Waste से Business: 200 किलो से ज्यादा ई-वेस्ट को बदला इको-आर्ट में और फिर शुरू किया बिजनेस

E-Waste to Eco Art: मिलिए विश्वनाथ मल्लाबादी दावणगेरे से, जो रिटायर्ड विप्रो एग्जीक्यूटिव हैं और अब E-Waste को अपसाइकल करके Eco Art में बदल रहे हैं.

Vishwanath Mallabadi (Photo: Instagram)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 03 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST
  • ई-वेस्ट का क्रिएटिव समाधान 
  • रिटायरमेंट के बाद फॉलो किया पैशन 

बंगलुरु में रहने वाले विश्वनाथ मल्लाबादी दावणगेरे एक इको आर्टिस्ट हैं जो ई-वेस्ट को अपसायकल करके अद्भुत कला कृतियां बना रहे हैं. विश्वनाथ के इको-आर्ट की तारीफ सब तरफ हो रही है. उनका यह आइडिया और उनके बनाए आर्ट पीस इतने अनोखे हैं कि धीरे-धीरे उनका यह शौक बिजनेस का रूप ले रहा है. 

मेटल और प्लास्टिक से लेकर पुराने गैजेट और सर्किट बोर्ड तक, विश्वनाथ इलेक्ट्रिक वेस्ट को इकट्ठा करते हैं और इस वेस्ट को वह आभूषण और मूर्तियों से लेकर इंस्टॉलेशन और रोबोट आदि तक बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं. 

ई-वेस्ट का क्रिएटिव समाधान 
भारत लगातार बढ़ते ई-वेस्ट के संकट का सामना कर रहा है. भारत में 2019-20 में 10.1 लाख टन ई-वेस्ट का उत्पादन हुआ, जिसमें से सिर्फ 22.7% ई-वेस्ट रिसायक्लिंग के लिए गया. यह सब देखते हुए विश्वनाथ ने इसका समाधान कला के माध्यम से निकाला. वह बहुत ध्यान से सभी ई-वेस्ट को इकट्ठा करते हैं जैसे तांबा, सोना, रंगीन तार, कीबोर्ड और कंप्यूटर पार्ट्स आदि. इस एप्रोच से वह सभी मैटेरियल को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल कर पाते हैं.  

आपको बता दें कि विश्वनाथ के पिता एक प्रसिद्ध मूर्तिकार और चित्रकार थे, लेकिन उनका सपना अपने बेटे को डॉक्टर बनाना था. लेकिन विश्वनाथ की सोच कुछ और थी. वह छोटी उम्र से ही सेकेंड-हैंड चीजों की अपसाइक्लिंग करने के शौकीन थे और उन्होंने एप्लाइड आर्ट में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स करने का फैसला किया. 

रिटायरमेंट के बाद फॉलो किया पैशन 
विश्वनाथ विप्रो में टैलेंट ट्रांसफॉर्मेशन में काम करते थे. लेकिन जॉब के साथ-साथ इको-आर्ट के प्रति उनका जुनून बना रहा. अपने खाली समय और वीकेंड में वह कुछ न कुछ बनाते थे. हालांकि, रिटायरमेंट के बाद वह फुल-टाइम अपने पैशन पर काम करने लगे. और अब, वह इस बात का जीता-जागता सबूत है कि आप अपने शौक को अपना करियर बना सकते हैं. 

विश्वनाथ इलेक्ट्रॉनिक कचरे की कायापलट करने में माहिर हैं! वह कंप्यूटर और लैपटॉप से ​​लेकर डेटा कार्ड और यहां तक ​​कि मेडिकल टूल्स तक से अनोखी चीजें बना देते हैं. और अब यह उनका एक सफल व्यवसाय बन गया है! दो साल पहले रिटायर होने के बाद, विश्वनाथ ने अपनी अनूठी इको-कला कृतियों को बेचना शुरू किया और यूरोप, नीदरलैंड, अमेरिका और यहां तक ​​​​कि दिल्ली के खरीदारों के साथ ग्लोबल लेवल पर अपनी पहचान बनाई.

200 किलो से ज्यादा ई-वेस्ट को किया अपसाइकल
कंप्यूटर कीबोर्ड कीज़ से लेकर रेसिस्टर्स और यहां तक ​​कि घड़ी के हिस्सों तक, विश्वनाथ ने 200 किलो से ज्यादा ई-वेस्ट को प्रोसेस करके 
500+ इको आर्ट बनाए हैं. उन्होंने छह फुट ऊंची मूर्ति, बिजनेस टाइकून अजीम प्रेमजी का चित्र, इको-ज्वेलरी और यहां तक ​​कि एक रोबोट भी बनाई है. बताया जा रहा है कि विश्वनाथ एक 3डी मूर्तिकला पर भी काम कर रहे हैं जिसे वह बेंगलुरु मेट्रो में प्रदर्शित करने की उम्मीद करते हैं. 

 

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