Madhya Pradesh: Indore में आवारा कुत्तों के हमलों पर प्रशासन का एक्शन, पूरे शहर के कुत्तों की करवाई जाएगी नसबंदी... जानिए कैसे चलाया जाएगा अभियान

इंदौर नगर निगम में पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने कहा कि उन्होंने छह महीने का टारगेट तय किया है. वह इस समय में पूरे शहर के कुत्तों की नसबंदी करने की योजना बना रहे हैं.

आवारा कुत्तों के हमलों के कारण इंदौर प्रशासन ने यह एक्शन लिया है.
  • इंदौर नगर निगम ने तय किया छह महीने का टारगेट
  • इंदौर की गलियों से कुत्तों को पकड़ना मुश्किल

मध्य प्रदेश के इंदौर में आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया है. आवारा कुत्तों के लोगों को काटने की बढ़ती हुई घटनाओं के कारण यह फैसला लिया गया है. अधिकारियों का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा आवारा कुत्तों की नसबंदी करना है. वे पशु कल्याण एनजीओ के साथ मिलकर सभी सावधानी बरतते हुए इस काम में जुटे हैं.

इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस अभियान के बारे में बताया, "शहर में स्ट्रीट डॉग्स की समस्या को लेकर एक बड़ा अभियान बना कर हमने काम शुरू किया है. हम लगातार उस पर काम कर रहे हैं. माननीय न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यह किया जाता है. एनजीओ के साथ काम करते हुए सुनिश्चित किया जा रहा है कि उन कुत्तों को भोजन भी मिले, उनका इलाज भी हो और एबीसी के तहत कार्रवाई को भी अंजाम दिया जाए." 

इंदौर नगर निगम में पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने कहा, "छह महीने का जो हमने टारगेट तय किया है कि उसके अंदर हम लोग सारे कुत्तों की नसबंदी कर देंगे ऐसा प्लान हम लोगों ने किया है." 

स्वच्छता के कारण हिंसक हुए इंदौर के कुत्ते?
लगातार सात साल से राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में पहले नंबर पर रहने वाले इंदौर में अब स्वच्छता में सुधार का साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहा है. कई लोगों का मानना ​​है कि सफाई व्यवस्था में सुधार के कारण आवारा कुत्तों के लिए भोजन के स्रोत कम हो गए हैं, इससे उनका बर्ताव ज्यादा हिंसक हो गया है. 

ज्यादातर लोग कुत्तों की नसबंदी के लिए बड़ी पैमाने पर चलाए जा रहे अभियान को सही बता रहे हैं. हालांकि कई पशु प्रेमी इस प्रक्रिया के बाद जानवरों की सेहत को लेकर चिंतित दिखते हैं. इंदौर के रहने वाले खालिद कुरैशी कहते हैं, "फीडिंग नहीं होती तो और परेशानी होगी तो फीडिंग होना और जरूरी है. खाने की कमी से जैसे इंसान परेशान होते हैं, वैसे ही ये जानवर भी परेशान होते हैं."

पीपुल फॉर एनिमल्स नाम के एनजीओ के अध्यक्ष प्रियांशु जैन कहते हैं, "नसबंदी होनी चाहिए. यह अच्छी चीज़ है. मास लेवल पर करने के लिए उतना इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए. उतने डॉक्टर होने चाहिए और उतना स्टाफ होना चाहिए. सर्जरी के बाद पांच से आठ दिन कुत्तों को देखरेख में रखा जाता है. अगर केयर ना करके उनको छोड़ते हैं तो इनफेक्शन भी हो सकता है." 

इंदौर की गलियों से कुत्तों को पकड़ना मुश्किल
कुत्ता पकड़ने वालों और पशु चिकित्सकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती संकरी गलियों से आवारा कुत्तों को पकड़ना है. हालांकि इन टीमों से जुड़े लोगों का कहना है कि वे इन चुनौतियों के लिए तैयार रहते हैं. कुत्ता पकड़ने वाले नंद किशोर रायकवार ने कहा, "ये चुनौती आती है लेकिन हम (कुत्तों को) पकड़ने के लिए तैयार हैं. कोशिश होती है जो शासन से हमको आदेश मिला है उसे पूरा करें. बहुत लोग ऐसे होते हैं जो हमें अपना काम नहीं करने देते. मारपीट भी होती है. हालांकि ऐसे मामलों में हमें निगम से मदद मिलती है." 

वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. प्रशांत तिवारी ने कहा, "एक गली से ज्यादा कुत्ते हम नहीं पकड़ पाते. ज्यादातकर तो आवाज सुनकर भाग जाते हैं. चार-पांच जगह गाड़ियां देने का प्रशासन ने वादा किया है. तो दो-दो तीन स्वान उठाने की कोशिश करेंगे. प्रशासन ने जो हमें टारगेट दिया है, उसे पूरा किया जाएगा." 

इंदौर अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ रहा है. ऐसे में अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अभियान को कितने असरदार तरीके से चलाया जा सकता है. साथ ही इस बात पर भी कि क्या यह इसी तरह की चुनौतियों से जूझ रहे दूसरे शहरी केंद्रों के लिए एक मिसाल बन सकता है? 

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