कॉलेज में एडमिशन लेने के बजाय चुना ये रास्ता...अब 10 करोड़ के पैकेज पर Deloitte में कर रहे हैं नौकरी

किसी भी नौकरी के लिए योग्यता होती है कि पहले कॉलेज में एडमिशन लें, डिग्री प्राप्त करें और फिर नौकरी के लिए अप्लाई करें. लेकिन एक शख्स ने तो इस मामले में कमाल कर दिया. बेन न्यूटन नाम का एक शख्स बिना कॉलेज जाए डेलॉइट कंपनी में पार्टनर के रूप में काम कर रहा है जहां वो लगभग 10 करोड़ रुपये कमाते हैं.

Ben Newton
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 8:01 PM IST

नौकरी पाने का एक सीधा सा जरिया है- अच्छी जगह से पढ़ाई और फिर जॉब. अच्छे स्कूल-कॉलेज से पढ़ाई और डिग्री काफी मायने रखती हैं. लेकिन अगर आपको पता चले कि एक शख्स ने बिना कॉलेज गए, देश की टॉप 4 कंपनी में नौकरी पा ली तो शायद आपको यकीन नहीं होगा. लेकिन ऐसा हुआ है. 

30 साल के बेन न्यूटन (Ben Newton) को, जो कभी कॉलेज नहीं गए, डेलॉइट कंपनी (Deloitte) में पार्टनर के रूप में नौकरी मिल गई. आज वो वहां 10 लाख पाउंड यानी करीब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाते हैं. दरअसल न्यूटन की कहानी 12 साल पहले शुरू हुई थी. उन्होंने डेलॉइट के ब्राइटस्टार्ट के ट्रेनिंग प्रोग्राम में, जो कि एक अप्रेंटिसशिप स्कीम है, में हिस्सा लिया था. ब्रेन पिछले साल ही इसके पार्टनर बने थे.

ऑडिटर हैं न्यूटन
न्यूटन ने मीडिया से बात करते हुए बताया, ‘मैं डोरसेट में पला-बढ़ा हूं. मेरे पिता ने 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ कर सेना में सिपाही बने थे. मेरी मां एक पब में काम करती थीं और बाद में वह ट्रैवल एजेंट की काम करने लगीं. उनकी पालन पोषण लंदन से काफी और गरीबी में हुई.’ न्यूटन अपने परिवार से किसी विश्वविद्यालय से एक्सेपटेंस लेटर करने वाले पहले व्यक्ति भी थे.

न्यूटन को वारविक यूनिवर्सिटी में गणित की पढ़ाई करने का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन, उन्होंने ब्राइटस्टार्ट कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया ताकि वह कुछ पैसे कमा सकें. संडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, न्यूटन अब एक अकाउंटेंट की योग्यता रखते हैं और एक ऑडिटर के रूप में वहां काम करते हैं.

कैसे मिला ऑफर
न्यूटन ने आगे बताया कि उन्हें गणित की पढ़ाई करने के लिए ‘वारविक यूनिवर्सिटी’ में जगह मिल गई थी. वो पढ़ना तो चाहते थे लेकिन पैसे बचाने के लिए पार्ट टाइम जॉब भी कर रहे थे. न्यूटन इन पैसों का इस्तेमाल यूनिवर्सिटी की पढ़ाई खत्म होने के बाद अपने रिसर्च पर करना चाहते थे. उसी दौरान मुझे ‘स्कूल-लीवर’ स्कीम के बारे में जानकारी मिली. इस दौरान उन्हें कई जॉब ऑफर हुए, लेकिन उन्होंने बगैर रास्ते भटके डेलॉइट का ऑफर स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी खत्म करने के बाद वो हमेशा से ऐसी जॉब करना चाहते थे इसलिए बिना किसी देरी के उन्होंने इसे लपक लिया. उन्होंने कहा कि आज जब मुड़ कर देखता हूं, तो मुझे अपने फैसले पर गर्व होता है.

 

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