन्होंने टेलीविजन और वीडियो सहित आधुनिक मीडिया और मार्केटिंग के तरीकों का सफलतापूर्वक उपयोग किया था.

Maharishi Mahesh Yogi (Photo: Wikipedia)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 12 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST
  • रॉक ग्रुप 'बीटल्स' भी थे उनके फॉलोअर 
  • नीदरलैंड में जाकर बसे महर्षि

महर्षि महेश योगी शायद पिछले 50 वर्षों में भारत के सबसे प्रसिद्ध और सबसे प्रभावशाली योग गुरु थे, जिनके दुनिया के हर हिस्से में लाखों अनुयायी थे. उनकी ध्यान-आधारित शिक्षाओं का ऐसा व्यापक प्रभाव पड़ा कि पश्चिमी देशों से भी लोग उन्हें मानने लगे. महर्षि का भारत में अच्छा प्रभाव था, लोग उन्हें गुरु कहते थे और दूर-दूर से उनके पास योग-आध्यात्म सीखने आते थे. 

महर्षि महेष को ध्यान की अनोखी पद्धति 'अनुभवातीत ध्यान' ('ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन') को दुनिया भर में मशहूर करने और वैदिक संस्कृति का डंका बजाने के लिए जाना जाता है. महर्षि महेश योगी का जन्म छत्तीसगढ़ में राजिम जिले के पाण्डुका गांव में हुआ था. 

पढ़ाई करके बन गए संत 
बताया जाता है कि महर्षि महेश योगी का असली नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उनका जन्म 12 जनवरी 1918 को हुआ था. उनके पिता रामप्रसाद वर्मा राजस्व विभाग में कार्यरत थे और राजिम जिले में किराए के मकान में रहते थे. वर्मा परिवार मूल रूप से जबलपुर (मध्यप्रदेश) के पास गोटेगांव का रहनेवाला था. 

महेश ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में ग्रेजुएशन की और फिलॉसोफी में मास्टर्स. कॉलेज करने के बाद वह तेरह सालों तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में रहे और आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करके महर्षि महेश योगी बन गए.
 
रॉक ग्रुप 'बीटल्स' भी थे उनके फॉलोअर 
साल 1955 में महर्षि महेश ने 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन' (भावातीत ध्यान, TM) की शिक्षा देनी शुरू की. इसके प्रचार के लिए उन्होंने दुनिया के कई हिस्सों की यात्रा की. बाद में, देश-विदेश से लोग ऋषिकेश में महर्षि के आश्रम आने लगे. उनकी लोकप्रियता इतनी हो गई कि ब्रिटेन का रॉक ग्रुप 'बीटल्स' भी 1968 में उनके आश्रम पहुंचा. 

महर्षि महेश के शिष्यों में इंदिरा गांधी से लेकर आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा तक का नाम आता है. उन्हें ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा के लिए जाना जाने लगा. उनका कहना था, "जीवन परमआनंद से भरपूर है और मनुष्य का जन्म इसका आनंद उठाने के लिए हुआ हैय प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा, ज्ञान और सामर्थ्य का अपार भंडार है तथा इसके सदुपयोग से वह जीवन को सुखद बना सकता है."

नीदरलैंड में जाकर बसे महर्षि
महर्षि की लोकप्रियता भारत से ज्यादा दूसरे देशों में थी. इसे देखते हुए उन्होंने साल 1990 में हॉलैंड (नीदरलैंड) के व्लोड्राप गांव में बसने का फैसला किया. उन्होंने अपनी सभी संस्थाओं का मुख्यालय यहां पर बनाया और यहीं रहने लगे. यहीं से उनकी संस्था, 'ग्लोबल कंट्री वर्ल्ड ऑफ पीस' ने उनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और प्राकृतिक तरीके से बनाई गई कॉस्मेटिक हर्बल दवाओं को बढ़ावा दिया. 

शुरू की थी अपनी खुद की करेंसी
साल 2002 में महर्षि की संस्था, 'ग्लोबल कंट्री वर्ल्ड ऑफ पीस' ने उनकी अपनी करेंसी- राम नामक मुद्रा भी चलाई. और तो और इस मुद्रा को नीदरलैंड में मान्यता दी गई. इस मुद्रा में उन्होंने चमकदार रंगों वाले एक, पांच और दस के नोट जारी किए थे. आपको बता दें कि अमेरिकी राज्य आइवा के महर्षि वैदिक सिटी में भी राम का प्रचलन था. वैसे 35 अमरीकी राज्यों में राम पर आधारित बॉन्ड्स चलते थे. नीदरलैंड की डच दुकानों में एक राम के बदले दस यूरो मिल सकते थे. 

5 फरवरी, 2008 को महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में, 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.

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