Marigold Farming: गेंदे की खेती ने बदली किसानों की तकदीर, फेस्टिव सीजन में हुई कई गुना कमाई

गुजरात के पंचमहल जिले में गेंदे की खेती से किसानों की किस्मत बदल रही है. गेंदे की खेती करते किसान न सिर्फ खेती में बदलाव ला रहे हैं बल्कि उनकी कमाई भी पहले से कई गुना बढ़ गई है.

Marigold Farming
gnttv.com
  • पंचमहल,
  • 05 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:18 AM IST

गुजरात के पंचमहल जिले का अराद गांव गेंदे के फूलों की खेती के लिए चर्चा में है. यहां पारंपरिक खेती को छोड़ किसान अब गेंदे की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें गेंदे के लिए अच्छा मार्केट मिल रहा है. गुजरात समेत पड़ोसी राज्यों के फूल व्यापारी अब सीधे अराद गांव के किसानों से खरीदारी कर रहे हैं. 500 से ज्यादा बीघा जमीन में इस बार गेंदे की खेती की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि गांव के किसान गेंदे के फूलों की खेती से बम्पर कमाई भी कर रहे है. 

इस फेस्टिव सीजन गेंदे से हुई अच्छी कमाई 
गेंदा ऐसा फूल है जिसे सबसे ज्यादा पूजा-पाठ, हवन-यज्ञ और अन्य धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है. यह फूल अलग-अलग वैरायटी का होता है जिसके आधार पर आपको पीला, लाल और केसरिया गेंदा मिल जाएगा. यह फूल ज्यादातर धार्मिक और शुभ अवसरों पर इस्तेमाल किया जाता है. मंदिरों, धार्मिक स्थलों और घरों को सजाने के लिए गेंदे का इस्तेमाल करते हैं. भगवान की मूर्तियों पर भी गेंदे की मालाएं चढ़ाई जाती हैं, इसके अलावा, चाहे कोई शादी हो या किसी समारोह में किसी का सम्मान करना हो, तो इन सभी में गेंदे की फूलमाला चाहिए होती हैं.  

गेंदे की खेती के कारण अराद गांव पिछले कई सालों से काफी मशहूर हो गया है. यहां के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर गेंदे की खेती की ओर रुख कर रहे हैं और गांव के ज्यादातर किसान लखपति बन गए हैं. यहां के कुछ किसानों ने आठ साल पहले पारंपरिक खेती से कुछ अलग करना शुरू किया. उन्होंने एक-दो एकड़ में गेंदे की खेती करना शुरू किया और उन्हें अच्छा रिजल्ट मिला. सिर्फ तीन महीने में उन्होंने गेंदे की खेती से बम्पर कमाई की. 

ज्यादा मुश्किल नहीं है गेंदे की खेती 
गेंदे को गुजराती में गलगोटा का फूल भी कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे मैरीगोल्ड और हिंदी में गेंदा फूल के नाम से जाना जाता है. पंचमहल के गलगोटा के फूल महाराष्ट्र और गुजरात के भावनगर, बोटाद, वडोदरा, नडियाद जैसे शहरों में बेचे जा रहे हैं. यहां के एक किसान नीलेश परमार से बात की तो उन्होंने बताया कि, मक्का, बाजरा, गेहूं या धान जैसी सामान्य अनाज वाली फसलों की खेती अब किसानों के लिए महंगी हो गई है. साथ ही बारिश और अन्य अनिश्चितताओं के कारण किसानों को वह वित्तीय लाभ नहीं मिला जो वे चाहते थे. लेकिन अब गेंदे की कम और सीमित समय की खेती होती है जिससे यहां के किसानों की आर्थिक आय में वृद्धि हुई है और यह कहा जा सकता है कि दिवाली में भी अच्छी कमाई हो जाती है. 

(रिपोर्ट: भोई जयेंद्र कुमार)

 

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